इस लेख के मुख्य बिंदु
कुछ विदेशी अखबारों ने यह खुलासा किया है कि गलवन घाटी में दर्जनों में चीनी सैनिकों के मारे जाने की बात कही। एक दिन पहले ही आस्ट्रेलिया के एक प्रतिष्ठित मीडिया ने इसी तरह का दावा किया है। उधर, अमेरिकी सीनेट की विदेश नीति समिति के सदस्य जिम रीश ने गलवन घाटी में घायल सैनिक को मशाल वाहक बनाए जाने के फैसले को शर्मनाक बताया है। रीश ने कहा है कि यह सैनिक उस टीम का हिस्सा था, जिसने वर्ष 2020 में भारत पर हमला किया था।
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भारत ओलंपिक का बहिष्कार क्यों कर रहा है?
चीन ने सेना अधिकारी की फैबाओ (Qi Fabao) को मशाल वाहक के रूप में चुना है। की फैबाओ 2020 में भारत और चीन के बीच गलवान घाटी संघर्ष में शामिल थे। यह दोनों देशों के बीच सबसे खूनी मुठभेड़ों में से एक थी। भारत का मानना है कि चीन की फैबाओ को मशाल वाहक के रूप में चुनकर ओलंपिक का राजनीतिकरण कर रहा है।
की फैबाओ (Qi Fabao) कौन है
15 जून, 2020 को भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच हुई झड़प में Qi Fabao घायल हो गए थे। इस झड़प के दौरान कम से कम 20 भारतीय सैनिक और चार चीनी सैनिक मारे गए थे। इस झड़प में Qi Fabao गंभीर रूप से घायल हो गये थे। लेकिन वह बच गये थे। उन्हें अब देश में हीरो माना जाता है, और इसलिए ही उसे मसाल वाहक बनाया जा रहा है। चीन को इस तथ्य को स्वीकार करने में आठ महीने लग गए कि संघर्षों के दौरान उसके सैनिकों की मौत हुई थी।
अमेरिका समेत अन्य यूरोपीय देशों किया बहिष्कार
अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों ने चीन शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्कार किया है। वे चीन के खराब मानवाधिकार रिकॉर्ड के कारण बहिष्कार कर रहे हैं। अमेरिका चीन में उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ जबरन नसबंदी अभियान और सामूहिक नजरबंदी शिविरों के खिलाफ है।
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