EWS Reservation,  5 जजों की बेंच ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर क्या फैसला लिया है

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Tue, 08 Nov 2022 05:36 PM IST

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साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी की सरकार ने जनरल कैटेगरी के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 परसेंट आरक्षण देने के लिए संविधान में 103 वां संशोधन अमेंड किया था

EWS Reservation : आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 परसेंट आरक्षण देना सही है, सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र सरकार के इस फैसले पर मुहर लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने 3-2 से 10 परसेंट आरक्षण का सपोर्ट किया है। इस केस में चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस. रविंद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने यह फैसला सुनाया है। जस्टिस माहेश्वरी, जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस पारदीवाला ने आरक्षण का समर्थन किया है। वहीं जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रविंद्र भट इसके खिलाफ हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी की सरकार ने जनरल कैटेगरी के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 परसेंट आरक्षण देने के लिए संविधान में 103 वां संशोधन अमेंड किया था, लेकिन इसमें सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थी इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित किया था।  अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download here

Source: safalta


 

बेंच के इन सभी जस्टिस ने आरक्षण को लेकर क्या कहा है 


जस्टिस दिनेश महेश्वरी 

आरक्षण सिर्फ आर्थिक और सामाजिक वर्ग से पिछड़े लोगों को ही नहीं बल्कि वंचित वर्गों को भी समाज में शामिल करने में एक मुख्य भूमिका निभाता है। इसलिए ईडब्ल्यूएस कोटा संविधान के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचाता है और ना ही मौजूदा आरक्षण संविधान के कानूनों का उल्लंघन करता है।

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 जस्टिस बेला त्रिवेदी 

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी एक अलग वर्ग मानना सही है, इसे संविधान का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है। देश के आजादी के 75 वर्ष बाद हमें समाज के हितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है। संसद में एंग्लो इंडियन के लिए आरक्षण समाप्त हो गया है। इसी तरह अन्य आरक्षण के लिए भी समय सीमा होना चाहिए, इसलिए 103 वें संशोधन की वैधता बरकरार रखी जाती है।  सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application

 जस्टिस जे.बी पारदीवाला 

डॉक्टर अंबेडकर का विचार था कि आरक्षण की व्यवस्था 10 साल तक रहे लेकिन यह अभी भी जारी है। आरक्षण को निहित स्वार्थ नहीं बनने देना चाहिए। संविधान के 103 वें में संशोधन की वैधता को बरकरार रखते हुए मैंने ( जस्टिस जे.बी पारदीवाला ने) सोचा है कि आरक्षण का पालन करना सामाजिक न्याय को सुरक्षित रखना है।

 चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट

 एससी, एसटी और ओबीसी के गरीब लोगों को इससे बाहर करना भेदभाव है, हमारा संविधान बहिष्कार या भेदभाव की अनुमति नहीं देता है और यह संशोधन सामाजिक न्याय के ताने-बाने को कमजोर कर रहा है। इस तरह यह बुनियादी ढांचे को कमजोर कर रहा है।  

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ईडब्ल्यूएस कोटा क्या है 


जनवरी 2019 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने संविधान में 103 वां संशोधन लेकर इसके तहत देश में आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों  के लिए नौकरियां और शिक्षा के क्षेत्र में 10 परसेंट आरक्षण देने का प्रावधान बनाया था। कानूनी आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए अभी भी देशभर में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है वह 50 परसेंट के अंदर ही मिल रहा है, लेकिन सामान्य वर्ग का 10 फ़ीसदी कोटा, इस 50 फ़ीसदी सीमा के बाहर है। 2019 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह कहा था कि आर्थिक रूप से कमजोर 10 परसेंट आरक्षण देने का कानूनी उच्च शिक्षा एवं रोजगार में समान अवसर देकर सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया है।

आर्थिक रूप से कमजोर किसे माना जाता है


 यह ईडब्ल्यूएस आरक्षण सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को ही दिया जाता है। इस आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में वे लोग आते हैं जिनकी सालाना आय ₹800000 से कम होती है। समान वर्ग के ऐसे लोगों को नौकरियां और शिक्षा के क्षेत्र में 10 परसेंट आरक्षण दिया जाता है।

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