दोस्तों इससे पहले हमने बात की थी सेल्स और मार्केटिंग के बीच के अंतर के बारे में. आज हम बात करेंगे मार्केटिंग के हीं दो अलग-अलग तरीकों के विषय में. ये दो तरीके हैं ट्रेडिशनल मार्केटिंग यानि कि वो तरीका जो परंपरागत रूप से शुरूआती दिनों से हीं इस्तेमाल किया जाता रहा है और डिजिटल मार्केटिंग जो कि आजकल का सबसे ज्यादा पॉपुलर मार्केटिंग का तरीका है. जैसा कि हम जानते हैं कि किसी भी कंपनी के प्रोडक्ट्स या सर्विसेज मार्केट में सस्टेन करें और अच्छा बिज़नस करें इसके लिए मार्केटिंग बेहद जरूरी स्टेप होता है. जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि मार्केटिंग एक अम्ब्रेला टर्म है जिसके अन्दर बहुत सारे एलिमेंट्स हैं. इन सभी एलिमेंट्स को किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस के लांच होने के पहले से हीं फॉलो किया जाता है और प्रोडक्ट या सर्विस के मार्केट में आने और बिकने के बाद तक भी मार्केटिंग का प्रोसेस चलता हीं रहता है. आइये अब समझते हैं कि मार्केटिंग के ट्रेडिशनल और डिजिटल तरीके के बीच के अंतर क्या है. लेकिन उससे पहले जान लेते हैं कि ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग होती क्या है.
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Difference between Sales & Marketing: What’s better ? सेल्स और मार्केटिंग में क्या अंतर है ? दोनों में कौन बेहतर है ?
क्या होती है ट्रेडिशनल मार्केटिंग
जैसा कि नाम से हीं स्पष्ट है ट्रेडिशनल मार्केटिंग यानि कि मार्केटिंग करने का पारंपरिक तरीका. जब से प्रोडक्ट्स और सर्विसेज की मार्केटिंग शुरू हुयी तब से जो तरीका इस्तेमाल में लाया जा रहा है वो है ट्रेडिशनल मार्केटिंग यानि कि मार्केटिंग करने का परंपरागत तरीका. इस तरीके से मार्केटिंग करने में जिन साधनों का इस्तेमाल होता है वो हैं पैम्पलेट, पोस्टर, टीवी विज्ञापन, न्यूज़पेपर विज्ञापन इत्यादि. शुरूआती दौर में टेक्नोलॉजी इतनी ज्यादा विकसित नहीं हुयी थी जिसके कारणवश इन्टरनेट इतना सुलभ नहीं था, ना हीं ऑनलाइन प्रणाली से लोग इतने परिचित थे. इसलिए तब मार्केटिंग का सबसे लोकप्रिय तरीका पोस्टर लगाना, होर्डिंग लगाना, अखबार में विज्ञापन देना इत्यादि हीं थे. जिससे कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक प्रोडक्ट या सर्विस की जानकारी पहुँच सके.
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डिजिटल मार्केटिंग किसे कहते हैं :
जैसे जैसे टेक्नोलॉजी विकसित होती गयी, इन्टरनेट सुलभ होता गया और लोग ऑनलाइन माध्यम से भलीभांति परिचित होते गए. फ़िर मार्केटिंग का तरीका भी पारंपरिक से बदल के डिजिटल हो गया. कह सकते हैं कि
डिजिटल मार्केटिंग परंपरागत मार्केटिंग का एक अपडेटेड वर्जन है. डिजिटल मार्केटिंग में
एसईओ, ईमेल,
सोशल मीडिया यानि कि फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर इत्यादि का उपयोग करके मार्केटिंग की जाती है.
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ट्रेडिशनल मार्केटिंग और डिजिटल मार्केटिंग क्या है ये बात तो हो गयी और आप सब कुछ हद तक समझ भी गए होंगे दोनों एक दूसरे से अलग कैसे हैं. लेकिन अब दोनों के बीच क्या अंतर है यह बात भी कर हीं लेते हैं.
क्रम संख्या |
ट्रेडिशनल मार्केटिंग |
डिजिटल मार्केटिंग |
1 |
जैसा कि नाम से हीं स्पष्ट है ट्रेडिशनल मार्केटिंग मार्केटिंग का परंपरागत तरीका है. |
डिजिटल मार्केटिंग मार्केटिंग तकनीक का एक अपडेटेड वर्जन यानि कि कह सकते हैं कि यह मार्केटिंग का मॉडर्न तरीका है. |
2 |
एक समय में एक हीं देश या स्थान को टारगेट किया जा सकता है. |
एक समय में व्यापक स्तर पर ऑडियंस को टारगेट किया जा सकता है. |
3 |
ट्रेडिशनल मार्केटिंग में वक़्त और पैसा दोनों हीं ज्यादा लगता है. |
ट्रेडिशनल मार्केटिंग से तुलना की जाए तो इसमें कम वक़्त में और कम पैसे खर्च कर के बेहतर रीच बनायीं जा सकती है |
4 |
आपको काफी भाग-दौड़ करनी पड़ सकती है. शारीरिक रूप से काफ़ी मेहनत वाला काम है. |
डिजिटल मार्केटिंग आप आराम से घर बैठे भी कर सकते हैं. |
5 |
क्यूंकि मार्केटिंग के इस तरीके में टारगेट ऑडियंस, समय, पैसे इत्यादि से सम्बंधित काफी सीमाएँ शामिल हैं इसलिए इसमें ब्रांड का नाम बनने में काफी समय लग जाता है. |
इस मार्केटिंग के तरीके में रीच बहुत ज्यादा होती है और वक़्त, पैसे, भागदौड़ इत्यादि से सम्बंधित ज्यादा रेसट्रिकशन नहीं होते तो ब्रांड का नाम भी बहुत जल्दी बनता है. |
6 |
एनालिसिस करना थोड़ा मुश्किल होता है कि कितने लोगों तक हमारी बात पहुँची और टारगेट ऑडियंस से क्या रिएक्शन मिल रहा है. |
क्यूंकि सबकुछ ऑनलाइन होता है तो एनालिसिस भी आसन है. बहुत सारे टूल्स होते हैं जिनका इस्तेमाल करके आसानी से समझा जा सकता है कि तरीका कितना कारगर रहा. |