राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey- NFHS) पूरे भारत में बड़े पैमाने पर किया जाने वाला एक बहु-स्तरीय सर्वेक्षण है. इस सर्वेक्षण में भारत में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर निम्न मुद्दों पर जानकारी प्रदान की जाती है
- परिवार नियोजन.
- मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य.
- प्रजनन क्षमता.
- प्रजनन स्वास्थ्य.
- पोषण.
- एनीमिया.
- शिशु और बाल मृत्यु दर.
- स्वास्थ्य एवं परिवार नियोजन सेवाओं का उपयोग और गुणवत्ता.
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Source: Safalta
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के प्रमुख उद्देश्य -
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर जानकारी देना.
- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय तथा अन्य एजेंसियों द्वारा नीति निर्माण व अन्य कार्यक्रम के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर अपेक्षित आवश्यक डेटा प्रदान करना.
- राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के विभिन्न चरणों का वित्तपोषण, बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूनिसेफ, UNFPA तथा MoHFW (भारत सरकार) द्वारा प्रदान किया जाता है.
- इस सर्वेक्षण के लिये मुंबई स्थित अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करता है और भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर डिपार्टमेंट (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय) के द्वारा इसे कोओर्डीनेशन और टेक्निकल गाइडेंस प्रदान किया जाता है.
अंतर्राष्ट्रीय विकास के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका एजेंसी (USAID)
अमेरिकी कोंग्रेस ने 4 सितंबर, 1961 को एक विदेशी सहायता अधिनियम पारित किया था जिसने अमेरिकी विदेशी सहायता कार्यक्रमों को पुनर्गठित एवं आर्थिक सहायता के लिये एक एजेंसी के निर्माण को बनाया गया. यह पहला अमेरिकी विदेशी सहायता संगठन है जिसका प्राथमिक लक्ष्य दीर्घकालिक सामाजिक आर्थिक विकास पर ध्यान देना है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण
- पहला राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-1) वर्ष 1992-93 में आयोजित किया गया था.
- दूसरा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-2) भारत के सभी 26 राज्यों में वर्ष 1998-99 में आयोजित किया गया था.
यह परियोजना UNICEF की अतिरिक्त सहायता के साथ USAID द्वारा वित्तपोषित थी.
- तीसरा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-3) वर्ष 2005-2006 में NFHS-3 की वित्तीय सहायता USAID, अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग (UK), बिल और मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन, यूनिसेफ, UNFPA और भारत सरकार द्वारा किया गया था.
- चौथा राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-4) वर्ष 2014-2015 में आयोजित किया गया था. जिसमे 29 राज्यों के अलावा NFHS-4 में पहली बार सभी छह केंद्रशासित प्रदेश शामिल थे.
- सर्वेक्षण में घरेलू हिंसा, HIV तथा HIV से ग्रसित लोगों के प्रति दृष्टिकोण, प्रजनन, शिशु एवं बाल मृत्यु दर, मातृ और शिशु स्वास्थ्य, प्रसवकालीन मृत्यु दर, किशोर प्रजनन स्वास्थ्य, उच्च जोखिम वाले यौन व्यवहार, सुरक्षित इंजेक्शन, तपेदिक व मलेरिया, संचारी और गैर-संचारी रोग सहित स्वास्थ्य से संबंधित कई मुद्दों को शामिल किया गया था.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS)- 5
- NFHS-5 में वर्ष 2019-20 के दौरान हुए इस सर्वेक्षण में लगभग 6.1 लाख घरों का सर्वेक्षण किया गया.
- NFHS-5 कई मायनों में NFHS-4 के समान हीं थे जो समय के साथ तुलना करने के लिये वर्ष 2015-16 में कराए गए थे.
- कोविड-19 महामारी के कारण सर्वेक्षण के चरण 2 में देर हो गई तथा इसके सभी परिणाम मई 2021 में उपलब्ध कराए गए.
- NFHS-5 में कुछ नए विषयों को शामिल किया गया जैसे- मृत्यु पंजीकरण, पूर्व स्कूली शिक्षा, दिव्यांगता, शौचालय की सुविधा, मासिक धर्म के दौरान स्नान करने की पद्धति और गर्भपात के तरीके आदि.
NFHS-5 के मुख्य निष्कर्ष -
लिंगानुपात
- अधिकांश राज्यों में लिंगानुपात सामान्यतः 952 या उससे भी अधिक है.
- जबकि तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश, गोवा, दादरा नगर हवेली और दमन तथा दीव में जन्म के समय लिंगानुपात 900 से नीचे है.
