Optical illusion: ऑप्टिकल इल्यूजन, हमारी आँखों को जो दिखता है वह हमेशा सच नहीं होता

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Tue, 10 May 2022 08:14 PM IST

हमारे ग्रन्थ महाभारत में एक सन्दर्भ आता है जब कौरव राजकुमार दुर्योधन, युधिष्ठिर से मिलने उसके महल में आता है. उस अद्भुत सुन्दर महल के गलियारे में चलते चलते अचानक वह एक स्थान पर फर्श पर की गई नक्काशियों को पानी समझ कर कूद जाता है, और जहाँ सचमुच कूदना चाहिए वहाँ राजकुमार दुर्योधन पानी के कुण्ड में गिर जाता है. महल के झरोखे से यह सब देख रही राजकुमारी द्रौपदी, दुर्योधन पर व्यंग करके ठठा कर हंस पड़ती है. और यही हँसी महाभारत के युद्ध का कारण बनता है. यहाँ इस घटना की चर्चा का एक हीं तात्पर्य है कि महाभारत का संभावित रचनाकाल 1000 ईस्वी ईसा पूर्व माना जाता है. और तब से भारत में ऑप्टिकल इल्यूजन पैदा करने वाली कला पर प्रयोग किए जा रहे थे. क्योंकि उस समय का कोई दृश्य साक्ष्य हमारे पास मौजूद नहीं है तो हम इस विषय पर विदेशों के साक्ष्य के आधार पर हीं बात करेंगे.  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.

Source: Safalta

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यहाँ हम उस ऑप्टिकल इल्यूजन या ऑप्टिकल भ्रम की बात कर रहे हैं जो दरअसल एक काइनेटिक आर्ट है, और जो 20 वीं शताब्दी के पहले उभरनी शुरू हुई थी. यह उस समय की एक खूब प्रचलित कला हुआ करती थी. तब इस काइनेटिक कला का प्रयोग मूर्तियों के निर्माण में किया जाता था. 50 और 60 के दशक में इसे सपाट सतह पर बनाया जाने लगा. 

क्या है ऑप्टिकल इल्यूजन -
ऑप्टिकल इल्यूजन एक प्रकाशीय विभ्रम है जिसमें हमें वास्तविक वस्तु के बजाय एक भिन्न हीं वस्तु या आकृति नजर आती हैं. ऑप्टिकल इल्यूजन को दृष्टिभ्रम, मतिभ्रम, वहम, विभ्रम या मिथ्याभास भी कह सकते हैं. सरल शब्दों में कहें तो एक ऑप्टिकल भ्रम आंख और मस्तिष्क की संरचना के कारण उत्पन्न एक भ्रामक स्थिति है. किसी आब्जेक्ट पर जब प्रकाश पड़ता है तब वह प्रकाश उस आब्जेक्ट से रिफ्लेक्ट होकर हमारी आंखों से टकराता है जिसके फलस्वरूप वह आब्जेक्ट हमें दिखाई देता है. दरअसल, हम जो भी देखते हीं आंख और मस्तिष्क दोनों की आन्तरिक बनावट की संतुलन के कारण देखते हैं.



प्रकाश की किरणें हमारी आंख की रेटिना में स्थित रॉड तथा कोन पर जब पड़ती है तो इन में रासायनिक परिवर्तन होते हैं, जिसके फलस्वरूप उत्पन्न हुई विद्युत तरंगें आप्टिक नर्व के माध्यम से सिर के पिछले भाग में स्थित मस्तिष्क के आप्टिकल सेंटर तक पहुंचती हैं. इसी समयावधि में जब ऑंखें, तस्वीर को मस्तिष्क में भेजती हैं, छवियों को प्रसारित करने के तरीके की जटिलता के कारण ऑप्टिकल भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. ऑप्टिकल भ्रम तब होता है जब कुछ छवियों को एक से अधिक तरीकों से प्रस्तुत किया जाता है और हमारी आँखें स्पष्ट रूप से यह नहीं देख पातीं क्योंकि मस्तिष्क एक समय में केवल एक हीं छवि को अच्छी तरह से आत्मसात करने में सक्षम होता है, इस तरह, हमारे सामने एक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है.

ऑप्टिकल भ्रम या ऑप्टिकल इल्यूजन पैदा करने वाले मेडिकल सिंड्रोम -

ये तो बात हुई ऑप्टिकल इल्यूजन उत्पन्न करने वाले वजह या कला की पर कुछ ऑप्टिकल भ्रम मेडिकल सिंड्रोम जैसे कि सिज़ोफ्रेनिया के कारण भी उत्पन्न होते हैं. इस बीमारी के कारण, एक व्यक्ति वास्तव में जो सामने है या जो देखा जा रहा है उससे कुछ अलग हीं देखता है. यह स्थिति मस्तिष्क के आप्टिक नर्व के द्वारा प्राप्त सूचनाओं की सामान्य रूप से व्याख्या करने की तुलना में अलग तरह से व्याख्या करने के कारण होता है.
 
