Biography of Kaka Kalelkar, काका कालेलकर के जीवन परिचय के बारे में जानें विस्तार से

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Wed, 30 Nov 2022 05:38 PM IST

Highlights

साल 1965 में कालेलकर जी को गुजराती भाषा में लिखे गए जीवन व्यवस्था किताब जो कि गुजराती भाषा में निबंधों का संग्रह है इसके लिए साहित्यिक साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।

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Biography of Kaka Kalelkar  : भारत को स्वतंत्रता दिलाने में ऐसे बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों का हाथ और योगदान रहा है, जिनमें से एक हैं काका कालेलकर जोकि महात्मा गांधी के अहिंसा वादी विचारधारा को अपनाते हुए अंग्रेज शासकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। ये गांधी जी के प्रमुख अनुयाई में से एक थे, काका कालेलकर लेखक एवं साहित्यकार भी थे, इन्होंने कई भाषाओं में लेख लिखे हैं, इन्हें भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। आइए जानते हैं, इनके द्वारा लिखी गई रचनाओं एवं इनके जीवन के सभी पहलुओं के बारे में, अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं   FREE GK EBook- Download Now. /  सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application

 
काका कालेलकर का प्रारंभिक जीवन 


काका कालेलकर का जन्म 1 दिसंबर 1885 को सतारा महाराष्ट्र में हुआ था। काका कालेलकर का पूरा नाम दत्तात्रेय बालकृष्ण कालेलकर था, जिन्हें काका कालेलकर, सवाई गुजराती एवं आचार्य कालेलकर के नाम से जाना जाता था। यह एक समाज सुधारक, लेखक, साहित्यकार, कार्यकर्ता एवं पत्रकार थे।

Source: safalta

स्वतंत्रता सेनानी के रूप में एवं महात्मा गांधी के प्रमुख अनुयाई के रूप में इन्हें प्रसिद्धि मिली थी। काका कालेलकर को हिंदी, अंग्रेजी, बंगला एवं गुजराती और मराठी भाषा का ज्ञान था। काका कालेलकर का निधन 21 अगस्त 1981 में 96 साल की उम्र में हुई थी। 


काका कालेलकर के शिक्षा के बारे में


काका कालेलकर महाराष्ट्र के छोटे से गांव कलेली के मूल निवासी थे, यहीं से इनको उपनाम कालेलकर अपनी प्राथमिक शिक्षा मिली  थी जिसके बाद साल 1903 में इन्होंने अपनी मैट्रिक की परीक्षा पास की साल 1907 में पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज से दर्शनशास्त्र बीए की डिग्री पूरी की। इसके बाद कालेलकर ने एलएलबी की परीक्षा भी दी और साल 1908 में बेलगांव में गणेश विद्यालय में एडमिशन लिया था।  Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
 

 काका कालेलकर के हिमालय यात्रा बारे में


काका कालेलकर राष्ट्रवादी मराठी दैनिक के एडिटोरियल स्टाफ के रूप में कार्य किया था। जिसके बाद साल 1910 में बड़ौदा में गंगानाथ विद्यालय में एक स्कूल शिक्षक के रूप में काम किए। कुछ साल बाद ब्रिटिश सरकार ने साल 1912 में अपनी राष्ट्रवादी भावना के चलते विद्यालय को बंद करवा दिया था। विद्यालय बंद होने के बाद  कालेलकर जी पैदल ही हिमालय यात्रा के लिए गए और फिर साल 1913 में इन्होंने बर्मा एवं म्यांमार की यात्रा की जहां उनकी मुलाकात आचार्य कृपलानी से हुई थी।
 

 गांधी जी से मुलाकात के बारे में 


बर्मा की यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात आचार्य कृपलानी से हुई थी साल 1915 में यह महात्मा गांधी से मिले गांधी जी से मिलने के बाद यह उनके विचारों से अत्यधिक प्रभावित हुए और वे साबरमती आश्रम के सदस्य बने। कालेलकर जी ने साबरमती आश्रम की राष्ट्रीय शाला में पढ़ाया,  कुछ समय के लिए इन्होंने सर्वोदय के संपादक के रूप में काम किया, जिसके बाद कालेलकर जी को प्रोत्साहित किया गया और वह अहमदाबाद में गुजरात विद्यापीठ की स्थापना में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई और साल 1928 में वाइस चांसलर बने, महात्मा गांधी के साथ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में कालेलकर जी पूरी निष्ठा और श्रद्धा के साथ शामिल हुए थे इस कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा साल। साल 1939 में काका कालेलकर ने गुजरात विद्यापीठ से इस्तीफा ले लिया था। GK Capsule Free pdf - Download here
 

 कालेलकर जी के महत्वपूर्ण कार्य 


साल 1935 में कालेलकर जी राष्ट्रभाषा समिति के सदस्य बने, इस कमेटी का मुख्य उद्देश्य हिंदी जोकि हिंदुस्तानी भाषा है उसे राष्ट्रीय भाषा के रूप में लोकप्रिय बनाना था।

साल 1948 में गांधी जी की मृत्यु के बाद गांधी स्मारक निधि में अपनी मृत्यु तक जुड़े रहे।

साल 1952 से 1964 तक काका कालेलकर राज्यसभा के सदस्य के रूप में कार्यरत थे।

 साल 1959 में कालेलकर जी गुजराती साहित्य परिषद की अध्यक्षता भी की, इसके बाद साल 1967 में इन्होंने एक वेधशाला गांधी विद्यापीठ की स्थापना की और इसके उपाध्यक्ष के रूप में काम किया।

 महात्मा गांधी जी कालेलकर जी को सवाई गुजराती के नाम से पुकारते थे जिसका अर्थ है एक चौथाई गुजराती दरअसल कालेलकर जी की मातृभाषा मराठी होने के बावजूद भी कालेलकर जी को गुजराती भाषा बहुत अच्छे से आता था जिसके चलते गांधी जी ने उन्हें यह नाम दिया था।

 काका कालेलकर आयोग के बारे में


 29 जनवरी साल 1953 में भारत के संविधान के अनुच्छेद 340 का पालन करते हुए पहले पिछड़े वर्ग आयोग की स्थापना की गई थी। यह उस समय के भारत के राष्ट्रपति के आदेश पर काका कालेलकर की अध्यक्षता में की गई थी। इस पहले पिछड़े वर्ग आयोग को काका कालेलकर आयोग के नाम से भी जाना जाता है।


 काका कालेलकर के कार्यों के बारे में


 काका कालेलकर हिंदी, गुजराती, मराठी एवं अंग्रेजी भाषा में उल्लेखनीय एवं शानदार किताब लिखी है। इसके अलावा कुछ multi-part ग्रंथावली भी इनके द्वारा लिखी गई है।

 उपलब्धियां 


कालेलकर जी को उनके कार्यों के चलते कुछ उपलब्धियां भी मिली है आइए जानते हैं इनके बारे में-

साल 1965 में कालेलकर जी को गुजराती भाषा में लिखे गए जीवन व्यवस्था किताब जो कि गुजराती भाषा में निबंधों का संग्रह है, इसके लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया।
 कालेलकर जी की साहित्यिक उपलब्धियों के लिए साल 1971 में साहित्य अकादमी फेलोशिप भी दी गई।
  भारत सरकार ने 1964 में पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया था।
 साल 1985 में कालेलकर जी के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट भी जारी की गई थी।
 

 कालेलकर के मृत्यु के बारे में 

काका कालेलकर की मृत्यु 21 अगस्त 1981 को 96 साल की उम्र में नई दिल्ली के संनिधि आश्रम में हुई थी। 

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