Difference Between Cyber Stalking and Cyber Bullying, साइबर स्टाकिंग और साइबर बुलिंग के बीच क्या है अंतर, जानिये यहाँ

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Sat, 17 Sep 2022 07:21 PM IST

Highlights

आज जिस टॉपिक पर हम बात करने वाले हैं वह टेक्नोलॉजी के उज्जवल पक्ष का दूसरा पहलू यानि कि डार्क साइड है. साइबर टेक्नोलॉजी ने दुनिया को तरक्की की बुलन्दियों पर पहुँचाया पर कुत्सित बुद्धि के लोगों ने यहाँ भी गंदगी फ़ैलाने के विकृत तरीके ढूंढ लिए. जीहाँ हमारा आज का विषय यानि साइबर स्टाकिंग और साइबर बुलिंग इन्हीं बातें से सम्बन्धित है. तो आइए जानते हैं कि साइबर स्टाकिंग और साइबर बुलिंग कहते किसे हैं और इनमें फर्क क्या है. 

Free Demo Classes

Register here for Free Demo Classes

Please fill the name
Please enter only 10 digit mobile number
Please select course
Please fill the email
Something went wrong!
Download App & Start Learning
हेलो दोस्तों, जैसा कि हम सभी को मालूम है कि हर उजले पक्ष का एक अँधेरा पहलू भी होता है. तो आज जिस टॉपिक पर हम बात करने वाले हैं वह टेक्नोलॉजी के उज्जवल पक्ष का दूसरा पहलू यानि कि डार्क साइड है. साइबर टेक्नोलॉजी ने दुनिया को तरक्की की बुलन्दियों पर पहुँचाया पर कुत्सित बुद्धि के लोगों ने यहाँ भी गंदगी फ़ैलाने के विकृत तरीके ढूंढ लिए. जीहाँ हमारा आज का विषय यानि साइबर स्टाकिंग और साइबर बुलिंग इन्हीं बातें से सम्बन्धित है. तो आइए जानते हैं कि साइबर स्टाकिंग और साइबर बुलिंग कहते किसे हैं और इनमें फर्क क्या है, इन अपराधों को कैसे रोका जा सकता है और भारतीय दण्ड संहिता में इससे सम्बन्धित कानून के बारे में. 
September Month Current Affairs Magazine DOWNLOAD NOW 


साइबर बुलिंग

साइबर बुलिंग यानि इन्टरनेट के माध्यम से किसी को डराना, धमकाना या धौंसिया कर भयभीत करने की कोशिश करना. देखा जाए तो साइबर बुलिंग, साइबर स्टॉकिंग और साइबर हैरेसमेंट तीनों एक हीं प्रकार के अपराध की सूची में आते हैं जो इन्टरनेट के माध्यम से किए जाते हैं. साइबर बुलिंग में किसी व्यक्ति को परेशान या ब्लैकमेल किया जाता है. किसी व्यक्ति को फोन, इंटरनेट, सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से उसकी फोटो या किसी आपत्तिजनक चैट को गलत तरीके से अन्य जगह पर शेयर करके, गलत कमेंट करके उसकी छवि को बिगाड़ने की कोशिश करना, उसे धमकाना जिसकी वजह से उस व्यक्ति को मानसिक कष्ट पहुँचे ''साइबर बुलिंग'' कहलाता है. इस तरह की हरकतों को साइबर अपराध की श्रेणी में रखा गया है.
आज भारत समेत पूरी दुनिया में साइबर बुलिंग के मामले बढ़ते जा रहे हैं जिस पर प्रतिबन्ध लगना अत्यंत आवश्यक है. देखा जाए तो सबसे ज्यादा साइबर बुलिंग के शिकार लडकियाँ और नाबालिग बच्चे होते हैं. अपराधी मानसिकता के लोग साइबर बुलिंग के माध्यम से दवाब बना कर किसी भी व्यक्ति को ब्लैकमेल कर उससे मनचाहा कार्य करवा लेता है.
 

