बेंच के इन सभी जस्टिस ने आरक्षण को लेकर क्या कहा है
जस्टिस दिनेश महेश्वरी
आरक्षण सिर्फ आर्थिक और सामाजिक वर्ग से पिछड़े लोगों को ही नहीं बल्कि वंचित वर्गों को भी समाज में शामिल करने में एक मुख्य भूमिका निभाता है। इसलिए ईडब्ल्यूएस कोटा संविधान के मूल ढांचे को नुकसान पहुंचाता है और ना ही मौजूदा आरक्षण संविधान के कानूनों का उल्लंघन करता है।
जस्टिस बेला त्रिवेदी
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को भी एक अलग वर्ग मानना सही है, इसे संविधान का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है। देश के आजादी के 75 वर्ष बाद हमें समाज के हितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है। संसद में एंग्लो इंडियन के लिए आरक्षण समाप्त हो गया है। इसी तरह अन्य आरक्षण के लिए भी समय सीमा होना चाहिए, इसलिए 103 वें संशोधन की वैधता बरकरार रखी जाती है। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
जस्टिस जे.बी पारदीवाला
डॉक्टर अंबेडकर का विचार था कि आरक्षण की व्यवस्था 10 साल तक रहे लेकिन यह अभी भी जारी है। आरक्षण को निहित स्वार्थ नहीं बनने देना चाहिए। संविधान के 103 वें में संशोधन की वैधता को बरकरार रखते हुए मैंने ( जस्टिस जे.बी पारदीवाला ने) सोचा है कि आरक्षण का पालन करना सामाजिक न्याय को सुरक्षित रखना है।
चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस एस रविंद्र भट
एससी, एसटी और ओबीसी के गरीब लोगों को इससे बाहर करना भेदभाव है, हमारा संविधान बहिष्कार या भेदभाव की अनुमति नहीं देता है और यह संशोधन सामाजिक न्याय के ताने-बाने को कमजोर कर रहा है। इस तरह यह बुनियादी ढांचे को कमजोर कर रहा है।
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ईडब्ल्यूएस कोटा क्या है
जनवरी 2019 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने संविधान में 103 वां संशोधन लेकर इसके तहत देश में आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों के लिए नौकरियां और शिक्षा के क्षेत्र में 10 परसेंट आरक्षण देने का प्रावधान बनाया था। कानूनी आरक्षण की सीमा 50% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए अभी भी देशभर में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है वह 50 परसेंट के अंदर ही मिल रहा है, लेकिन सामान्य वर्ग का 10 फ़ीसदी कोटा, इस 50 फ़ीसदी सीमा के बाहर है। 2019 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह कहा था कि आर्थिक रूप से कमजोर 10 परसेंट आरक्षण देने का कानूनी उच्च शिक्षा एवं रोजगार में समान अवसर देकर सामाजिक समानता को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया है।
आर्थिक रूप से कमजोर किसे माना जाता है
यह ईडब्ल्यूएस आरक्षण सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों को ही दिया जाता है। इस आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में वे लोग आते हैं जिनकी सालाना आय ₹800000 से कम होती है। समान वर्ग के ऐसे लोगों को नौकरियां और शिक्षा के क्षेत्र में 10 परसेंट आरक्षण दिया जाता है।
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