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मुक्त व्यापार समझौते देशों के बीच लोकप्रिय क्यों हो रहे हैं?
- मुक्त व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने से एक देश के उत्पाद या सेवाएं दूसरे देश के मार्केट तक बड़ी हीं सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं.
- साथ हीं देशों को अतिरिक्त खर्चे (सीमा शुल्क, टैरिफ, सब्सिडी, कोटा) से भी निजात मिलता है.
- निर्यातक (एक्सपोर्टर्स) एफटीए को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि उन्हें गैर-एफटीए सदस्य देशों के मुकाबले ज्यादा तरजीह मिलती है.
- एफटीए के माध्यम से विदेशी निवेश बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है.
भारत और मुक्त व्यापार समझौते
अगर वर्तमान परिदृश्य की बात करें तो भारत आज 12 मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) या क्षेत्रीय व्यापार समझौतों (आरटीए) का हिस्सा है. इन समझौतों के माध्यम से भारत का अन्य देशों के साथ जुड़ाव बढ़ेगा. इस समय भारत की इज़राइल, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, और यूरोपीय संघ सहित कई अन्य देशों के साथ भी एफटीए के मुद्दे पर चर्चा चल रही है.
- 1975 का बैंकॉक समझौता भारत का पहला क्षेत्रीय व्यापार समझौता (आरटीए) था. 2005 में इस समझौते का एशिया प्रशांत व्यापार समझौते (एपीटीए) के रूप में पुनर्जन्म हुआ.
- श्रीलंका के साथ भारत का पहला द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) (आईएसएफटीए) मार्च 2000 में लागू हुआ था.
- हालांकि अगर सर्वेक्षणों की बात करें तो भारत को अपने फ्री ट्रेड अग्रीमेंट्स से कोई ख़ास फायदा नहीं हुआ है.
- भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच मार्च 2022 में फ्री ट्रेड अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये गए.
- भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच फ्री ट्रेड अग्रीमेंट को लेकर काफी लम्बे वक्त से बातचीत चल रही थी जो कि 2022 में जाकर अन्त्य निर्णय पर पहुँची और 2 अप्रैल 2022 को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक द्विपक्षीय फ्री ट्रेड अग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये गए. दोनों देशों के लिए यह काफी महत्वाकांक्षी समझौता है.
- भारत के फ्री ट्रेड अग्रीमेंट से सम्बंधित नवीनतम घटनाक्रम की बात करें तो अभी भारत और ब्रिटेन के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता प्रस्तावित है जिस पर दोनों पक्षों के बीच इसी साल मार्च महीने में चर्चा की गयी थी.
- 22 अप्रैल 2022 को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की मुलाकात हुयी है जिसमें अन्य मुद्दों के साथ व्यापार संबंधों को लेकर भी चर्चा हुयी है.