Source: Safalta
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निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध
उल्लेखनीय है कि 28 अप्रैल, 2022 से इंडोनेशिया ने ताड़ के तेल के निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था. यह एक ऐसा फैसला था जिससे वैश्विक खाद्य तेलों के साथ साथ अन्य कई चीजों की कीमतों में भारी उछाल आने का खतरा हो सकता था. क्योंकि ताड़ के तेल (पाम आयल) का प्रयोग घरेलू स्तर पर न केवल खाने के तेल के रूप में बल्कि अन्य भी कई रोजमर्रा की जरुरी वस्तुओं में कॉमन कंपोनेंट के रूपों में जैसे कि कॉस्मेटिक्स, साबुन, चॉकलेट, बॉडी लोशन, डिटर्जेंट, मार्जरीन, केक, सफाई उत्पाद और यहाँ तक की इसका कुछ सीमित मात्रा को डीज़ल आदि में भी एक सामान्य घटक के रूप में प्रयोग किया जाता है.
बुरे समय में आया प्रतिबन्ध का फैसला -
इंडोनेशिया द्वारा 28 अप्रैल से लगा यह प्रतिबंध ऐसे समय में आया जब रूस और यूक्रेन के बीच के युद्ध की वजह से दुनिया भर में पहले से ही खाना पकाने के तेल की कीमतों पर अतिरिक्त दबाव पड़ रहा था. रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से सूरजमुखी का तेल निर्यात अवरुद्ध कर दिया गया था जिससे तेल की वैश्विक कमी शुरू हो चुकी थी. पाम आयल (ताड़ का तेल) के अलावा अगर खाने के अन्य तेलों जैसे कि सन फ्लावर और सोयाबीन ऑयल की बात करें तो इनके उत्पादन के लिए यूक्रेन और रूस सबसे बड़े नाम हैं. ये दोनों देश वैश्विक बाजार का करीब 80 प्रतिशत तेल उत्पादन करते हैं. लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी से शुरू हुए युद्ध के कारण इन दोनों देशों से तेलों की सप्लाई ठप हो गई. ऐसे में जाहिर तौर पर इनकी कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई. सन फ्वावर, रिफाइंड ऑयल और सोयाबीन ऑयल की कमी होने के कारण मजबूरन देशों ने पाम ऑयल की ओर रुख किया. इसके बाद इंडोनेशिया में पाम ऑयल का संकट आ गया और देश ने तेल (पाम आयल) के निर्यात को प्रतिबन्धित कर दिया. इसी के साथ यूएसडीए ने 2021-22 के लिए ब्राजील, अर्जेंटीना और पराग्वे के संयुक्त सोयाबीन उत्पादन में 9.4% की गिरावट का अनुमान लगाया, जो कि 6 वर्षों में महाद्वीप का सबसे कम उत्पादन रहा.
दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक देश
इंडोनेशिया कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश है. भारत इंडोनेशिया और मलेशिया से 8 से 85 लाख टन पाम तेल का आयात करता है. पर प्रतिबन्ध के समय इंडोनेशिया घरेलू खाना पकाने के तेल की कमी से जूझ रहा था और घरेलू उच्च कीमतों पर लगाम कस रहा था. तब वहाँ अप्रैल में निर्यात प्रतिबंध से पहले खाना पकाने के तेल की औसत कीमत (थोक) 19,800 रुपये प्रति लीटर थी और प्रतिबंध के बाद औसत कीमत गिरकर लगभग 17,200 से 17,600 रुपये प्रति लीटर हो गई.
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भारत पर क्यों हुआ प्रभाव ?
पाम ऑयल संकट का भारत पर व्यापक असर पड़ा. दरअसल भारत दुनिया का सबसे बड़ा वनस्पति तेल आयातक देश है. भारत साल में 14-15 मिलियन टन तेल का आयात करता है. इसमें पाम ऑयल का हिस्सा 8-9 मिलियन टन है. इसके बाद सोयाबीन और सनफ्लावर तेल का नंबर आता है जिसके आयात की मात्रा क्रमशः 3-3.5 मिलियन टन और 2.5 मिलियन टन है. इंडोनेशिया पाम ऑयल के मामले में भारत का शीर्ष आपूर्तिकर्ता देश है (मलेशिया 25 प्रतिशत आपूर्ति हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है). ऐसे में अगर वहां तेल संकट आता है तो इसका असर साफ तौर पर भारत पर भी पड़ना हीं है.