- जन्म के समय लैंगिक अनुपात (SRB) से आशय यह है कि देश में प्रति 1,000 पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या कितनी है. यह एक महत्त्वपूर्ण संकेतक है जिससे पता चलता है कि आज भी बेटियों के बजाय बेटों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है.
बाल विवाह
- देश के कुछ राज्यों में बाल विवाह के मामलों में वृद्धि देखी गई जिनमें त्रिपुरा (वर्ष 2015-16 से बढ़कर 40.1%), मणिपुर (वर्ष 2015-16 बढ़कर 16.3%) और असम (वर्ष 2015-16 से बढ़कर 31.8%) प्रमुख हैं.
- इसके अलावा त्रिपुरा, मणिपुर, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और नागालैंड जैसे राज्यों में किशोरावस्था में गर्भधारण के मामलों में वृद्धि देखी गई.
शिशु और बाल मृत्यु
- अधिकांश राज्यों में शिशु और बाल मृत्यु दर में गिरावट आई है.
- सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, गोवा एवं असम में नवजात मृत्यु दर (NMR), शिशु मृत्यु दर (IMR) और बाल मृत्यु दर (U5MR) में कमी देखी गई.
- त्रिपुरा, अंडमान एवं निकोबार द्वीप, मेघालय और मणिपुर में बाल मृत्यु दर के तीनों मामलों में एक समान वृद्धि.
- बिहार में नवजात मृत्यु दर (34), शिशु मृत्यु दर (47) एवं बाल मृत्यु दर (56) के मामलों में सर्वाधिक वृद्धि जबकि केरल में मृत्यु दर सबसे कम देखी गयी.
- जबकि महाराष्ट्र में बाल मृत्यु दर पिछले पाँच वर्षों में अपरिवर्तित रही.
घरेलू हिंसा
- सिक्किम, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, असम और कर्नाटक में घरेलू हिंसा के मामलों में वृद्धि देखी गई.
- कर्नाटक में घरेलू हिंसा के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई.
प्रजनन दर
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कुल प्रजनन दर में कमी आई है.
- कुल 22 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में से 19 में प्रजनन दर घटकर (2.1) पर आ गई है.
- जबकि मणिपुर (2.2), मेघालय (2.9) और बिहार (3.0) में यह दर अभी भी निर्धारित प्रतिस्थापन स्तर से ऊपर है.
गर्भनिरोधक
गर्भनिरोधक के आधुनिक तरीकों के उपयोग के मामले में अधिकांश राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में काफी वृद्धि हुई है. जिसमे हिमाचल प्रदेश और पश्चिम बंगाल में यह दर सबसे ज्यादा है.
बैंक खाते
महिलाओं द्वारा परिचालित बैंक खातों के संबंध में उल्लेखनीय प्रगति दर्ज की गई है.
टीकाकरण
- 12-23 महीने की आयु के बच्चों में पूर्ण टीकाकरण अभियान के मामले में पर्याप्त सुधार दर्ज किया गया है.
नगालैंड, मेघालय और असम को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में दो-तिहाई से अधिक बच्चों का टीकाकरण करवा कर उन्हें पूरी तरह से प्रतिरक्षित किया जा चुका है. लगभग तीन-चौथाई ज़िलों के 12-23 महीने की आयु के 70 प्रतिशत से भी अधिक बच्चों को बचपन की बीमारियों से पूरी तरह से प्रतिरक्षित कर दिया गया है.
संस्थागत प्रसव
- कुल 22 में से 14 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में संस्थागत प्रसव का स्तर 90% से अधिक है.
पाँच में से चार से भी अधिक महिलाओं के संस्थागत प्रसव के साथ इसमें व्यापक वृद्धि देखने को मिली है.
- संस्थागत प्रसव में वृद्धि के साथ सिजेरियन सेक्शन (सी-सेक्शन) से होने वाले प्रसवों में भी पर्याप्त वृद्धि हुई है.
एनीमिया
सर्वेक्षण में शामिल 22 में से 13 प्रदेशों में आधे से अधिक बच्चे और महिलाएँ एनीमिया से ग्रसित हैं.
NFHS-5 में निम्न नए क्षेत्र शामिल किये गए
- बाल टीकाकरण का विस्तार.
- बच्चों के लिये सूक्ष्म पोषक तत्त्वों के घटक.
- शराब और तंबाकू के उपयोग की आवृत्ति.
- गैर-संचारी रोगों के अतिरिक्त घटक (NCD).
- मासिक धर्म स्वच्छता.