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राष्ट्रीय कानूनी सेवा दिवस का इतिहास
11 अक्टूबर 1987 को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 अधिनियमित किया गया था, और यह अधिनियम 9 नवंबर 1995 को प्रभावी हुआ था। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण का गठन कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के तहत 5 दिसंबर 1995 को समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त कानूनी सेवाएं प्रोवाइड करने और विवादों के सौहार्दपूर्ण समाधान करने के लिए लोक अदालतों का आयोजन करने के लिए किया गया था। यह सभी नागरिकों के लिए उचित निष्पक्ष और न्याय प्रक्रिया सुनिश्चित करने एवं जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 9 नवंबर को राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय विधिक सेवा दिवस की शुरुआत 1995 में हुई थी।
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण क्या है
राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी का गठन विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के अंतर्गत देश में कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सेवा देने के लिए और विवादों के समाधान के लिए लोक अदालतों का आयोजन किया गया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश इसके मुख्य संरक्षक होते हैं और भारत के सर्वोच्च न्यायालय के दूसरे वरिष्ठ न्यायाधीश प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष होते हैं। संविधान के अनुच्छेद 39a अवसर की समानता के आधार पर न्याय को बढ़ावा देने के लिए समाज के गरीब एवं कमजोर वर्गों को निःशुल्क कानूनी सेवा प्रोवाइड करवाने का प्रावधान रखता है। अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 22(1) विधि के समक्ष समानता सुनिश्चित करने के लिए राज्य को बाध्य करता है।
नालसा नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कार्य
नालसा देशभर में कानूनी सहायता कार्यक्रम एवं योजनाएं लागू करने के लिए राज्य कानून सेवा प्राधिकरण पर गाइडलाइन जारी करता है। मुख्य रूप से राज्य कानून सहायता प्राधिकरण, जिला कानूनी सहायता प्राधिकरण, तालुक कानूनी सहायता समिति आदि को निम्नलिखित कार्य नियमित आधार पर करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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1. सुपात्र लोगों को निःशुल्क कानूनी सहायता देना।
2. विवाद को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटने के लिए लोक अदालतों का संचालन करना।
मुफ्त विधिक सेवाएं कौन-कौन सी हैं
1. किसी कानूनी कार्यवाही में कोर्ट फीस और अन्य सभी प्रकार प्रभार अदा करना।
2. कानूनी कार्यवाही में वकील उपलब्ध करवाना।
3. कानूनी कार्यवाही में आदेशों की प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करना।
4. कानूनी कार्यवाही में अपील एवं दस्तावेज के अनुवाद और छपाई सहित पेपर बुक तैयार करवाना।
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मुफ्त कानूनी सहायता पाने के लिए कौन-कौन पात्र हैं
महिलाएं एवं बच्चे, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के सदस्य, औद्योगिक श्रमिक, बड़ी आपदाओं जैसे हिंसा, बाढ़, सूखे, भूकंप एवं औद्योगिक आपदाओं आदि के शिकार लोग, विकलांग लोग, हिरासत में रखे गए लोग, ऐसे व्यक्ति जिनकी वार्षिक आय ₹100000 से अधिक नहीं है, बेगार या अवैध मानव तस्करी या व्यापार के शिकार लोग मुफ्त कानूनी सहायता पाने के लिए पात्र हैं।
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