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अन्य स्थितियां -

आँख को उठाना क्षैतिज रूप से घुमाने की तुलना में अधिक कठिन होता है. ऐसे में आँखों को वर्टीकल डिस्टेंस, हॉरिजॉन्टल डिस्टेंस से अधिक महसूस होती हैं. और हमें  सपाट सतहों में गहराई दीखता है. ऑप्टिकल भ्रम की स्थिति तब भी बनती हैं जब हमारी आंखें थकी हुई होती हैं. साधारण शब्दों में कहें तो आंखों में थकान का होना ऑप्टिकल भ्रम का एक साधारण सा कारण है क्योंकि थकी हुई आंखों को अधिक प्रभावी ढंग से ध्यान को केंद्रित करने में थोड़ा अधिक समय लगता है.  

ऑप्टिकल इल्यूजन या ऑप्टिकल भ्रम, पहले और अब -

ऑप्टिकल भ्रम मनोवैज्ञानिकों और कलाकारों के लिए एक रोचक और जिज्ञासा से परिपूर्ण विषय रहा है. प्राचीन समय में यह ऑप्टिकल भ्रम मानव दृश्य प्रणाली की खराबी का कारण माना जाता था. पर आज एक ऑप्टिकल भ्रम हमारे मनोरंजन की चीज मानी जाती है जिसे कोई कलाकार बहुत मेहनत से तैयार करता है.



ऑप्टिकल भ्रम में दूरी और गहराई -

दूरी ज्यादा होने पर ऑप्टिकल भ्रम को हल करना ज्यादा जटिल हो जाता है. कई बार तो हम यह सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि क्या हमारा दिमाग वास्तव में उतना ही सही है जितना हम सोचते हैं. ऑप्टिकल भ्रम या अवधारणात्मक भ्रम के परिप्रेक्ष्य के बारे में, यह कहा जा सकता है कि यह वह घटना है जो तब होती है जब कोई वस्तु हमारे मस्तिष्क में एक ऐसी  उत्तेजना पैदा करती है जो वास्तव में उक्त वस्तु में उत्पन्न हो हीं नहीं रही है.

रंगों से उत्पन्न ऑप्टिकल इल्यूजन या ऑप्टिकल भ्रम -

2 डी और 3 डी इफ़ेक्ट के साथ काले रंग की पृष्ठभूमि या सफेद पृष्ठभूमि पर पीले रंगों के संयोजन से भी ऑप्टिकल भ्रम को खूब महसूस किया जाता है.
 
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दुनिया के प्रसिद्ध ऑप्टिकल भ्रम -

सबसे प्रसिद्ध ऑप्टिकल भ्रम में से एक है मनोवैज्ञानिक एडगर रुबिन (1886 -1951) द्वारा बनाया गया रुबिन कप. यह डेनिश शोधकर्ता द्वारा तैयार किया एक ड्राइंग है जो कई रूप में देखा जा सकता है. इस कप में दो चेहरे हैं जो एक-दूसरे का सामना कर रहे होते हैं. ऐसा हीं एक और प्रसिद्ध ऑप्टिकल भ्रम है फ्रिन्ज् ग्रिड. यह एक ग्रिड है जो एक बार दिखने और फिर गायब होने की अनुभूति देता है. हालांकि वास्तव में यह एक निर्जीव ग्राफिक है पर चमकने और टिमटिमाहट की वजह से यह एक ग्रिड के जैसा दिखता है.



साइंस क्या कहता है -
न्यूयॉर्क के वैज्ञानिक मार्क चांगीजी के अनुसार ऑप्टिकल भ्रम न्यूरॉन्स में देरी के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है. यह लगभग सभी मनुष्यों के द्वारा जागने के दौरान अनुभव किया जाता है. यानि जब हम जागते हैं और आँखें खोलते हैं तब प्रकाश रेटिना तक पहुंचता है, यह लगभग एक सेकंड का दसवां हिस्सा होता है कि जब रेटिना से तस्वीर मस्तिष्क में भेजी जाती है और मस्तिष्क सिग्नल का अनुवाद करके इसे दृश्य धारणा में बदल देता है.

दृष्टिभ्रम (optical illusion) या ऑप्टिकल इल्यूजन के प्रकार -

1. विकृत भ्रम - यह दृष्टिभ्रम आकार, लंबाई या कर्वेचर की विकृतियों के कारण उत्पन्न होता है.
2. फिजियोलॉजिकल इल्यूजन - यह दृष्टिभ्रम आंखों या मस्तिष्क पर चमक, झुकाव, रंग, गति, आदि की अत्यधिक उत्तेजना के प्रभाव के कारण उत्पन्न होता हैं.
3. पैराडॉक्स इल्यूजन - ये उन वस्तुओं द्वारा उत्पन्न होते हैं जो विरोधाभासी (पैराडॉक्स) या असंभव हैं.
4. फिक्शनल इल्यूजन - इस भ्रम में एक हीं छवि, अलग-अलग लोगों को अलग अलग दिख सकती है.

निष्कर्ष -
इस प्रकार हम देखते हैं कि दृष्टिभ्रम (optical illusion) में कुछ ऐसा होता है जो अपने से अलग दीखता है, यानि हमें जो दिखता है वो होता नहीं और जो होता है वो दिखता नहीं. यानि आंख का धोखा.
ऐसा कुछ जो अस्तित्व में नहीं है यानि जो हमें दिखाई देता है वह उसके अलावा कुछ अन्य है.
अंत में हम यही कह सकते हैं कि हमारी आँखों को जो दिखता है वह हमेशा सच नहीं होता ..
 

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