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क्षमादान का प्रावधान
भारत के संविधान के अनुच्छेद 72 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान देने का प्रावधान है. इसमें राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्तियों का वर्णन किया गया है. अगर राष्ट्रपति चाहें तो किसी दोषी व्यक्ति के दंड को माफ़ कर सकते हैं, सजा कम कर सकते हैं, या फ़िर दंड की प्रवृत्ति को बदल सकते हैं.
जब किसी भी मामले में किसी अपराधी को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलती, उसकी फांसी/ आजीवन कारावास/ सश्रम कारावास इत्यादि की सज़ा बरक़रार रहती है या ऐसा कोई मामला हो जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने खुद दोषी को ये सज़ा दी हो तो वह व्यक्ति सीधे राष्ट्रपति के दफ्तर में लिखित रूप में अपनी याचिका भेज सकता है.
राष्ट्रपति पांच प्रकार से क्षमादान दे सकते हैं -
1) क्षमा (Pardon)
2) लघुकरण (Commute)
3) परिहार्य (Remission)
4) प्रतिलंबन (Reprieve)
5) विराम (Respite)
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पांच प्रकार के क्षमादान –
1) क्षमा – जैसा कि नाम से हीं स्पष्ट है. इस शक्ति का प्रयोग कर राष्ट्रपति किसी आरोपी की सजा को पूर्णतः क्षमा कर उसे आरोपों से मुक्त कर सकते हैं.
2) लघुकरण – इसके तहत राष्ट्रपति सज़ा को कम कर सकते हैं. जैसे : मृत्युदंड को आजीवन कारावास में या सश्रम कारावास में बदल सकते हैं.
3) परिहार्य – दंड की अवधि का परिहार. इसके अंतर्गत राष्ट्रपति दंड की प्रकृति में परिवर्तन किये बिना उसकी अवधि को कम कर सकते हैं. जैसे : 20 वर्षों के कारावास को 10 वर्षों का कर देना.
4) प्रतिलंबन – इसके अंतर्गत राष्ट्रपति किसी दंड (विशेषकर मृत्युदंड) का प्रतिलंबन कर सकते हैं ताकि व्यक्ति क्षमा याचना के लिए अपील कर सके.
5) विराम – राष्ट्रपति को यह विशेषाधिकार है कि वह आरोपी की मूल सज़ा को किसी विशेष परिस्थिति के कारणस्वरुप अस्थायी रूप से रोक सकते हैं. जैसे : शारीरिक अपंगता, गर्भावस्था की अवस्था इत्यादि इसके अलावा राष्ट्रपति अगर किसी आरोपी को क्षमादान देते हैं तो वह किसी भी व्यक्ति को अपने निर्णय के कारणों को बताने के लिए किसी भी प्रकार से बाध्य नहीं हैं और ना हीं उनके निर्णय का कोई न्यायिक पुर्नावलोकन किया जा सकता है. हालाँकि कुछ परिस्थितियों में पुर्नावलोकन किया जा सकता है जैसे कि अगर अपनी मनमानी की गयी हो, राष्ट्रपति के पद का फायदा उठाया जा रहा हो, द्वेषपूर्ण व्यवहार किया गया हो या कोई गैर-कानूनी कार्य किया गया हो. अगर ऐसे किसी कारण से राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला बदल कर आरोपी को क्षमादान दिया हो तो इससे सुप्रीम कोर्ट का मान कम होता है. इस परिस्थिति में पुर्नावलोकन तो होगा हीं साथ हीं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 के अंतर्गत राष्ट्रपति पर महाभियोग की कार्यवाही भी की जा सकती है. भारत में अब तक सभी राष्ट्रपतियों ने अधिकतर लघुकरण और परिहार्य क्षमादान हीं दिए हैं.