कैसे रुके साइबर बुलिंग

साइबर बुलिंग को रोकने के लिए आपको अपने स्तर से कुछ प्रयास जरुर करने चाहिए. आइए नज़र डालते हैं कुछ कारगर पॉइंट्स पर, पढ़े और फॉलो करें.
  • यदि आपको ऑनलाइन डिस्कसन साइट्स (फोरम वेबसाइट) या किसी अन्य सोशल प्लेटफार्म पर परेशान किया जा रहा है तो बिना विलम्ब किए तुरंत उस जगह से निकल जाएँ.
  • अगर आपको फेसबुक, टि्वटर या व्हाट्सएप आदि पर भी तंग किया जा रहा है तो इसकी रिपोर्ट कीजिए.
  • अगर कोई आपको बार-बार धमकी दे रहा है तो नज़रअंदाज न करें, पुलिस में उसकी रिपोर्ट दर्ज कराएँ.
  • यदि पुलिस के द्वारा किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाए तो न्याय के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए.
  • बच्चों को अकेले न छोड़ें जब वे ऑनलाइन रहें उनके साथ रहने की कोशिश करें, उन्हें साइबर बुलिंग के खतरे के बारे में जागरूक करते रहें.
  • अपने बच्चों की ब्राउजिंग हिस्ट्री पर आपको नजर रखनी चाहिए.
  • साइबर बुलिंग के शिकार होने पर आपको आपके नजदीकी पुलिस स्टेशन पर जाकर साइबर क्राइम सेल में इसके खिलाफ शिकायत दर्ज करानी चाहिए. साइबर क्राइम ब्रांच हीं इसका समाधान कर सकेगा.
  • साइबर बुलीइंग करने वाला व्यक्ति या तो हैकर हो सकता है या फिर वह आपका कोई परिचित भी हो सकता है जो इन्टरनेट की आड़ में छुप कर ये सब कर रहा होता है, ताकि पहचाना न जा सके. आप बारीकी से परख कर उसके लहज़े से उसकी पहचान का अनुमान भी कर सकते हैं.
 
What is Cyber Stalking, क्या आप जानते हैं कि साइबर स्टाकिंग क्या है?
 

साइबर स्टॉकिंग

साइबर स्टॉकिंग, साइबरबुलिंग का हीं गंभीर रुप है. साइबर स्टॉकिंग एक क्रिमिनल अपराध है. सोशल मीडिया पर किसी को स्टॉक करना, उन्हें ट्रोल करना और धमकी भरे कमेंट भेजना साइबर स्टॉकिंग के अंतर्गत आता है. विक्टिम के नाम पर झूठे सोशल मीडिया प्रोफाइल या ब्लॉग बनाकर पहचान की चोरी करना, सोशल मीडिया ऐप का प्रयोग करके धमकियाँ, लगातार निगरानी, झूठे आरोप तथा पीछा करना भी साइबर स्टॉकिंग में शामिल है. इसमें टारगेट किए जा रहे व्यक्ति के शारीरिक नुकसान का खतरा अधिक हो सकता है. साइबर स्टॉकिंग करने वाले क्रिमिनल को इसके परिणामस्वरूप जेल की सज़ा भी हो सकती हैं. यह साइबर बुलिंग का हीं जघन्य रूप है.
साइबर स्टॉकिंग में व्यक्ति से मिले या बिना मिले और जाने बगैर उसके बारे में छोटी से छोटी जानकारी भी हासिल करने की कोशिश की जाती है. एक साइबर स्टॉकर सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म समेत एसएमएस, फोन कॉल, ईमेल आदि के जरिए विक्टिम को ट्रैक करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाता है. साइबर स्टॉकिंग के जरिये अपराधी विक्टिम की तस्वीरें, एड्रेस, कांटेक्ट नं., पता ठिकाना जैसे व्यक्तिगत जानकारी की चीजों को सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों और मोबाइल ऐप के माध्यम से एक्सेस करने की कोशिश करता है और इस जानकारी का प्रयोग वह विक्टिम को धमकाने, ब्लैकमेल करने या शारीरिक रूप से संपर्क करने के लिए कर सकता है.

