• मुफात के अनुसार - मूल्यांकन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और यह विधार्थियों की औपचारिक, शैक्षिक उपलब्धि से ज्यादा संबंधित है। यह व्यक्ति के विकास से ज्यादा रुचि रखता है। यह व्यक्ति के विकास को उनकी भावनाओं , विचारों तथा क्रियाओं से संबंधित व्यवहार परिवर्तन के रूप में व्यक्त करता है। साथ ही अगर आप भी इस पात्रता परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं और इसमें सफल होकर शिक्षक बनने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं, तो आपको तुरंत इसकी बेहतर तैयारी के लिए सफलता द्वारा चलाए जा रहे CTET टीचिंग चैंपियन बैच- Join Now से जुड़ जाना चाहिए।
• सी.सी. ई. मूल्यांकन– सतत और व्यापक मूल्यांकन (सी.सी.ई.) का आशय विधार्थियों के विद्यालय आधारित मूल्यांकन के उस प्रणाली के बारे में है जिसमे विधार्थियों के विकास के सभी पहलुओं की ओर ध्यान दिया जाता है।
यह निर्धारण की विकासात्मक प्रक्रिया है जो व्यापक आधार वाली शिक्षा प्राप्ति और आचरानात्मक परिणामों के मूल्यांकन और निर्धारण संबंधी दोहरे लक्ष्यों पर बल देती है।
इसमें सतत शब्द का उद्देश्य इस बात पर बल देता है कि बच्चों के संवृद्धि और विकास के अभिज्ञान पहलुओं का मूल्यांकन एक घटना होने के बजाय एक सतत प्रक्रिया है, जो शिक्षा प्राप्ति की संपूर्ण प्रक्रिया के अंदर निर्मित है और शैक्षिक शत्रों के समूची अवधि में फैली होती है। इसका अर्थ है निर्धारण की नियमितता, इकाई परीक्षण की आवृति, शिक्षा प्राप्ति की कमियों का निदान, सुधारत्मक उपायों का उपयोग, पुनः परीक्षण और अध्यापकों और छात्रों को स्व मूल्यांकन के लिए उन्हे घटनाओं के प्रभाव का पृष्ठ पोषण है।
•दूसरे शब्द व्यापक का अर्थ है कि - योजना विधार्थियों की संवृद्धि और विकास के शैक्षिक और सह शैक्षिक दोनो क्षेत्रों में समाहित करने का प्रयास करती है। इसमें बालक के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखकर संज्ञान्त्मक योग्यताएं, सृजनात्मकता, अभिवृतियाँ, अभिरुचियां, और कौशल का पता लगाया जाता है।
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मूल्यांकन(Evaluation)
मूल्यांकन शब्द का यदि संधि विच्छेद किया जाए तो यह दो शब्द (मूल्य +आंकन) से मिलकर बना है।
Source: NA
जिसका अर्थ होता है मूल्य आंकनालेकिन शिक्षा के अर्थ में यह व्यापक अर्थ के रूप में प्रयुक्त होता है। यह छात्र के ज्ञान के सीमा निर्धारण के साथ साथ उनकी रुचियों, कार्य क्षमताओं, व्यक्तित्व व्यवहारों, आदतों तथा बुद्धि आदि की प्रगति को आंक कर गुणात्मक निर्णय करता है।
• वेस्ले के अनुसार- मूल्यांकन को एक समावेशित संकल्पना बताया है। जो इच्छित परिणामों की गुणवता, मूल्य और प्रभाविकताको निश्चय करने के लिए सब प्रकार के साधनों की ओर संकेत करती है। यह वस्तुनिष्ठ प्रमाण और आत्मगत निरीक्षण का यौगिक है। यह सम्पूर्ण और अंतिम अनुमान है।
• मुफात- शिक्षा-मनोविज्ञान व्यवहारगत परिवर्तनों, शैक्षिक उपलब्धियों, छात्र वर्गीकरण, भावी संभावनाओं तथा भविष्यवाणी करने के लिए अनेक मापन तथा मूल्यांकन प्रविधियों एवं सांख्यिकी विधियों का प्रयोग तथा अध्धयन करता है। शिक्षा मनोविज्ञान इसके अलावा बुद्धि, निष्पति, अभिरुचि आदि का माप भी करता है।
• मूल्यांकन के उद्देश्य–
शिक्षा भारतीय समाज की आधारशिला है। समाज में जैसी आधारशिला होगी, वैसा ही समाज बनेगा। शिक्षा के उद्देश्य सार्वभौमिक नही होते बल्कि, समाज की परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न होते है।
एक निश्चित उद्देश्य सामने होने से मनुष्य में एक अपूर्व कार्यशक्ति एवं क्षमता उत्पन्न हो जाती है, जिसका बल एवं प्रोत्साहन पाकर बाधाओं पर विजय प्राप्त करके मनुष्य अपने उद्देश्य को प्राप्त कर लेता है। अतः मूल्यांकन का प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है-.
1. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सार्थक तथा सोद्देश्यपूर्ण बनाना।
2. गुणात्मक विकास हेतु उचित अवसर प्रदान करना, ताकि वे अपने कार्य का अधिक कुशलता से संचालन कर सके।
3. मूल्यांकन से शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की गुणवता को जानना एवं विकास हेतु आवश्यक पृष्ठ पोषण प्रदान करना।
4. शिक्षण की समस्याओं का निदान करना तथा इसके आधार पर उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था करना।
5. अध्यापक की छात्र के व्यक्तित्व निर्माण में योगदान को जानना।
• मूल्यांकन के आधार बिंदु–
विद्यालयी अध्यापकों का मौलिक कार्य बालकों के अधिगम को इस प्रकार से निर्देशित करना है कि वे अपनी क्षमता के अनुसार अपने बौद्धिक सौंदर्यात्मक, चारित्रिक, शारीरिक एवं भावात्मक विकास के द्वारा समाज के उपयोगी सदस्य बन सके। शिक्षा में मूल्यांकन के प्रमुख आधार बिंदु अग्रलिखित है-
1. पाठ्यक्रम संगठन एवं नियोजन
2. शिक्षण अधिगम एवं छात्रों के कार्य
3. छात्रों का चारित्रिक विकास और उचित मानवीय संबंध
4. विद्यालय प्रबंध में सहभागिता एवं समुचित कक्षा व्यवस्था
5. विद्यालयगत कार्यक्रमों में सहयोग एवं छात्रों में व्यवसाय संबंधी मार्गदर्शन
6. सामुदिक क्रियाओं का आयोजन!