इस लेख के महत्वपूर्ण फैक्ट
1. इस खंडपीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित ने की।2. प्रतिवादियों को ऑनलाइन गेमिंग व्यवसाय और याचिकाकर्ताओं की संबद्ध गतिविधियों में हस्तक्षेप करने से रोकने के लिए परमादेश का एक रिट जारी किया गया था।
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कानून में घुड़दौड़ को छोड़कर, मौके के किसी भी खेल के संबंध में सभी प्रकार की सट्टेबाजी या जुआ शामिल है। हालांकि, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने इस कानून का विरोध करते हुए कहा था कि यह नीति कर्नाटक की भविष्य की सम्भावनाओं को प्रभावित करेगी, जो ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के हब के रूप में उभर रहा है। इस एक्ट ने राज्य में सभी प्रकार के दांव, सट्टेबाजी और जुए सहित ऑनलाइन गेम के सभी प्रारूपों पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके तहत ऑनलाइन गेमिंग को गैर-जमानती अपराध माना जाता था। इसमें एक लाख रुपये जुर्माना और तीन साल तक की कैद का प्रावधान बनाया गया है।
वो कौन कौन से ऑनलाइन गेम्स थे जिसे रद्द किया गया था
MPL कर्नाटक में अपना कामरोकने वाली पहली कंपनियों में से एक थी। इसके साथ ही पेटीएम फर्स्ट गेम्स , ड्रीम11, मोबाइल प्रीमियर, गेम्स 24x7 (रम्मीसर्कल, माई11सर्किल) Ace2Three को भी बंद किया गया था।गेमिंग कंपनी ने की याचिका दायर
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने नए कानून पर सवाल उठाने के लिए अदालत की शरण ली। भारत में ऑनलाइन गेमिंग काफी पॉपुलर है और ये उद्योग तेजी से बढ़ रहा है. अर्न्स्ट एंड यंग की एक रिपोर्ट बताती है कि 2022 में भारत में 8 करोड़ से ज्यादा रीयल मनी गेमर्स थे, जिसके 2023 तक 15 करोड़ होने की संभावना है। अगर फीस के नजरिए से देखा जाए तो रिपोर्ट में 2023 तक इसके 2 अरब डॉलर (150 अरब रुपये) की इंडस्ट्री बनने की संभावना जताई गई थी।हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इसी तरह के कानून को तमिलनाडु में चुनौती दी गई थी। जिसके बाद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल जैसे कई राज्यों ने नकद पैसों के लेनदेन वाले ऐसे ऑनलाइन गेम्स पर रोक लगा दिया हैं। आपको बता दें कि चैन्नई हाईकोर्ट ने अगस्त में ऐसे ही सस्पेंशन ऑर्डर को रद्द कर दिया था। मध्यप्रदेश के भोपाल में ऑनलाइन गेम की लत की वजह से 11 साल के एक बच्चे की खुदकुशी के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने भी ऐसे कानून बनाने का ऐलान किया है, जिसमें जुर्माने के साथ साथ सजा का भी प्रावधान बनाया जाएगा। केरल हाईकोर्ट ने भी हाल में ऐसा आदेश दिया है। तमिलनाडु सरकार बैन को दुबारा आरम्भ करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है।
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