सामन्यतः बोलचाल की भाषा में वृद्धि और विकास शब्द का प्रयोग एक ही अभिप्राय के लिए किया जाता है। जबकि वास्तव में ये दोनों शब्द अपना अलग अर्थ और महत्व रखते है।
Source: owalcation
वृद्धि का अर्थ: वृद्धि से तात्पर्य बढ़ने या फैलने से है। अतः प्राणी के आंतरिक और बाह्य अंगों का बढ़ना या फैलना वृद्धि कहलाता है। वृद्धि शारीरिक रचना और शारीरिक परिवर्तनों की ओर संकेत करती है। किसी भी प्राणी में विकास पहले और वृद्धि बाद में होती हैं वृद्धि गर्भाधान के लगभग दो सप्ताह बाद प्रारंभ होती है और बीस वर्ष की आयु के आसपास समाप्त समाप्त हो जाती है। वृद्धि में होने वाले परिवर्तन केवल शारीरिक वा रचनात्मक ही होते हैं, जो केवल परिपक्वस्था तक ही सीमित होते हैं।
विकास का अर्थ : विकास एक जटिल प्रक्रिया है। सामान्य रूप से विकास बुद्धि परिक्वता तथा पोषण आदि अवधारणाओं को प्रायः मिले जुले अर्थों में इस्तेमाल किया जाता है। विकास एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर जीवन पर्यंत अविराम गति से चलती रहती है। विकास से तात्पर्य परिवर्तन की उस उन्नतिशील श्रृंखला से है, जो परिपक्वता के एक निश्चित लक्ष्य की ओर अग्रसर होती है। अतः विकास एक निरंतर चलने प्रक्रिया है। विकास केवल शारीरिक वृद्धि की ओर ही संकेत नहीं करता वरन इसके अंतर्गत वे सभी शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और संवेदातामक परिवर्तन सम्मिलित रहते हैं, अतः प्राणी के भीतर विभिन्न प्रकार के शारीरिक व मानसिक क्रमिक परिवर्तनों की उत्पत्ति ही विकास है।
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बाल विकास के अध्ययन ने समाज के समक्ष दो पहलू प्रस्तुत किए हैं -
(1) व्यवहारिक,
(2) सैद्धांतिक।
समाज के प्रत्येक अभिभावक के लिए सैद्धांतिक तथा व्यवहारिक दोनों का ज्ञान आवश्यक है।
मुनरो के अनुसार - विकास, परिवर्तन श्रृंखला की वह अवस्था हैं जिसमें बालक भरूणावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक गुजरता है।
ड्रेवर के अनुसार - विकास प्राणी में होने वाला प्रगतिशील परिवर्तन है, जो किसी लक्ष्य की ओर लगातार निर्देशित करता है।
हरलॉक के अनुसार - विकास अभिवृद्धि तक ही सीमित नहीं है। इसके अलावा इसके प्रौढ़ावस्था के लक्ष्य की ओर परिवर्तन का प्रगतिशील क्रम निहित रहता है। विकास के परिणामस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएं और नवीन योग्यताएं प्रकट होती हैं।