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खिलाफ़त और खलीफा-
खिलाफ़त आन्दोलन मुख्यतः खलीफा और उसके पद को ख़त्म करने से हीं सम्बंधित है. खिलाफ़त एक उर्दू शब्द है जिसका अर्थ है विरोध करना. ओटोमन साम्राज्य (आज के समय का तुर्की) के सुल्तान को खलीफा कहते थे. खलीफा से सम्बंधित दो महत्वपूर्ण बातें यह थीं कि –
1) खलीफा पद तुर्की अर्थात मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा राजनैतिक पद था.
2) खलीफा मुसलमानों का सबसे बड़ा आध्यात्मिक नेता माना जाता था.
इन कारणों से पूरी दुनियां में खलीफा का बहुत हीं सम्मान था.
परिस्थितियां –
इस आन्दोलन की पृष्ठभूमि प्रथम विश्वयुद्ध की है जो कि 1914 से लेकर 1918 के बीच हुआ था. इसमें एक तरफ मित्र राष्ट्र थे और दूसरी तरफ सेंट्रल पॉवर. सेंट्रल पॉवर में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ओटोमन साम्राज्य शामिल थे और मित्र राष्ट में थे ब्रिटेन, रूस, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका. प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान हीं ब्रिटेन ने ये कह दिया था कि अगर इस विश्वयुद्ध में सेंट्रल पॉवर हार जाता है तो ओटोमन साम्राज्य का विघटन कर दिया जायेगा, वहां से खलीफा का पद ख़तम कर दिया जायेगा और एक नई लोकतांत्रिक व्यवस्था लायी जाएगी. लेकिन क्यूंकि खलीफा का पद सबसे बड़ा राजनैतिक और आध्यात्मिक पद था जिसके कारण इस्लाम से सम्बंधित सारे स्मारक खलीफा के अधिकार क्षेत्र के अधीन आते थे और अगर खलीफा को उसके पद से हटा दिया जायेगा तो इस्लाम के सारे पवित्र धार्मिक स्थलों से भी खलीफा का आधिपत्य समाप्त हो जायेगा. इस बात से पूरे विश्व के मुसलमानों की धार्मिक आस्था पर प्रहार हो रहा था. जिससे पूरे विश्व के मुसलमानों में ब्रिटेन के प्रति आक्रोश भर गया था. हालांकि इस विश्वयुद्ध का सीधा-सीधा भारत से कोई लेना देना नहीं था, यह अंतराष्ट्रीय स्तर पर चल रहा था लेकिन भारत के मुसलमानों में भी प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान इसी कारण से ब्रिटिश सरकार के प्रति असंतोष उत्पन्न हो गया. भारत के मुसलमानों ने ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के लिए और खलीफा को उसकी सत्ता में बनाये रखने के लिए भारत में एक आन्दोलन चलाया, इसी आन्दोलन को खिलाफ़त आन्दोलन कहते हैं.
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खिलाफ़त कमिटी का गठन –
खिलाफ़त आन्दोलन का सञ्चालन करने के लिए 1919 में एक समिति बनायी गयी जिसे खिलाफ़त आन्दोलन कमिटी कहते हैं. इस कमिटी के सबसे महत्वपूर्ण सदस्य अली बन्धु यानि कि मोहम्मद अली और शौकत अली थे. इनके अलावा सदस्यों में हकीम अजमल खान, हसरत मोहनी और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद शामिल थे. इस खिलाफ़त कमिटी ने एक अखिल भारतीय खिलाफ़त कांफ्रेंस का आयोजन किया था जिसमें देशभर के सारे मुसलमान इकट्ठे हुए थे. इस कांफ्रेंस की अध्यक्षता महात्मा गाँधी ने की थी.
गाँधी जी का खिलाफ़त आन्दोलन को समर्थन –
1919 के समय देश की हालत ठीक नहीं थी. राष्ट्रीय आन्दोलन कमजोर पड़ रहे थे तो दूसरी तरफ़ रॉलेट एक्ट, जालियांवाला हत्याकांड इत्यादि को लेकर जनता में आक्रोश भी बढ़ रहा था. इस समय व्यापक स्तर पर एक बड़े आन्दोलन की आवश्यकता थी, इसी के तहत खिलाफत आन्दोलन को गाँधी जी का समर्थन भी मिला. साथ हीं गाँधी जी का मुख्य प्रयोजन इस आन्दोलन के माध्यम से हिन्दू-मुस्लिम एकता को स्थापित करना भी था.
अखिल भारतीय खिलाफ़त कांफ्रेंस में यह निर्णय लिया गया था कि यदि खिलाफ़त की मांगों को स्वीकार नहीं किया गया तो अंग्रेजों के साथ असहयोग किया जायेगा. यह विरोध आगे चल कर इतना बढ़ गया कि मुस्लिम समुदाय ने यह तय किया कि ब्रिटिशों के साथ हर स्तर पर असहयोग किया जायेगा. अखिल भारतीय खिलाफ़त के दूसरे कांफ्रेंस में भी व्यापक स्तर पर असहयोग की बात दोहराई गयी.
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परिणाम –
प्रत्यक्ष रूप से यह आन्दोलन सफल नहीं हो सका. 1922 ईस्वी में मुस्तफ़ा कमाल पाशा के नेतृत्व में तुर्की के लोगों ने हीं खलीफा को उसकी सत्ता से बेदखल कर दिया था जिसके बाद खिलाफ़त आन्दोलन स्वतः हीं समाप्त हो गया.
लेकिन खिलाफ़त आन्दोलन ने उस समय भारत में हिन्दू-मुस्लिम एकता को स्थापित कर दिया और राष्ट्रीय आन्दोलन को आगे बढ़ाने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की. इसलिए अप्रत्यक्ष रूप से इस आन्दोलन को सफल माना जा सकता है.
FAQs
1) खिलाफ़त आन्दोलन क्या था ?
उत्तर - सन् 1919 में भारत के मुसलमानों ने ब्रिटिश सरकार का विरोध करने के लिए और खलीफा को उसकी सत्ता में बनाये रखने के लिए भारत में जो आन्दोलन चलाया उसे खिलाफ़त आन्दोलन कहते हैं.
2) खिलाफ़त आन्दोलन किसके द्वारा शुरू किया गया था ?
उत्तर - खिलाफ़त आन्दोलन अली बंधुओं (मुहम्मद अली और शौकत अली) द्वारा शुरू किया गया था
3) सिवर्स की संधि क्या है ?
उत्तर - प्रथम विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद मित्र राष्ट्र ने ओटोमन साम्राज्य के साथ जो संधि की उसे सिवर्स की संधि कहते हैं. इस संधि के द्वारा यह प्रावधान किया गया था कि खलीफा का पद समाप्त कर दिया जायेगा.
4) खिलाफ़त आन्दोलन के दौरान किस आन्दोलन की रूपरेखा तैयार हो रही थी ?
उत्तर - खिलाफ़त आन्दोलन के दौरान असहयोग आन्दोलन की रूपरेखा तैयार हो रही थी.
5) खिलाफ़त आन्दोलन की पहली अध्यक्षता किसने की थी ?
उत्तर - खिलाफ़त आन्दोलन की पहली अध्यक्षता महात्मा गाँधी ने की थी.