Source: Safalta
इस लेख मुख्य बिंदु
1.नीति आयोग ने एनवायरमेंटल पर्सपेक्टिव से और फाइनेंशियल पर्सपेक्टिव से भी एक स्थायी और क्लाइमेट फोरकास्ट अप्रोच अपनाने के लिए जोर दिया है।
2.clean mobility के क्षेत्र में फाइनेंसिंग को बढ़ावा देने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय और डोमेस्टिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन, राज्यों, ऑपरेटरों और निर्माताओं को एक ही मंच पर लाया जाना चाहिए।
3.इसका उद्देश्य भारत के नागरिकों की आवश्यकताओं में संतुलन लाना होगा ताकि उत्पादकता और जीवन-यापन में सुधार हो सके। यह एक स्थायी और क्लाइमेट फोरकास्ट अप्रोच के माध्यम से लॉजिस्टिक्स लागत को कम करके और क्लीन मोबिलिटी में तेजी लाकर किया जा सकता है।
4.एशिया के लिए एनडीसी-परिवहन पहल(NDC-TIA) परियोजना के तहत 'परिवहन के डीकार्बोनाइजेशन के लिए वित्तपोषण' कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस वर्कशॉप का आयोजन 5.नीति आयोग ने विश्व संसाधन संस्थान (World Resources Institute – WRI), भारत और GIZ इंडिया के सहयोग से किया था।
भारत में जलवायु वित्तपोषण की स्थिति
1.घरेलू संसाधनों से वित्तपोषण: भारत के क्लाइमेट एक्शन को अब तक बड़े पैमाने पर घरेलू संसाधनों द्वारा फाइनेंस्ड किया गया है।
2.साल 2014 और 2019 के बीच United Nations Framework Convention on Climate Change-UNFCCC द्वारा जारी भारत की तीसरी द्विवार्षीय रिपोर्ट 2021 के मुताबिक, ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी और ग्रीन क्लाइमेट फंड ने कुल 165.25 मिलियन USD का ग्रांट दिया है।
3.ग्रीन फाइनेंसिंग के लिये धन क्लाइमेट चेंज से संबंधित ग्रीन फाइनेंसिंग प्रमुख रूप से राष्ट्रीय स्वच्छ ऊर्जा कोष (NCEF) और राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (NAF) द्वारा इक्कट्ठा किया जाता है।
5.भारत सरकार क्लाइमेट चेंज के लिये राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत स्थापित आठ मिशनों के माध्यम से फाइनेंसिंग करती है।
6.इसने फाइनेंस मिनिस्ट्री में एक क्लाइमेट चेंज फाइनेंशियल यूनिट(CCFU) की स्थापना की है, जो देश में सभी climate change financing मामलों के लिये प्रमुख नोडल एजेंसी है।
ग्रीन फाइनेंसिंग कैसे मदद करेगी?
नीति आयोग ने कहा है कि ग्रीन फाइनेंसिंग से इलेक्ट्रिक वाहनों का कम ब्याज पर फाइनेंसिंग हो पाएगा। साथ ही, भारत को ट्रांसपोर्टेशन के इलेक्ट्रिफिकेशन के उद्देश्य से एक उचित योजना की आवश्यकता है और ग्रीन फाइनेंसिंग इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ग्रीन फाइनेंसिंग क्या है?
जब फाइनेंस के प्रवाह में निजी, सार्वजनिक, न कि लाभ क्षेत्रों जैसे सूक्ष्म-वित्त, बैंक और अन्य वित्तीय क्षेत्रों से सतत विकास की ओर वृद्धि होती है, तो इसे हरित वित्तपोषण के रूप में जाना जाता है। कोई भी वित्तीय गतिविधि जो बेहतर एनवायरमेंटल कंसीक्वेंसेस को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाई गई है तो वह ग्रीन फाइनेंसिंग कहलाती है।
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