रंगों के सिद्धांत के अनुसार रंगों को उनके मानको पर दो श्रेणी में रखा जाता है। -
1. प्राथमिक श्रेणी
2. द्वितीयक श्रेणी
• प्राथमिक श्रेणी - वह रंग जिसे उत्पन्न या बनाने के लिए किसी अन्य रंगों की जरूरत नही पड़ती, प्राथमिक श्रेणी के रंग कहलाते है।
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इन रंगों की खास विशेषता ये है कि, हम इन्हे न तो उत्पन्न कर सकते हैं और न ही नष्ट। इन्ही खास विशेषता के कारण इस श्रेणी के रंग ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त को अनुपालन करते हैं। रंगों से जुड़ी सभी वैज्ञानिकी नियम इन्ही प्राथमिक रंगों के कारण संभव हो पाते हैं।ये निम्नवत है -
• प्राथमिक रंगों की सूची-
1. लाल (RED)
2. पीला (YELLOW)
3. नीला (BLUE)
• वे अन्य रंग जिनको इन प्राथमिक रंगों की सहायता से उत्पन्न किया जाता है, द्वितीयक श्रेणी के रंग कहलाते हैं। जैसे काला, हरा...आदि।
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*रोचक तथ्य*
- रंगों के मापन को वर्णमीति (colorimetry) के नाम से जाना जाता है।
- डिजिटल मीडिया में cyan, magenta और yellow रंग का प्रयोग किया जाता है, जो मुख्यतः भौतिक रूप से उत्पन्न नहीं किए जा सकते, अतः इन्हें भी एक तरह से प्राथमिक श्रेणी में ही रखा जाता है।
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