अधिगम की प्राप्ति का मूल्यांकन तथा अधिगम प्रक्रिया में आने वाली रुकावटों व उन्हें दूर करने के उपाय आदि समस्याओं का अध्ययन शिक्षा मनोविज्ञान में किया जाता है ।
बालक का सर्वागीण विकास अधिगम प्रक्रिया के द्वारा ही संभव है।
मानव के सीखने का कोई निश्चित स्थान तथा समय नहीं होता है।
वह हर समय और हर जगह कुछ न कुछ सीख सकता हैं ।
वह न केवल शिक्षा संस्था में बल्कि परिवार , आस - पड़ोस , समाज , अपरिचित व्यक्तियों स्थानों आदि सभी से थोड़ा या अधिक सीखता हुआ और इसके फलस्वरूप अपने व्यवहार में परिवर्तन करता हुआ जीवन ने आगे बढ़ता जाता है।
अधिगम के अंतर्गत बालक के सीखने की विभिन्न क्रियाओं को लिया जाता है।
अधिगम प्रक्रिया में रुचि, प्रेरणा , वातावरण तथा अचेतन मन का विशेष स्थान है।
अधिगम की प्रक्रिया में कोई एक लक्ष्य तथा उस लक्ष्य तक पहुंचने में बाधा दोनों ही सम्मिलित रहते हैं ।
सीखना सदैव अर्थपूर्ण होता है।
बालक के सामने जब कोई अर्थपूर्ण लक्ष्य होता है, तो उसकी प्राप्ति के लिए अभिप्रेरणा आवश्यक है ।
लक्ष्य प्राप्ति के मार्ग में उपस्थित अवरोधक / रुकावट को दूर करने के लिए वह अनेक प्रकार की अनुक्रियाएं करता है।
किंतु उसमें जो क्रिया उपयुक्त होती है उसके द्वारा वह बाधाओं को पार करके लक्ष्य तक पहुंचता है।
इस उपयुक्त क्रिया का वह चयन कर लेता है और बार -बार अभ्यास करके लक्ष्य प्राप्त कर लेता है।
वैज्ञानिकों ने माना है कि प्रगतिशील परिवर्तन और संशोधन के रूप में बालक के व्यक्तित्व का विकास होता है जो अधिगम प्रक्रिया द्वारा ही संभव है। साथ ही अगर आप भी इस पात्रता परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं और इसमें सफल होकर शिक्षक बनने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं, तो आपको तुरंत इसकी बेहतर तैयारी के लिए सफलता द्वारा चलाए जा रहे CTET
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अधिगम का व्यवहारवाद सिद्धांत
संरचनात्मक तथा प्रकार्यात्मक मनोविज्ञान के विरोध स्वरूप, व्यवहारवाद एक संप्रदाय के रूप में विकसित हुआ है।
मनोविज्ञान की प्राचीन पद्धतियां , विचारधाराओं और सामग्री को उखाड़ फेंकने के लिए एक आंदोलन के रूप में इस संप्रदाय का जन्म हुआ ।
व्यवहारवाद का विकास पशु मनोविज्ञान से हुआ है।
उन्नीसवीं शताब्दी में पशु मनोविज्ञान का अध्ययन मानव व्यवहार का आधार माना जाने लगा था।
बीसवीं शताब्दी में भी पशु मनोविज्ञान पर अनुसंधान और प्रयोग होते रहे।
इस सैद्धांतिक संरचना का विकास इवान पावलोव , एडवर्ड थार्नडाइक , एडवर्ड सी . टोलमैन , रॉबर्ट यर्कस , क्लार्क , एल हल , बी. एफ .स्किनर और अन्य कई लोगों के पशु अधिगम प्रयोगों के साथ 20वी शताब्दी में हुआ था ।
व्यवहारवादियों के दृष्टिकोण से मनोविज्ञान प्राकृतिक विज्ञान की ( शुद्धतम रूप में) वस्तुनिष्ठ प्रयोगात्मक शाखा हैं ।
इसका सैद्धांतिक लक्ष्य व्यवहार का नियंत्रण और उसकी भविष्यवाणी करना है।
कई मनोवैज्ञानिकों ने इन सिद्धांतो का मानव अधिगम के साथ वर्णन और प्रयोग करने के लिए इस्तेमाल किया।