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आजादी के लिए पहली बार विस्तृत पैमाने पर एकजुट होकर अंग्रेजी सत्ता के विरोध का प्रयास कांग्रेस संगठन के अंतर्गत किया गया. वैसे प्रारंभ में इसका प्रतिनिधित्व कुछ खास प्रबुद्ध वर्गों तक ही सीमित था, लेकिन कालांतर में इसने अपने आधार को विकसित करते हुए पूरे देश की जनता को आजादी की लड़ाई के दौरान अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ एकजुट कर अंग्रेजी सत्ता विरोधी आन्दोलन का प्रतिनिधित्व किया. आगे चलकर कांग्रेस में ही नरमपंथी और गरमपंथी विचारधाराएँ उभरकर सामने आयी.
कर्जन के बंगाल विभाजन के धृष्टतापूर्ण कार्य के बाद कोंग्रेस में नरम दल और गरम दल के बीच मतभेद स्पष्ट तौर पर उभर कर सामने आये. बंगाल विभाजन के विरोधस्वरूप ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार का कार्यक्रम रखा गया. नरम दल विचारधारा वाले लोग जहाँ ब्रिटिश विरोधी इन कार्यक्रमों को बंगाल तक ही सीमित रखना चाहते थे, वहीँ कांग्रेस के अंदर दूसरा धड़ा जो गरमदल वालों का था, जो बहिष्कार कार्यक्रम को पूरे देश में लागू करना चाहते थे. आगे यही मतभेद बढ़ते गये और 1907 के कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का विभाजन दो अलग अलग दलों नरम दल और गरम दल में हो गया.
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इस प्रकार कांग्रेस के सूरत अधिवेशन 1907 में कांग्रेस के दो खेमों में विभाजन के कारण विचारधाराओं का स्पष्ट बँटवारा हुआ. नरम दल में शामिल मुख्य व्यक्तियों का नाम - मोतीलाल नेहरु, दादाभाई नौरोजी, गोपालकृष्ण गोखले, फ़िरोजशाह मेहता, बदरुद्दीन तैय्यबजी, एस.एन. बनर्जी गरम दल में शामिल मुख्य व्यक्तियों का नाम – लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, बिपिन चन्द्र पाल, अरविन्द घोष. नरम दल एवं गरम दल के विचारधाराओं को मानने वालों की सोच को हम निम्न बिन्दुओं के आधार पर अच्छे से समझ सकते हैं.
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नरम दल -
* उच्च शिक्षित, बुद्धिजीवी लोग* संकीर्ण सामाजिक आधार.
* बुद्धिजीवियों और मिडिल क्लास का समर्थन.
* प्रशासन में अधिक से अधिक भारतीयों को शामिल किया जाए.
* भारत में ब्रिटिश शासन के विरोधी नहीं थे और इस का अंत नहीं करना चाहते थे
* कानून के दायरे में रहकर विरोध (अपील, याचिका भेजकर, प्रार्थना, अनुनय) / शांतिपूर्ण आन्दोलन / काम करने का तरीका बहिष्कार, सविनय अवज्ञा
* सुलह और सहयोग की नीति
* पश्चिमी दार्शनिकों की विचारधारा से प्रभावित
* स्वशासन
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गरम दल -
* शहरी मध्यम वर्गीय लोग* व्यापक सामाजिक आधार
* निचला मध्यम वर्ग, श्रमिक, किसान समेत सभी वर्गों का समर्थन
* ब्रिटिश साम्राज्य विरोधी और इसका अंत करना चाहते थे
* जन आन्दोलन को बढ़ावा
* उग्र और आक्रामक तरीके से विरोध / क्रन्तिकारी आन्दोलन / विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, हत्या, लूट, पथराव, ...
* स्वराज / पूर्ण स्वतंत्रता