शिक्षा मनोविज्ञान दो शब्दों के मिलने से बना है, शिक्षा वा मनोविज्ञान। जिसका शाब्दिक अर्थ है, "शिक्षा से संबंधित मनोविज्ञान '। शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत मनोविज्ञान के संप्रत्ययों, सिद्धांतों तथा विधियों का प्रयोग शैक्षणिक परिस्थितियों को उन्नत बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रकार मनोविज्ञान के सिद्धांतों का शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है। शैक्षणिक मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जिसमें इस बात का अध्ययन किया जाता है कि मानव शैक्षणिक वातावरण में सीखता कैसे है तथा शैक्षणिक क्रियाकलाप अधिक प्रभावी कैसे बनाए जाते है। एन. एल. मन के अनुसार मनोविज्ञान अनुभव के आधार पर किए गए आंतरिक अनुभवों एवं बाह्य व्यवहारों का सकारात्मक विज्ञान है। क्रो एण्ड क्रो के अनुसार शिक्षा मनोविज्ञान, व्यक्ति के जन्म से लेकर वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन तथा व्याख्या करता है। शिक्षा मनोविज्ञान में मनोविज्ञान के नियमों वा सिद्धांतों का प्रयोग शैक्षणिक वातावरण में बालक के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए किया जाता है।
शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं -Source: owalcation
कालसनिक के अनुसार, मनोविज्ञान के सिद्धांतों वा परिणामों का शिक्षा में अनुप्रयोग ही शिक्षा मनोविज्ञान कहलाता है।"
स्टीफेन के अनुसार : "शिक्षा मनोविज्ञान बालक के शैक्षिक वृद्धि और विकास का व्यवस्थित va क्रमिक अध्ययन है। "
जेम्स ड्रेवर के अनुसार, "शिक्षा मनोविज्ञान व्यावहारिक मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षा में मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों तथा खोजों के प्रयोग के साथ ही शिक्षा को समस्याओं के मनोविज्ञान अध्ययन से संबंधित है।"
सारे व टेलफार्ड के अनुसार , "शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य संबंध सीखने से है। यह मनोविज्ञान का वह अंग है जो शिक्षा के मनोविज्ञानक पहलुओं की वैज्ञानिक खोज से विशेष रूप से संबंधित है।"
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शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र ले बारे में स्किनर ने लिखा है -
शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में वे सभी ज्ञान तथा प्रविधियां है जो सीखने की प्रक्रिया को अच्छी प्रकार से समझाने तथा अधिक निपुणता से निर्धारित करने से संबंधित है।
मनोविज्ञान का शिक्षा पर प्रभाव निम्न प्रकार से है -
1.शिक्षा के उद्देश्य निर्धारण में
2. शिक्षण विधि निर्धारण में
3. सैद्धांतिक और व्यवहारिक ज्ञान के उचित समन्वय में
4. मनोविज्ञानिक सिद्धांतों का शिक्षा पर प्रभाव जाने मैं
5. विशिष्ट आवश्यकताओं वाले बालकों की समस्याओं वा आवश्यकताओं वाले बालकों की समस्याओं वा आवश्यकताओं को जानने में
6. बाल विकास में
7. विषय वस्तु के रोचक एवं बोधगम्य प्रस्तुतिकरण में
8. सामाजिकता प्राप्त करने में
9. प्रयोग एवं अनुसंधान में,
10. मानव सुधार में
11. मूल्यांकन में आदि। व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना शिक्षा का ही महत्वपूर्ण कार्य है लेकिन व्यक्ति का विकास, व्यवहारों के विकास से ही संभव है और मनोविज्ञान का विषय व्यवहार से संबंधित है।