- मुख्यालय: इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स, बेल्जियम में है.
- राजनीतिक और सैन्य गठबंधन: नाटो के प्राथमिक लक्ष्य अपने सदस्यों की सामूहिक रक्षा और उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र में लोकतांत्रिक शांति बनाए रखना है.
- रक्षा सिद्धांत: नाटो के अनुच्छेद V में निहित सामूहिक रक्षा सिद्धांत में कहा गया है कि "एक सहयोगी के खिलाफ हमले को सभी सहयोगियों के खिलाफ हमले के रूप में माना जायेगा".
- नाटो की सेनाएँ: नाटो के पास एक सैन्य और नागरिक मुख्यालय और एक एकीकृत सैन्य कमान संरचना है, लेकिन विशेष रूप से अगर देखा जाए तो इसकी अपनी संपत्ति या कहें कि बल बहुत कम है.
- जब तक समस्त सदस्य देश नाटो से संबंधित कार्यों को करने के लिए सहमत नहीं हो जाते, तब तक अधिकांश सेनाएँ पूर्ण राष्ट्रीय कमान और नियंत्रण में रहती हैं.
- नाटो के निर्णय: एक "नाटो निर्णय" सभी 30 सदस्य देशों की सामूहिक इच्छा की अभिव्यक्ति है क्योंकि इसके सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए जाते हैं.
नाटो का गठन क्यों किया गया था? (Why was NATO formed?)
नाटो का गठन पश्चिमी यूरोप में सामूहिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने के साधन के रूप में किया गया था. भले हीं तब द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया था, पर दो पूर्व सहयोगियों, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूएसएसआर के बीच के बिगड़ते संबंध अंततः कभी भी शीत युद्ध का कारण बन सकते थे. यूएसएसआर ने साम्यवाद के प्रसार के माध्यम से यूरोप में अपने प्रभाव का विस्तार करने की मांग की, जबकि अमेरिका ने यूएसएसआर की विचारधारा को अपने जीवन के तरीके के लिए खतरे के रूप में देखा. इसलिए नाटो के गठन की आवश्यकता महसूस की गयी थी.इसकी स्थापना के बाद से, नए सदस्य राज्यों के प्रवेश से इसके मूल गठबंधन की संख्या 12 देशों से बढ़कर 30 हो गयी है. नाटो में जुड़ने वाला सबसे हालिया सदस्य राज्य उत्तरी मैसेडोनिया है जो अभी हाल में हीं 27 मार्च 2020 को नाटो का सदस्य बना है .
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नाटो - एक संक्षिप्त पृष्ठभूमि
17 मार्च सन 1948 को बेल्जियम, नीदरलैंड, लक्जमबर्ग, फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम द्वारा हस्ताक्षरित ब्रुसेल्स की संधि को नाटो समझौते का अग्रदूत माना जाता है. इस संधि ने एक सैन्य गठबंधन की स्थापना की, जो बाद में जाकर पश्चिमी यूरोपीय संघ बन गया. उत्तर अटलांटिक संधि, जिस पर 4 अप्रैल सन 1949 को वाशिंगटन, डीसी में हस्ताक्षर किए गए थे, सैन्य गठबंधन के लिए बातचीत का परिणाम था. इसमें ब्रुसेल्स राज्यों, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, पुर्तगाल, इटली, नॉर्वे, डेनमार्क और आइसलैंड की पांच संधियां शामिल थीं.तीन साल बाद 18 फरवरी सन 1952 को दो और देश ग्रीस और तुर्की भी इसमें शामिल हो गए. 9 मई सन 1955 को संगठन में पश्चिम जर्मनी शामिल हुआ था जिसके शामिल होने को उस समय नॉर्वे के विदेश मंत्री हलवार्ड लैंग द्वारा "हमारे महाद्वीप के इतिहास में एक निर्णायक मोड़" के रूप में वर्णित किया गया था. इसके तत्काल परिणामों में से एक वारसॉ संधि का निर्माण था, जिसे 14 मई सन 1955 को सोवियत संघ और उसके उपग्रह राज्यों द्वारा इस घटना की औपचारिक प्रतिक्रिया के रूप में हस्ताक्षरित किया गया था. इस संधि ने तब शीत युद्ध के दो विरोधी पक्षों को मजबूती से स्थापित किया था.
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शीत युद्ध के पूर्व और बाद के प्रभाव -
शीत युद्ध की अधिकांश अवधि के दौरान, नाटो ने एक संगठन के रूप में वास्तविक सैन्य जुड़ाव के बिना एक होल्डिंग पैटर्न बनाए रखा. 30 मई सन 1978 को, नाटो देशों ने आधिकारिक तौर पर गठबंधन के दो पूरक उद्देश्यों को परिभाषित किया. ये दो उद्देश्य थे – 1. सुरक्षा और 2. विश्रांति बनाये रखना. हालांकि, 12 दिसंबर 1979 को, यूरोप में वॉरसॉ पैक्ट परमाणु क्षमताओं के निर्माण के आलोक में, मंत्रियों ने यूरोप में यूएस क्रूज़ और पर्सिंग II थिएटर परमाणु हथियारों की तैनाती को मंजूरी दी थी. तब इस नीति को दोहरी ट्रैक नीति कहा गया था .Hindi Sahitya Booklet ई बुक- Download Now
शीत युद्ध की समाप्ति और 1991 में वारसॉ संधि के विघटन ने नाटो के वास्तविक मुख्य विरोधी को परिदृश्य से हीं हटा दिया. इससे नाटो के उद्देश्य, प्रकृति और कार्यों का रणनीतिक पुनर्मूल्यांकन हुआ. नाटो का पहला शीत युद्ध विस्तार 3 अक्टूबर 1990 को जर्मनी के पुनर्मिलन के साथ आया, जब पूर्वी जर्मनी संघीय गणराज्य और गठबंधन का हिस्सा बन गया. 24 मार्च 1999 को, नाटो ने कोसोवो युद्ध में व्यापक पैमाने पर अपनी पहली सैन्य भागीदारी की, जहां उसने उस समय यूगोस्लाविया के संघीय गणराज्य के खिलाफ 11-सप्ताह का बमबारी अभियान चलाया था. यह संघर्ष 11 जून 1999 को तब समाप्त हुआ, जब यूगोस्लाविया के नेता स्लोबोडन मिलोसेविक ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव 1244 को स्वीकार करके नाटो की मांगों पर अपनी सहमति व्यक्त की. 11 सितंबर के हमलों के परिणाम के रूप में नाटो की गतिविधि और भौगोलिक पहुंच का विस्तार और भी बढ़ गया.
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