 
Attempt Free Mock Test - Click here
Attempt Free Daily General Awareness Quiz - Click here
Attempt Free Daily Quantitative Aptitude Quiz - Click here
Attempt Free Daily Reasoning Quiz - Click here
Attempt Free Daily General English Quiz - Click here
Attempt Free Daily Current Affair Quiz - Click here

साइबर स्टॉकिंग पर भारतीय कानून

जैसा कि हम जानते हैं कि आज से 10 साल पहले तक सोशल मीडिया का इस्तेमाल इतना ज्यादा लोकप्रिय नहीं था. भारतीय दंड संहिता की बात करें तो साल 2013 के पहले तक आईपीसी (INDIAN PANEL CODE) में स्टॉकिंग पर सीधे किसी प्रकार का दण्ड प्रावधान नहीं था. इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी अधिनियम 2000 के तहत कुछ नियम साइबर स्टॉकिंग पर मिलते हैं. पर इस अधिनियम में सीधे तौर पर साइबर स्टॉकिंग की बात पर कोई प्रावधान नहीं है (अधिनियम के कुछ हिस्सों के तहत साइबर स्टॉकिंग पर चार्ज किया जा सकता है.) साल 2013 में संशोधन अधिनियम के मार्फ़त IPC की ''धारा 354 D'' को लाया गया. इस धारा के बारे में जस्टिस वर्मा कमेटी ने अपनी एक रिपोर्ट पेश की. इस 'बिल ऑफ़ राइट्स' में प्रत्येक महिला को 'राइट टू सिक्योर स्पेस' की बात कही गई. यानि कि सभी महिला के पास बिना किसी भय के पब्लिक स्पेस को इस्तेमाल करने का अधिकार है.
आगे आईपीसी की धारा 354 D में कहा गया है कि

1. ऐसा कोई पुरुष जो -
  • जो किसी स्त्री द्वारा इंटरनेट, ई-मेल या किसी अन्य फार्मेट की इलेक्ट्रॉनिक संसूचना का प्रयोग किए जाने को मॉनिटर करता है, वह पीछा का अपराध करता है.
  • अगर कोई व्यक्ति आप पर नज़र रखता है या जासूसी करता है और जिसके कारण हिंसा का डर/ भय/ गंभीर चिंता हो. विक्टिम लगातार मानसिक तनाव महसूस करता हो या विक्टिम की मानसिक शान्ति में बाधा उत्पन्न हो रही हो तो वह व्यक्ति स्टॉकिंग का अपराध करता है.

2. साइबर स्टॉकिंग के तहत मिश्रित अपराधों में धारा 354 D के साथ अन्य धाराएँ भी लागू होती है जैसे-
  • अगर कोई व्यक्ति स्टॉक करने के साथ हीं साथ लगातार अभद्र सन्देश भेज रहा है.
  • अभद्र फोटो भेजता है तो आईटी एक्ट की धारा 67A के तहत उसके खिलाफ अपराध दर्ज हो सकता है.
  • IPC की धारा 67A यौन रूप से स्पष्ट किसी भी सामग्री को इलेक्ट्रॉनिक साधन द्वारा प्रकाशित या प्रेषित करने पर दंड का प्रावधान करती है.
  • इसके अलावा इस सन्दर्भ में IPC की धारा 509 का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.

3. अगर कोई व्यक्ति आपको स्टॉक करने के साथ साथ लगातार धमकी भरे सन्देश भेज रहा है तो IPC की धारा 506 के तहत उसके खिलाफ अपराध दर्ज कराया जा सकता है.
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 506 धमकी देने से सम्बन्धित अपराध में दंड का प्रावधान करती है.

Free Demo Classes

Register here for Free Demo Classes

Trending Courses

Professional Certification Programme in Digital Marketing (Batch-11)
Professional Certification Programme in Digital Marketing (Batch-11)

Now at just ₹ 49999 ₹ 9999950% off

Advanced Certification in Digital Marketing Online Programme (Batch-29)
Advanced Certification in Digital Marketing Online Programme (Batch-29)

Now at just ₹ 24999 ₹ 3599931% off

Advanced Certification in Digital Marketing Classroom Programme (Batch-3)
Advanced Certification in Digital Marketing Classroom Programme (Batch-3)

Now at just ₹ 29999 ₹ 9999970% off

Basic Digital Marketing Course (Batch-24): 50 Hours Live+ Recorded Classes!
Basic Digital Marketing Course (Batch-24): 50 Hours Live+ Recorded Classes!

Now at just ₹ 1499 ₹ 999985% off