मानसिक रूप से मंद बच्चे और उनका वर्गीकरण Mentally Retarded Children And Their Classification

Safalta Experts Published by: Blog Safalta Updated Mon, 13 Sep 2021 04:52 PM IST

Source: FirstCry Parenting

मेंटल डेफीशिएंसी एक्ट 1927 ऑफ इंग्लैंड ( Mental deficiency act 1927 of England) के अनुसार मंद बुद्धि एक ऐसी अवस्था है जिसमें 18 वर्ष की आयु से पहले मानसिक विकास रुक जाता है या पूर्ण मस्तिष्क नहीं बन पाता है। यह किसी वंशानुगत रोग अथवा अन्य किसी बीमारी से अथवा मस्तिष्क पर चोट लगने के कारण हो सकता है ।
अनेक विद्वानों के अनुसार मानसिक विहार केवल चिकित्सकीय एवं मनोवैज्ञानिक समस्या ना होकर मौलिक रूप से सामाजिक समस्या है। मानसिक रूप से मंद बुद्धि व्यक्ति वह है जो अपने अधूरे मानसिक विकास के कारण स्वतंत्र सामाजिक अंगीकरण करने में असमर्थ होता है। साथ ही अगर आप भी इस पात्रता परीक्षा में शामिल होने जा रहे हैं और इसमें सफल होकर शिक्षक बनने के अपने सपने को साकार करना चाहते हैं, तो आपको तुरंत इसकी बेहतर तैयारी के लिए सफलता द्वारा चलाए जा रहे CTET टीचिंग चैंपियन बैच- Join Now से जुड़ जाना चाहिए।

मंद बुद्धि बालकों का वर्गीकरण

मंद बुद्धि बालकों को इनके बुद्धिमाप (I.Q) की दृष्टि से विभाजित किया जाता है। सामान्य बालक की बुद्धिलब्धि 90 - 110 के बीच में आंकी जाती है।

1) 75 तक बुद्धिलब्धि वाले बालक : ऐसे बालकों को साधारणतया मंद बुद्धि में नहीं गिना जाता है, उन्हें सामान्य बालकों के साथ ही मिलना - जुलना एवं पढ़ना चाहिए । शिक्षा के क्षेत्र में यघपि वे कुछ पीछे होते है परंतु मंद बुद्धि की परिभाषा उन पर लागू नहीं होती है ।
 
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2) 50 से 75 तक बुद्धिलब्धि वाले बालक : इन बालकों की शक्तियां सामान्य से कुछ कम होती हैं। 18 - 20 वर्ष की आयु में भी ये बालक ऐसा व्यवहार करते हैं , जैसा कि 10 - 12 वर्ष के बालक करते हैं। शिक्षा में परिस्थितियों एवं वातावरण के अनुसार कोई तो चौथी कक्षा तक पहुंच जाता है कोई आठवी तक , परंतु इनमें से बहुत से बालक किशोरावस्था तक कुछ न कुछ काम सिख कर एक विशेष सीमा तक आत्मनिर्भर बन सकते है। इस बुद्धिमाप के बालक सीधे सादे होते हैं। कानून की अवहेलना नहीं करते हैं। और इच्छाएं सीमित होने के कारण उनकी मानसिक समस्याएं भी कम होती हैं। 

3) 30 से 50 तक बुद्धिमाप वाले बालक : इन बालकों को स्कूली शिक्षा से कुछ लाभ नहीं मिलता है। किशोरावस्था को पार करके भी इनका व्यवहार 6 से 8 वर्ष के बालक की तरह ही रहता है। बहुत परिश्रम के साथ यह दूसरी तीसरी कक्षा तक शिक्षा ले लें , परंतु मंद बुद्धि होने के कारण उसका उपयोग नहीं कर पाते हैं।

4) 30 से कम बुद्धिमाप वाले बालक : इस प्रकार के बालकों की बुद्धि का स्तर अत्यंत कम होने के कारण वे दैनिक जीवन की क्रियाओं का संपादन भी उचित ढंग से नहीं कर पाते हैं। काम करना और पढ़ना तो दूर की बात है बल्कि ये अपनी बात को भी ठीक ढंग से समझा नही सकते  हैं। उम्र भर ये किसी के आश्रय पर जीवित रहते हैं। मंद बुद्धि के साथ साथ इनमें कई शारीरिक अक्षमताएं भी होती हैं और ये अधिक समय तक जीवित भी नही रहते हैं।