मदर टेरेसा जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कलकत्ता की
संत टेरेसा के नाम से जाना जाता हैं।
मदर टेरसा रोमन कैथोलिक नन थीं,जिन्होंने 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता ले ली थी।इन्होंने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की स्थापना की।
45 सालों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की इन्होंने मदद की और साथ ही मिशनरीज ऑफ़ चैरिटी के प्रसार का भी मार्ग प्रशस्त किया।
मदर टेरेसा का प्रारंभिक जीवन
मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को स्कॉप्जे (अब मेसीडोनिया में) में हुआ था। इनके पिता निकोला बोयाजू एक साधारण व्यवसायी थे।
मदर टेरेसा का वास्तविक नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ था। जब वह मात्र आठ साल की थीं तभी इनके पिता का निधन हो गया, जिसके बाद इनके लालन-पालन की सारी जिम्मेदारी इनकी माता
द्राना बोयाजू के ऊपर आ गयी। उन्होंने अपना सारा जीवन मानव सेवा में लगायेंगी और 18 साल की उम्र में इन्होंने ‘सिस्टर्स ऑफ़ लोरेटो’ में शामिल होने का फैसला ले लिया। तत्पश्चात यह आयरलैंड गयीं जहाँ इन्होंने अंग्रेजी भाषा सीखी। अंग्रेजी सीखना इसलिए जरुरी था क्योंकि ‘लोरेटो’ की सिस्टर्स इसी माध्यम में बच्चों को भारत में पढ़ाती थीं। 1981 में आवेश ने अपना नाम बदलकर
टेरेसा रख लिया और उन्होने आजीवन सेवा का संकल्प अपना लिया। जब
मदर टेरेसा अपने वार्षिक छुट्टी पर दार्जिलिंग जा रही थी। उसी समय मेरी अन्तरात्मा से आवाज़ उठी थी कि मुझे सब कुछ त्याग कर देना चाहिए और अपना जीवन ईश्वर एवं
दरिद्र नारायण की सेवा कर के कंगाल तन को समर्पित कर देना चाहिए।"
FREE Current Affairs Ebook- Download Now.
मदर टेरेसा का पुरस्कार व सम्मान
मदर टेरेसा को 1931 मे पोपजान तेइसवें का शांति पुरस्कार और धर्म की प्रगति के टेम्पेलटन फाउण्डेशन पुरस्कार प्रदान किय गया।
भारत सरकार द्वारा मदर टेरेसा को 1962 में 'पद्म श्री' की उपाधि मिली।
MS Dhoni Biography: पढ़िए कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी का जीवन परिचय
1988 में ब्रिटेन द्वारा 'आईर ओफ द ब्रिटिश इम्पायर' की उपाधि प्रदान की गयी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने उन्हें डी-लिट की उपाधि से विभूषित किया।
19 दिसंबर 1979 को
मदर टेरेसा को मानव-कल्याण कार्यों के हेतु नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया। वह तीसरी भारतीय नागरिक है जो संसार में इस पुरस्कार से सम्मानित की गयी थीं।
मदर टेरेसा के हेतु नोबल पुरस्कार की घोषणा ने जहां विश्व की पीडित जनता में प्रसन्नत का संछार हुआ है, वही प्रत्येक भारतीय नागरिकों ने अपने को गौर्वान्वित अनुभव किया। और अंत में 5 सितम्बर 1997 मे मदर टेरेसा 87 वर्ष कि उमर मे दुनिया को छोर गई।