Journey of Mahatma Gandhi from South Africa to India: महात्मा गाँधी का दक्षिण अफ्रीका से लेकर भारत तक का सफ़र

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Tue, 08 Feb 2022 11:14 AM IST

Source: amarujala

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. 1883 में मात्र 14 वर्ष की आयु में उनका विवाह कस्तूरबा गाँधी के साथ कर दिया गया था. गाँधी जी बैरिस्ट्री की पढ़ाई करने के लिए विदेश जाना चाहते थे इसलिए 1888 में लन्दन चले गए. वकालत की पढ़ाई खत्म होने के बाद 1893 में वह भारत वापस आये और वकालत करनी शुरू की. लेकिन उन्हें कोई अच्छा काम नहीं मिल रहा था.  यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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दक्षिण भारत जाने का प्रस्ताव


1893 में हीं उन्हें दादा अब्दुल्ला नाम के एक व्यापारी से एक प्रस्ताव मिला, दक्षिण अफ्रीका में दादा अब्दुल्ला के चचेरे भाई के वकील बनने का. गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका जाने के लिए तैयार हो गए. वहां जाना हीं उनकी जिंदगी का एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय साबित हुआ. दक्षिण अफ्रीका में अपने प्रवास के दौरान गाँधी जी को कई अवसरों पर अश्वेतों और भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव का सामना करना पड़ा.

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी के साथ हुए भेदभाव


एक बार गाँधी जी डर्बन से प्रीटोरिया तक की रेलयात्रा कर रहे थे. गाँधी जी ने प्रथम श्रेणी की टिकट खरीदी थी. जब वह प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठे थे तभी डिब्बे में एक अंग्रेज़ अधिकारी दूसरे अंग्रेज़ अधिकारियों को ढूँढता हुआ आया और गाँधी जी को वहां बैठा देख कर उनसे बोला कि वो वैन वाले डिब्बे में चले जाएँ क्यूंकि कुली (भारतीयों के लिए नस्लवादी शब्द) और अश्वेत प्रथम श्रेणी में रेलयात्रा नहीं कर सकते. गाँधी जी ने उनसे कहा कि उन्होंने प्रथम श्रेणी की टिकट खरीदी है इसलिए वे नहीं जायेंगे जिस पर उस अंग्रेज़ ने गाँधी जी को डिब्बे से धक्का दे दिया और उनका सामान भी प्लेटफार्म पर फेक दिया.

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एक दूसरी घटना डर्बन के कोर्टरूम में हुयी थी जहाँ यूरोपीय मजिस्ट्रेट ने गाँधी जी को पगड़ी उतारने के लिए कहा था. इन घटनाओं से गाँधी जी काफी आहत हुए और उन्होंने लोगों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने का निर्णय किया. इसके लिए उन्होंने सत्याग्रह की रणनीति विकसित की जिसमें आन्दोलन करने वाले शांतिपूर्ण जुलूस निकालते हैं और अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए खुद को गिरफ़्तारी के लिए भी प्रस्तुत कर देते हैं.   

दक्षिण अफ्रीका में गाँधी जी द्वारा किये गए कुछ कार्य


* 1903 में इंडियन ओपिनियन नाम का एक समाचारपत्र का प्रकाशन शुरू किया  
* 1904 में डर्बन में फ़ीनिक्स आश्रम का निर्माण
* 1906 में पहला सत्याग्रह किया

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भारत में आगमन           

महात्मा गाँधी 9 जनवरी 1915 को दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आये थे. 2015 से इस दिन को हमलोग प्रवासी दिवस के रूप में मनाते हैं. 1915 में भारत वापस आने के बाद गांधी जी के राजनैतिक जीवन का प्रारंभ हुआ. यहाँ उन्हें गोपाल कृष्ण गोखले जैसे अनुभवी नेता का साथ प्राप्त हुआ. गोपाल कृष्ण गोखले ने हीं गांधी जी को भारत वापस आने के बाद के एक वर्ष तक के समय को इयर ऑफ़ प्रोबेशन समझने के लिए कहा था अर्थात पहले सारी परिस्थियों से अवगत होना, सब चीज़ों को विस्तार में समझना और उसके बाद राजनीती के क्षेत्र में आना.  1916 में गाँधी जी ने अपने रहने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे साबरमती आश्रम का निर्माण किया. 1916 में हीं उन्होंने कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में भाग लिया था जहाँ उनसे मिलने चंपारण से राजकुमार शुक्ल आये थे. राजकुमार शुक्ल ने गाँधी जी को चंपारण के किसानों के साथ हो रहे अन्याय की जानकारी दी थी और उन्हें चंपारण आने का निमंत्रण दिया था.      
   
भारत में गाँधी जी द्वारा किये गए महत्वपूर्ण कार्य

* 1917 का चंपारण सत्याग्रह
* 1918 का अहमदाबाद मिल हड़ताल – यह गाँधी जी की प्रथम भूख हड़ताल थी.
* 1918 का खेडा सत्याग्रह
* 1919 का खिलाफ़त आन्दोलन
* 1920 का असहयोग आन्दोलन
* 1930 का सविनय अवज्ञा आन्दोलन, डांडी मार्च
*  गोलमेज सम्मलेन की समझौता वार्ता
* 1931 का गाँधी इरविन समझौता
* 1942 का भारत छोड़ो आन्दोलन

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महात्मा गाँधी की हत्या
30 जनवरी 1948 को एक कट्टरपंथी नाथूराम गोडसे ने पॉइंट-ब्लांक रेंज पर महात्मा गाँधी को गोली मार दी थी. नाथूराम गोडसे एक हिन्दू कट्टरपंथी थे जिन्होंने गाँधी जी को भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद पाकिस्तान को विभाजन भुगतान देकर भारत को कमज़ोर करने के लिए जिम्मेदार मानते थे. भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महात्मा गांधी की भूमिका और योगदान न केवल उल्लेखनीय है, बल्कि असाधारण और अनुकरणीय भी है क्योंकि उन्होंने अहिंसा के बल पर जनता को जगाया, सत्याग्रह किया और उनकी सदियों पुरानी गुलामी की जंजीरों को काटने का आह्वान किया.