अ) प्रक्रिया अथवा संक्रीय के आधार पर बौद्धिक योग्यताओं के प्रमुख पांच प्रकार है -
1) संज्ञान : यह अधिगम की प्रक्रिया की सबसे महत्वपूर्ण संक्रिया है इसके अंतर्गत अन्वेषण , पुन: अन्वेषण व सोचनाओं का प्रत्याभिज्ञान किया जाता है ।
2) स्मृति : जो कुछ भी प्रत्यभिज्ञान किया जाता है उसे अपनी स्मृति में धारण कर लेना है।
3) अपसारी चिन्तन : यह संक्रिया प्राय: सृजनशील संभाव्यता में पाई जाती है। इस मानसिक संक्रिया के अंतर्गत व्यक्तियों के चिंतन में विविधता व विशुद्धता पाई जाती है।
4) अभिसारी चिंतन : पूर्व सूचनाओं के आधार पर नवीन सूचनाओं का निर्माण करना है । पूर्व सूचना के आधार पर ही अनुक्रियाओ को निश्चित करती है।
5) मूल्यांकन : मूल्यांकन में गुण और दोष परखे जाते हैं।
Safalta App पर फ्री मॉक-टेस्ट Join Now के साथ किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करें।
ब) विषयवस्तु
बौद्धिक बिंदु को लेकर दूसरा वर्गीकरण विषयवस्तु अथवा सामग्री के संदर्भ में है। इसके अंतर्गत चार प्रकार के बिंदु निहित है -
1) आकृति संबंधी विषयवस्तु : यह स्थूल सामग्री है जो कि इंद्रियों के संपर्क द्वारा उपलब्ध की जाती है यह अपने स्वयं के अतिरिक्त यह किसी का भी प्रतिनिधित्व नहीं करता है। दर्शनीय सामग्री , आकर , प्रकार और रंग आदि विशेषताएं रखती है ।
Source: Inc.Magazine
जिन बातों को हम सुन सकते है, वे अन्य प्रकार की विषय वस्तु संबंधी आकृति प्रदान करती है।2) प्रतीकात्मक विषय वस्तु : यह अक्षरों , अंकों व अन्य परंपरागत चिन्हों द्वारा निर्मित होती है और इनका उपयोग प्राय: सामान्य प्रतिमानों जैसे वर्णमाला और अंकों की व्यवस्था के संगठन हेतु किया जाता है।
3) शब्दार्थ विषयक विषयवस्तु : यह अर्थों और विचारो के रूप में होते हैं। अत: इनके लिए उदाहरणों का होना आवश्यक नहीं है।
4) व्यवहारात्मक विषयवस्तु : इसके अंतर्गत मानव व्यवहारों अथवा अंत: क्रियाओं का अशाब्दिक अवबोद आता है। इसे हम सामाजिक बुद्धि भी कहते हैं।
FREE GK EBook- Download Now.
स) उत्पाद
जब किसी विषयवस्तु के लिए किसी प्रकार की संक्रिया का उपयोग करते है तो उसके अंतर्गत छह प्रकार के सामान्य उत्पाद निर्मित रहते है। इस संदर्भ में मिले कई प्रमाणों से ज्ञात होता है कि संक्रियाओं और विषय वस्तुओं के सम्मिलित होने पर भी एक ही प्रकार के छह उत्पादों का साहचार्य रहता है । तत्व विश्लेषण के आधार पर ये छह उत्पाद निम्नांकित है -1) इकाइयां : पदार्थ की आकृति रखने वाले सापेक्षिक प्रथकृत अथवा सीमाबुद्ध सूचना के पद पूर्णकर मनोविज्ञान के स्थल पर आकृति के निकट हो सकते हैं।
2) वर्ग : अपने स्वयं के समान गुणों के आधार पर वर्गीकृत पदों के कुलको के अंतर्गत अंतर्निहित अवधारणाएं हैं।
3) संबंध : चारों अथवा उनसे संबद्ध समपर्कीय बिंदुओ की सूचना के मध्य संबंध । अभीग्रस्ताओं की तुलना में पारस्परिक संबंध अधिक अर्थपूर्ण और परिभाष्य होता है।
4) व्यवस्थाएं : सूचना के पदों के संगठित अथवा संरक्षित समूह अन्त: संबंधित अथवा अंत:क्रिया करने वाले भागों की जटिलताएं हैं।
5) रूपांतरण : वर्तमान सूचना अथवा इसके कार्य भार के संदर्भ में विभिन्न प्रकार के परिवर्तन ( परिभाषा रूपांतरण अथवा संशोधन)
6) अभिग्रस्तताएं : अपेक्षाओं , भविषवाणियों से ज्ञात अथवा संशयास्पद पूर्वगामी घटनाओं , सहचारो अथवा परिणामों के रूप में सूचना के बहिर्वेश , सूचना के मध्य संबंध अधिक , सामान्य और न्यून परिभाष्य होता है।
Current Affairs Ebook Free PDF: डाउनलोड करे |
गिलफोर्ड के सिद्धांत का संक्षेपीकरण हम इस प्रकार कर सकते है कि बुद्धि एक तर्क संगत संरचना है जो मुख्य कोटि से बनी है। स्मृति तथा चिंतन । चिंतन का उपवर्गीकरण संज्ञान, उत्पादन एवं मूल्यांकन से होता है। उत्पादन फिर अभिबिन्दुता चिंतन तथा उपबिंदुता चिंतन योग्यताओं में वर्गीकृत होता है। इस प्रकार पांच बुद्धि खंडों के समूह कुछ संक्रिया द्वारा लक्षण वर्णित होते हैं ।