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कैसे होता है उपराष्ट्रपति चुनाव ?
भारत में उपराष्ट्रपति पद का चुनाव राष्ट्रपति पद के चुनाव से काफी मायनों में अलग होता है. जैसे कि, भारत में राष्ट्रपति के चुनाव में पूरे देश के निर्वाचित सांसद और विधायक हिस्सा लेते हैं, जबकि उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में केवल लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य हीं शामिल हो सकते हैं.दोनों सदनों के सदस्य हिस्सा लेते हैं
भारत में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में दोनों सदनों के सदस्य हिस्सा लेते हैं और केवल अपना एक हीं वोट डाल सकते हैं. उल्लेखनीय है कि लोकसभा में कुल 545 सदस्य और राज्यसभा में सदस्यों की कुल संख्या 245 होते हैं. इन्हीं दोनों सदस्यों के वोट से उपराष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवार का चयन किया जाता है.Attempt Free Daily General Awareness Quiz - Click here |
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बैलेट पेपर से होता है चुनाव
उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव बैलेट पेपर से होता है. इन बैलेट पेपर पर किसी प्रकार का कोई इलेक्शन चिन्ह नहीं होता है. इन बैलेट पेपर पर केवल उम्मीदवार का नाम लिखा होता है. उम्मीदवारों के नाम के सामने चिन्ह अंकित करके मतदान की प्रक्रिया पूर्ण की जाती है.भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव दोनों सदनों यानी लोक सभा और राज्य सभा के चुने हुए एवं नामित दोनों तरह के सदस्य करते हैं. हालाँकि राष्ट्रपति के चुनाव में नामित सदस्य भाग नही लेते हैं. उपराष्ट्रपति का चुनाव सीमित निर्वाचक मंडली के द्वारा हीं किया जाता है. वैसे उपराष्ट्रपति पद के लिए मतगणना की पद्धति राष्ट्रपति के जैसी हीं होती है. यानी अनुपातिक प्रतिनिधित्व द्वारा एकल हस्तांतरणीय मत से.
चुनाव के लिए योग्यता
उपराष्ट्रपति के प्रत्येक उमीदवार को मतगणना के लिए योग्य होने से पहले दोनों सदनों के 20 सदस्यों द्वारा नामित होना अनिवार्य होता है. जिसके बाद हीं वह उम्मीदवार चुनाव के लिए योग्य माना जा सकता है. मतदाता उम्मीदवारों को राज्यों के आधार पर रैंक करते हैं.सामान्य हिंदी ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
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वोटों की गणना
उम्मीदवार द्वारा आवश्यक वोटों की संख्या की गणना कुल वैध वोटों की संख्या को दो से विभाजित करके, और किसी भी शेष को घटा कर भागफल में जोड़ दिया जाता है. यदि कोई उम्मीदवार प्रथम-वरीयता वाले वोटों की आवश्यक संख्या प्राप्त नहीं करता है, तो कम वरीयता वोटों वाले उम्मीदवार को हटा दिया जाता है और दूसरी वरीयता वाले वोटों को स्थानांतरित कर दिया जाता है. प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक कोई उम्मीदवार अपेक्षित संख्या में वोट प्राप्त नहीं करता.यह भी देखें
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