भारतीय संविधान की विशेषताएं
Feature of Indian Constitution
(1) विस्तृत संविधान - भारत का संविधान विस्तृत दस्तावेज है। इसमें कुल 395 अनुच्छेद एवं 8 अनुसूचियां थी जो अब 395 अनुच्छेद व 12 अनुसूचियां हैं। आइवर जेनिग्स कहते हैं ये विश्व का सबसे बड़ा एवं विशद संविधान है।
(2) प्रभुत्वसंपन्न, लोकतांत्रिक, पंथनिरपेक्ष, समाजवादी गणराज्य – प्रस्तावना से कहा जा सकता है, भारत प्रभुत्वसंपन्न अर्थात् जो अपनी नीतियां खुद ही निर्धारित करता हो एवं बाध्य नियंत्रण से मुक्त राज्य है।
समाजवाद का तात्पर्य आर्थिक समाजवाद से है यह आर्थिक न्याय का पूरक है।
(3) संसादात्मक शासन प्रणाली - भारत में संवैधानिक प्रमुख नाममात्र का प्रधान रहता है। वास्तविक सत्ता जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुने हुए व्यक्ति में निहित रहती है।
Source: nationalinterest.com
शासन प्रणालियां दो है -- संसदात्मक
- अध्यक्षात्मक, अध्यक्षात्मक प्रणाली में वास्तविक सत्ता संवैधानिक प्रमुख में ही निहित होती है।
(4) मूल अधिकार - संविधान के भाग 3 में कुल 6 मूल अधिकार वर्णित हैं, ये मूल अधिकार अनिर्बंधित नहीं हैं, इन पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
(5) राज्य के नीति निर्देशक तत्व - नीति निर्देशक तत्व कुछ पवित्र दायित्व हैं, जिन्हें पूरा करना राज्य का कल्याणकारी दायित्व माना गया है, ग्लेविन आस्टिन के अनुसार नीति निर्देशक तत्व राज्य की आत्मा हैं।
(6) व्यस्क मताधिकार - भारतीय संविधान में मतदाता की आयु कम से कम 21 वर्ष थी, इसे 61वें संविधान संशोधन से अधिकतम 18वर्ष किया गया हैं।
(7) स्वतंत्र न्यायपालिका - इसका तात्पर्य है भारत में न्यायपालिका किसी अन्य अंग पर अथवा विधायिका अथवा कार्यपालिका पर निर्भर नहीं है।
(8) केंदीकृत संविधान - भारत का संविधान केंद्रीकृत है, अर्थात् यह एक है जिसका झुकाव संघ की ओर है।