इंडोनेशियाई सरकार ने स्वीकार किया कि ताड़ के तेल के निर्यात प्रतिबंध से अंतरराष्ट्रीय उपभोक्ताओं को नुकसान होगा, लेकिन उसके लिए घरेलू, ब्रांडेड खाना पकाने के तेल की कीमत को कम करना भी आवश्यक था जो 14,000 से 15,000 रुपये (US$0.96 से US$1.03) प्रति लीटर से बढ़कर 22,000 रुपये (US$1.52) प्रति लीटर से अधिक हो गया था.
दुनिया का सबसे सस्ता तेल
वैसे तो ये दुनिया का सबसे सस्ता तेल है पर साथ हीं पाम ऑयल (ताड़ का तेल) दुनिया में सबसे अधिक खपत और कारोबार करने वाला खाद्य तेल भी है, जो ताड़ के फलों से बनाया जाता है. ताड़ के पेड़ केवल उष्ण कटिबंध में हीं उगाए जा सकते हैं. ताड़ का तेल एक उच्च गुणवत्ता वाला तेल है. जिसका उपयोग मनुष्य सदियों से करता चला आ रहा है. आइए एक बार देखते हैं कि क्या रहे कारण और किस तरह से बढ़े विश्व स्तर पर तेल के दाम -
सूरजमुखी के बीज का तेल
फरवरी से चले रूस-यूक्रेन युद्ध संकट ने सीपीओ की वृद्धि में योगदान दिया क्योंकि युद्ध से शिपमेंट में गिरावट आई. दोनों देशों का वैश्विक सूरजमुखी तेल उत्पादन दुनिया का 55 प्रतिशत है. यूरोप, भारत और चीन सूरजमुखी के तेल के सबसे बड़े आयातक देश हैं. इसमें भी भारत वनस्पति तेलों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है. सूरजमुखी तेल की आपूर्ति में कमी के विकल्प के रूप में खरीदार देशों ने ताड़ के तेल की ओर रुख किया.
सोयाबीन का तेल
इंडोनेशिया के पाम तेल प्रतिबंध के कारण सोयाबीन तेल की वैश्विक कीमतों में रिकॉर्ड ऊंचाई देखी जा रही है. सोयाबीन तेल के सबसे बड़े निर्यातक देश अर्जेंटीना ने घरेलू खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए मार्च 2022 में तेल के निर्यात को अस्थायी रूप से रोक दिया था. बहरहाल देश ने अंततः निर्यात कर को 31 प्रतिशत से बढ़ाकर 33 प्रतिशत कर दिया है. इसके अलावा, अर्जेंटीना और ब्राजील (सोयाबीन तेल का एक अन्य प्रमुख उत्पादक) में शुष्क मौसम ने भी उत्पादन को काफी प्रभावित किया.
श्वेत सरसों का तेल
इधर कनाडा ने जो दुनिया में कैनोला तेल (एक प्रकार का रेपसीड तेल) का सबसे बड़ा उत्पादक देश है 2021 में सूखे से प्रभावित होने के कारण 2022 के लिए तेल की आपूर्ति कम कर दी.
अमेरिका-चीन का व्यापारिक युद्ध
यूएस-चीन के व्यापार युद्ध ने चीन को ताड़ के तेल पर स्विच करने के लिए प्रेरित किया क्योंकि वह अमेरिकी सोयाबीन तेल पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता था.
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कैसे पड़ा प्रभाव
भारत, चीन, पाकिस्तान और स्पेन इंडोनेशिया के ताड़ के तेल के मुख्य आयातक हैं. मलेशिया दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पाम आयल उत्पादक देश है लेकिन यहाँ श्रम की कमी के कारण दोनों देशों में तेल के उत्पादन दर में भारी अंतर है.
