रसियन मनोवैज्ञानिक व विचारक वीगोत्स्की ( 1896 - 1934) ने भी सामाजिक विकास सिद्धांत ( social development) पर महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
जिन्होंने माना था।
कि बच्चे व्यवहारिक अनुभव के माध्यम से सीखते हैं।
इन्होंने भी पियाजे का अनुकरण करते हुए विकास सिद्धांत पर महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
हालाकि , पियाजे के विपरीत , उन्होंने दावा किया की जब कोई बच्चा कोई नया काम सीखने की कगार पर होता है तब व्यस्कों द्वारा समय पर और संवेदनशील हस्तक्षेप से बच्चों को नए कार्यों ( जिन्हें समीपस्थ विकास का क्षेत्र नाम दिया गया) को सीखने में मदद मिल सकती है।
इस तकनीक को स्केफोल्डिंग ( मचान बनाना) कहा जाता है ।
क्यों कि यह नए ज्ञान के साथ बच्चों के पास पहले से मौजूद ज्ञान पर निर्मित होता है।
जिससे व्यस्क बच्चे को सीखने में मदद मिल सकती है।
इसका एक उदाहरण तब मिल सकता जब कोई माता या पिता किसी बच्चे को ताली बजाने के लिए अपने दोनों हाथों को आपस में थपथपाने में तब तक मदद करते हैं जब तक वह खुद अपने हाथों को थपथपाना या ताली बजाना सिख नहीं लेती है। साथ ही अगर आप भी इस पात्रता परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं और इसमें सफल होकर शिक्षक बनने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं, तो आपको तुरंत इसकी बेहतर तैयारी के लिए सफलता द्वारा चलाए जा रहे
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वीगोत्स्की ध्यान पूरी तरह से बच्चे के विकास की पद्धति का निर्धारण करने संबंधी संस्कृति की भूमिका पर केंद्रित था।
उन्होंने तर्क दिया कि बच्चे के सांस्कृतिक विकास में हर कार्य दो बार प्रकट होता है - पहली बार सामाजिक स्तर पर और बाद में व्यक्तिगत स्तर पर।
पहली बार लोगों के बीच ( अंतर मनोवैज्ञानिक ) और उसके बाद बच्चे के भीतर (अंतरामनोवैज्ञानिक)।
यह स्वैच्छिक ध्यान, तार्किक स्मृति और अवधारण निर्माण में समान रूप से लागू होता है।
सभी उच्च कार्यों की उत्पति व्यक्तियों के बीच के वास्तविक संबंधों के रूप में होती हैं।