- भू-पटल के वे अस्थल खंड 'पठार' होते हैं जिनका कम से कम एक और ढाल समिपी सतह सागर तट से अधिक ऊंचा और खड़े ढाल वाला हो तथा उसका ऊपरी भाग मेज के आकार में सपाट हो | इनकी ऊंचाई 300 से 1000 मीटर तक होती है
- जलकृत पठार-: इस पठार की उत्पत्ति नदियों द्वारा लाए गए तलछट के निसेफ द्वारा होती है जिससे वे भाग स्थल से ऊंचा होता रहता है और कालांतर में भूमि की हलचल ओ हल चलो के कारण निकटवर्ती क्षेत्रों में उठ जाते हैं | जैसे: शान का पठार या (मयांमार), चेरापूंजी का पठार (भारत)।
- वायव्य पठार-: वायु द्वारा निपेक्षण से बने पठानों को पठार कहते हैं, जैसे : लोयस का पठार (चीन), पोटवार का पठार (पाकिस्तान)।
- हिमानी पठार-: पर्वतीय प्रदेशों में हिमानी द्वारा अपरदित और सपाट किए गए 'पठार हिमानी पठार' कहलाते हैं, जैसे : भारत में गढ़वाल का पठार
- ज्वालामुखी पठार-: ज्वालामुखी के उदगार से निकले लावा के चारों तरफ फैल कर जम जाने से पठार को ज्वालामुखी पठार कहते हैं | जैसे : दक्कन का पठार (भारत) कोलंबिया का पठार (संयुक्त राज्य अमेरिका) आदि |
- अंत: पर्वती पठार-: उच्च पर्वत श्रेणियों से जी घीरे या आंतरिक पठार, जैसे : तिब्बत, बोलीविया, मेक्सिको, कोलंबिया, पेरू के पठार आदि |
- गिरीपवीय पठार-: पर्वतों के आधार या तलछटी मैं स्थित पठार इस वर्ग में आते हैं | उदाहरण- भारत में शिलांग का पठार, अमेरिका का पिंडमांट पठार इत्यादि |
Source: Geography