लालकृष्ण आडवाणी के परिवार एवं शिक्षा
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म कराची के सिंधी परिवार में 8 नवंबर 1927 को हुआ था।
उनके पिताजी एक व्यापारी थे और उनका नाम श्री किशनचंद आडवाणी तथा माता का नाम श्रीमती ज्ञानी देवी था।
कराची में रहने के बाद यह परिवार भारत-पाकिस्तान बंटवारे में पाकिस्तान से मुंबई भारत आकर बस गई।
लालकृष्ण आडवाणी की स्कूली शिक्षा सेंट मैट्रिक्स हाई स्कूल कराची से हुई, जिसके बाद उन्होंने हैदराबाद के एडीजी कॉलेज से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी की, इसके अलावा पाकिस्तान से भारत आने के बाद उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से अपनी वकालत की पढ़ाई भी पूरी की है।
एलके आडवाणी का विवाह साल 1965 फरवरी में कमलादेवी से हुआ था।
इनके एक बेटा और एक बेटी थी जिनका नाम जयंत आडवाणी और प्रतिभा आडवाणी है।
प्रतिभा आडवाणी टीवी सीरियल निर्माता होने के साथ-साथ अपने पिता के साथ राजनैतिक कार्यों में भी सहायिका है साल 2016 में लालकृष्ण आडवाणी की पत्नी का हार्ट अटैक से निधन हो गया है।Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
लालकृष्ण आडवाणी का राजनैतिक करियर
लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत 1942 में आरएसएस के स्वयंसेवी के रूप में किया था।
r.s.s. एक हिंदू संगठन है, लालकृष्ण आडवाणी सबसे पहले जब कराची में ही थे तब आरएसएस के प्रचारक बने थे और r.s.s. को अपनी सेवा दिया करते थे, उन्होंने आरएसएस की कई शाखाएं की भी स्थापना की थी।
जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ उसके बाद उन्होंने उन्हें भारत आने पर राजस्थान के मत्स्य अलवाड़ा भेजा गया, 1952 तक उन्होंने अलवाड़ में काम करने के बाद राजस्थान के भरतपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़, जिले में काम किया था।
भारतीय जनसंघ के बारे में
1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने r.s.s. के साथ मिलकर भारतीय जन संघ की स्थापना की थी, आरएसएस के मुख्य सदस्य होने के नाते लालकृष्ण आडवाणी भी जन संघ से जुड़े थे।
उन्हें राजस्थान में जनसंघ के श्री एसएस भंडारी के सचिव के पद पर अप्वॉइंट किया गया।
लालकृष्ण आडवाणी बहुत ही कुशल राजनीतिक थे उनके कुशल नेतृत्व के दम पर जल्द ही उन्हें जनसंघ में जनरल सेक्रेटरी के पद पर नियुक्त किया गया।
राजनीति में अपना कदम आगे बढ़ाते हुए 1957 में उन्होंने दिल्ली की ओर कदम बढ़ाया, दिल्ली आने के बाद इन्हें दिल्ली के जनसंघ का अध्यक्ष अपॉइंट किया गया।
उन्होंने 1967 में दिल्ली के महानगरीय परिषद चुनाव लड़ा और काउंसिल के नेता बने।
राजनीति गुण होने के साथ-साथ लालकृष्ण आडवाणी में और भी अन्य बहुत सी प्रतिभाएं थी।
1966 के दौर में आरएसएस की सप्ताहिक पत्रिका में उन्होंने संपादक के.आर. मलकानी की भी सहायता की थी। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
गृह मंत्री के रूप में कार्य
1996 के चुनाव के बाद बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई और इसलिए उसे केंद्र में सरकार बनने के लिए राष्ट्रपति की ओर से प्रस्ताव भेजा गया, तब सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने मई 1996 में प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की लेकिन इनकी सरकार मात्र 13 दिन तक ही ठीक पाई थी।
फिर देश में 1966 से 1998 तक दो अस्थिर सरकार पहले एच. डी. देवगौड़ा देवेगौड़ा और बाद में आई के गुजराल की सरकार आई थी।
इसके शासन के बाद एनडीए की सरकार बीजेपी ने एक बार फिर 1998 में वापसी कि और अटल बिहारी वाजपेई ने मार्च 1998 में एक बार फिर प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, 13 महीने बाद एनडीए से जयललिता ने अपना समर्थन वापस ले लिया जिसके बाद एनडीए की सरकार एक बार फिर मात्र 13 महीने के लिए बनी और 13 महीने बाद गिर गई लेकिन इस सरकार को वाजपेयी जी ने अगले चुनाव तक संभाल कर रखा और एल.के आडवाणी गृह मंत्री के रूप में उनके साथ रहे।
इसके बाद एनडीए सरकार ने 2004 तक अपने पूरे कार्यकाल में कार्यरत रही और लालकृष्ण आडवाणी के पद में उन्नति हुई और उन्हें भारत के उप प्रधानमंत्री बनाया गया।
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