संसद में पेश किए जाने वाले विधेयक दो प्रकार के होते हैं- सार्वजनिक विधेयक या पब्लिक बिल और निजी विधेयक या प्राइवेट बिल (इन बिलों को क्रमशः सरकारी विधेयक और निजी सदस्यों के विधेयक के रूप में भी जाना जाता है). हालांकि दोनों एक ही सामान्य प्रक्रिया के अधीन होते हैं और सदन में समान चरणों से गुजरते हैं. पब्लिक बिल या सार्वजनिक विधेयक पार्लियामेंट में केवल एक मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है जबकि प्राइवेट बिल या निजी विधेयक संसद के किसी भी सदस्य के द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है. आईए दोनों को एक एक करके देखते और समझने का प्रयास करते हैं- यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now.
प्राइवेट बिल या निजी विधेयक-
- प्राइवेट बिल या निजी विधेयक कानून के लिए एक प्रस्ताव है जो किसी विशेष व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह या कॉर्पोरेट संस्थाओं पर लागू होता है. प्राइवेट बिल किसी अन्य कानून से रिलीफ प्रदान कर सकता है, स्पेशल बेनिफिट का विशेष लाभ या अनुदान प्रदान कर सकता है या किसी कथित रूप से गलत कार्य के लिए किसी को कानूनी जिम्मेदारी से मुक्त कर सकता है.
- पार्लियामेंट के दोनों सदनों में लेजिस्लेटिव प्रोसीजर (विधायी प्रक्रिया) समान हीं है. प्रत्येक विधेयक को प्रत्येक सदन में समान प्रक्रिया से गुजरना होता है. विधेयक या बिल कानून के लिए एक प्रस्ताव (प्रपोजल) है और यह जब संसद के दोनों सदनों के द्वारा विधिवत पारित कर दिया जाता है और भारत के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित कर दिया जाता है, तब यह एक अधिनियम,एक्ट या कानून बन जाता है.
- एक निजी विधेयक या प्राइवेट बिल को एक निजी सदस्य का विधेयक समझ कर भ्रमित नहीं होना चाहिए. एक निजी विधेयक सिर्फ सदन के एक सदस्य द्वारा विधायिका में पेश किया जाता है, न कि सत्ताधारी दल के मंत्री द्वारा.
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सार्वजनिक विधेयक (पब्लिक बिल)-
यह बिल का सबसे आम प्रकार है. सार्वजनिक विधेयक या पब्लिक बिल आम तौर पर जनता को प्रभावित करने वाले मामलों से संबंधित होते हैं जो आमतौर पर सरकार के मंत्री द्वारा पेश किए जाते हैं. अधिकांश विधेयक सार्वजनिक होते हैं और सरकार द्वारा पेश और समर्थित होते हैं.
इन दोनों विधेयकों के बीच कुछ अंतर नीचे दिए गए हैं-
पब्लिक बिल (सार्वजनिक विधेयक.) | सार्वजनिक विधेयक (पब्लिक बिल) |
1. इसे एक मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है. | 1. इसे मंत्री के अलावा संसद के किसी भी सदस्य द्वारा पेश किया जा सकता है. |
2. यह सरकार (सत्तारूढ़ दल) की नीतियों को दर्शाता है. | 2. यह सार्वजनिक मामले पर राजनीतिक दल के मूड को दर्शाता है. |
3. इसके संसद द्वारा पारित होने की अधिक संभावना होती है. | 3. संसद द्वारा इसके पारित होने की संभावना कम होती है. |
4. संसद के निचले सदन में इसकी अस्वीकृति के कारण कैबिनेट का इस्तीफा हो सकता है. | 4. सदन द्वारा इसकी अस्वीकृति का सत्तारूढ़ दल के संसदीय विश्वा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. |
5. सदन में इसकी शुरूआत के लिए 7 दिन का नोटिस होना चाहिए. | 5. हाउस में इसके परिचय के लिए एक महीने का समय लगता है. |
6. इसका मसौदा संबंधित विभाग द्वारा विधि विभाग के परामर्श से तैयार किया जाता है. | 6. इसका प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी संबंधित सदस्यों की होती है. |
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