भारत अपने कच्चे पाम तेल का 50 प्रतिशत हिस्सा इंडोनेशिया से प्राप्त करता है. यह मात्रा करीबन 8 मिलियन टन प्रति वर्ष है. प्रतिबंध के साथ, खाद्य तेलों की कीमत जो पहले से ही उच्चतम स्तर पर थी और बढ़ गई. प्रतिबंध से वैश्विक ब्रांडों पर भी खूब असर पड़ा. 2020 में, नेस्ले ने इंडोनेशिया और मलेशिया से लगभग 450,000 टन पाम तेल और पाम कर्नेल तेल खरीदा, जबकि प्रॉक्टर एंड गैंबल ने 2020-2021 के वित्तीय वर्ष के दौरान अपनी विविध प्रकार की सुंदरता और घरेलू श्रेणियों के उत्पादों के लिए लगभग 650,000 टन पाम तेल का आयात किया था. इसका लगभग 70 प्रतिशत पाम तेल इंडोनेशिया और मलेशिया से प्राप्त होता है. अन्य वैश्विक ब्रांड जो ताड़ के तेल पर अत्यधिक निर्भर हैं, उनमें लोरियल, यूनिलीवर, फेरेरो, डैनोन आदि शामिल हैं. प्रतिबंध के जारी रहते उनकी लागत में वृद्धि देखी जा सकती है.
मलेशिया आपूर्ति के अंतर को भर सकेगा ?
मलेशियाई पाम ऑयल बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी की तुलना में मार्च में पाम तेल के निर्यात में 48.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, क्योंकि इंडोनेशिया का पाम तेल प्रतिबंध मलेशिया के लिए फायदेमंद है. हालांकि, देश में आपूर्ति की भरपाई की संभावना नहीं दिख रही है क्योंकि यह देश श्रम की कमी से ग्रस्त है. मलेशिया में पाम तेल कंपनियों को फल की कटाई के लिए श्रमिकों को खोजने में बहुत संघर्ष करना पड़ता है, क्योंकि स्थानीय लोगों द्वारा इस काम को गंदा और छोटा काम माना जाता है. मलेशिया में लगभग 80 प्रतिशत ताड़ बगानों में विदेशी श्रमिक हीं काम करते हैं, जिनमे से अधिकांश श्रमिक इंडोनेशिया के हैं.
हर 10 से 14 दिनों में एक बार ताड़ के फल की कटाई की जाती है. लेकिन श्रमिकों की कमी की वजह से छोटे किसान महीने में एक बार हीं फल की कटाई करवा पाते हैं. कई बगानों ने स्थानीय श्रमिकों को उच्च मजदूरी, मुफ्त आवास और सब्सिडी वाली उपयोगिताओं के साथ आकर्षित करने की कोशिश की. फिर भी काम पर रखे गए लगभग आधे कर्मचारियों ने अपनी नौकरी छोड़ दी. इधर COVID-19 महामारी के प्रसार को रोकने के लिए सरकार द्वारा पिछले दो वर्षों में प्रवासी श्रमिकों की भर्ती पर रोक लगा दी गयी. वर्तमान में, देश श्रमिकों की कमी को पूरा करने के लिए 180,000 तक विदेशी श्रमिकों को लाने की प्रक्रिया में है.
इंडोनेशिया की बदलती पाम तेल नीतियां
इंडोनेशिया के वित्त मंत्री मुल्यानी इंद्रावती ने कहा कि सरकार जानती है कि पाम आयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से राजस्व में प्रति माह छह लाख करोड़ ट्रिलियन रूपए के घाटे का अनुमान है.
हटा लिया गया है प्रतिबन्ध
इंडोनेशिया में पाम तेल का उत्पादन देश के राजस्व का प्रमुख स्रोत है. रिपोर्ट के मुताबिक, पाम आयल के निर्यात पर बैन के बाद से इंडोनेशिया में स्टॉक फुल हो चुका है, अगर प्रतिबंध जारी रखा गया तो ताड़ के किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता था. इन सब वजहों के मद्देनजर इंडोनेशिया की सरकार ने पाम ऑयल के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है.इंडोनेशिया में मई की शुरुआत में तेल का घरेलू स्टॉक लगभग 50.80 लाख टन तक पहुंच गया. इस तरह घरेलू आपूर्ति दर सही होते हीं तेल के निर्यात से प्रतिबन्ध हटा लिया गया है.
कितना तेल इस्तेमाल करते हैं हम
भारत में हर साल 2.5 करोड़ टन खाने का तेल इस्तेमाल होता है, लेकिन हमारा घरेलू उत्पादन सिर्फ 1.11 करोड़ टन ही है. तेलों की मांग और आपूर्ति का फ़ासला क़रीब 56 फ़ीसदी का है. इस कमी को आयात के ज़रिए हीं पाटा जाता है.
