क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषा
गुडे तथा हॉट के अनुसार - क्रियात्मक शोध उस कार्यक्रम का अंश होता है जिसका लक्ष्य उपस्थित अवस्थाओं को परिवर्तित करना होता है।स्टीफेन कोरे के अनुसार "क्रियात्मक अनुसंधान वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यवहारिक कार्यकर्ता वैज्ञानिक विधि से अपनी समस्याओं का अध्ययन, अपने निर्णय और क्रियाओं में निर्देशन, सुधार और मूल्यांकन करते है।"
"The process by which practitioners attempt to study their problems scientifically in order to guide, correct and evaluate their decision and action is what a number of people have called action research,” Stephen Corey”
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मैग्रेथी (Me Grathty) के अनुसार - "जिसका अनुसंधान व्यवस्थित खोज क्रिया है जिसका उद्देश्य व्यक्ति अथवा समूह क्रियाओं में रचनात्मक सुधार तथा विकास लाना है।"
जब सामाजिक शोध अध्ययन के निष्कर्षों को क्रियात्मक रूप देने की किसी भावी योजना से संबंध होता है तो उसे क्रियात्मक शोध कहा जाता हैं क्रियात्मक अनुसंधान कार्यों की उपकल्पनाएँ, योजना आदि बड़ी ही लोचदार होती है। आवश्यकता पड़ने पर उनमें सरलता के साथ परिवर्तन किया जा सकता है। इस प्रकार कार्यकर्ता द्वारा स्वयं की कार्यप्रणाली की समस्या का चयन करने, उसका वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन करने एवं सुधार करने की प्रक्रिया को क्रियात्मक अनुसंधान कहते है।
क्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्य
क्रियात्मक अनुसंधान के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं -
1. विद्यालय की कार्यप्रणाली को प्रभावशाली बनाना।
2. विद्यालय की कार्यप्रणाली में सुधार तथा विकास करना।
3. विद्यालय के कार्यकर्ताओं में कार्य कौशल का विकास करना।
4. छात्रों तथा शिक्षकों में प्रजातंत्र के वास्तविक गुणों का विकास करना।
5.
Source: Research Academy
विद्यालय में परंपरागत रूढ़िवादी तथा यांत्रिक वातावरण में सुधार करना6. विद्यालय के प्रधानाचार्य, प्रबंधक, कार्यकर्ताओं, शिक्षकों तथा निरीक्षकों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करना।
7. विद्यार्थियों को निष्पत्ति स्तर में वृद्धि करना।
क्रियात्मक अनुसंधान के मुख्य तत्व (Main Elements of Action Research)
छः दशक से भी अधिक समय से क्रियात्मक अनुसंधान शिक्षा के क्षेत्र में अपना अस्तित्व बनाए हुए है। उसका मुख्य कारण उसमें उपस्थित अनेक विशेषताएं है। इनमें से प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है।
1. क्रियात्मक अनुसंधान के अंर्तगत शिक्षा आदि व्यवहारिक समस्यों को विधिवत ढंग से अध्ययन किया जाता है।
2. क्रियात्मक अनुसंधान प्रजातंत्र की देन होने से इसमें जनतांत्रिक मूल्यों को कृष्ण दिया जाता है।
3. इस अनुसंधान में शिक्षक, प्राचार्य, समाज सुधारक तथा निरीक्षक इत्यादि स्वयं क्रियाशील रहते है।
4. इस पद्धति के माध्याम से कार्यकर्ताओं में चेतना का विकास होता है।
5. इस अनुसंधान में सभी कार्यकर्ता एक वैज्ञानिक दृष्टि से कार्य करते है तथा पूर्वाग्रह एवं पक्षपात से दूर रहने का प्रयास करते है।
6. इस अनुसंधान शोधकर्ता या अध्यापक, प्राचार्य तथा निरीक्षक इत्यादि के द्वारा वस्तुनिष्ठ विधि से अध्ययन करते है।
7. क्रियात्मक अनुसंधान में दैनिक समस्याओं का अध्ययन व्यवहारिक क्रिया में सुधार तथा विकास के दृष्टि कोण से होता है।