2012 में भारत में प्रति व्यक्ति खाद्य तेल की खपत 14.2 लीटर थी लेकिन अब ये बढ़ कर 19-19.5 लीटर तक पहुंच चुकी है. 2019-20 में भारत में 1.34 करोड़ टन खाद्य तेल बाहर से मंगाया गया और इसकी कीमत 61,559 करोड़ रुपए थी.
क्यों पाम आयल को अदृश्य तेल भी कहते हैं
भारत बाहर से जो तेल मंगाता है, उसमें सबसे ज्यादा हिस्सा लगभग 60 फ़ीसदी पाम ऑयल का है. बाहर से मंगाए जाने वाले खाने के तेल में सोयाबीन तेल की हिस्सेदारी 25 फीसदी और सूरजमूखी के तेल की हिस्सेदारी 12 फ़ीसदी है.
पाम आयल को ‘अदृश्य’ तेल भी कहते हैं. क्योंकि यह किचन में तो नज़र नहीं आता है लेकिन इसका इस्तेमाल ब्रेड, नूडल्स, मिठाइयों और नमकीन से लेकर कॉस्मेटिक्स, साबुन, डिटर्जेंट जैसे विभिन्न उत्पाद बनाने में व्यापक रूप से किया जाता है.
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पाम ऑयल और हमारी रोजाना की जिंदगी -
आइए एक नज़र डालते हैं कि हम अपनी रोजाना की जिंदगी में पाम आयल का कितना इस्तेमाल करते हैं -
खाद्य रूप में कितना पाम आयल हम खा जाते हैं
कुकिंग ऑयल के रूप में – भारत में बिकने वाले तमाम कुकिंग आयल में पाम आयल को कम या ज्यादा मात्रा में मिलाया जाता है. यानि हमारी रसोई में भले हीं कोई भी खाद्य तेल इस्तेमाल किया जा रहा हो उसमें पाम आयल निश्चित रूप में मिक्स है.
नूडल्स – इंस्टैंट हों या फिर पैकेज्ड नूडल्स, हमारे इस्तेमाल किचन में इस्तेमाल किए जाने वाले सभी नूडल्स में पाम आयल का इस्तेमाल किया जाता है. नूडल्स में इसकी मात्रा 20 फीसदी तक हो सकती है. ब्रेड- पैकेज्ड ब्रेड में भी पाम आयल का इस्तेमाल होता है. इस तेल से हीं ब्रेड आकार में बने रहते हैं और आसानी से बेक्ड हो जाते हैं. कुकीज – पाम आयल कुकीज के टेस्ट को क्रीमी बनाता है, कूकीज को सेमी सॉलिड स्थिति में रखता है और रूम तापमान पर पिघलने से बचाता है. पिज्जा – पिज्जा में पाम आयल इस्तेमाल किया जाता है. पाम आयल पिज़्ज़ा को सिकुड़ने से बचाता है और इसके टैक्सचर को भी बेहतर रखता है. आइसक्रीम – पाम ऑयल आइसक्रीम को क्रीमी और स्मूथ बनाता है. चॉकलेट – पाम आयल की वजह से हीं चॉकलेट चमकीला होता है और रुम तापमान पर नहीं पिघलता.
रोजमर्रा की चीजों में
शैंपू – शैंपू में पाम ऑयल एक कंडीशनर एजेंट की तरह काम करता है. यह बालों को नेचुरल तेल देने में मदद करता है. डिटर्जेंट – पाम आयल को रिफाइन कर इसका साबुन, वाशिंग पाउडर और दूसरे क्लीनिंग उत्पादों में इस्तेमाल किया जाता है. लिपिस्टिक – पाम आयल लिपिस्टिक को पिघलने नहीं देता. स्मूथ रखता है और इसके रंग को बरकरार रखता है. साबुन – पाम आयल साबुनों में एक खास तरह से इस्तेमाल होता है जिससे हमारी त्वचा का आयल बैलेंस बरकरार रहता है और त्वचा की नमी बनी रहती है. यह साबुन में क्लीनजिंग एजेंट के तौर पर भी इस्तेमाल होता है. पाम आयल में बालों और त्वचा से गंदगी हटाने की क्षमता है.