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नवीन पटनायक एक लेखक भी हैं और उन्होंने अपने युवा अवस्था में राजनीति से दूर थे। साल 1997 में नवीन पटनायक के पिता के निधन होने के बाद उन्हें राजनीतिक में कदम रखा और एक साल बाद ही अपने पिता बीजू पटनायक के नाम पर बीजू जनता दल के नाम से एक पार्टी की स्थापना की। बीजू जनता दल के बाद विधानसभा चुनाव में जीत अपने नाम की और भाजपा के साथ सरकार बनाएं। जिसमें ये स्वयं मुख्यमंत्री बने थे। अपने कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ी और समर्थन नीतियां अपने ही तरीके से आरंभ की थी और राज्य में उन्होंने नौकरशाही को ठीक से मैनेजमेंट कर राज्य के डेवलपमेंट के अपने पिता के सपने को आधार बनाया। ऐसे ही इन्होंने उड़ीसा में अपनी लोकप्रिय छवि हासिल की और लगातार चार बार पूर्ण बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने रहे। नवीन पटनायक के नाम उड़ीसा के इतिहास में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री बनने वाले के नाम पर दर्ज है और वे अभी भी अविवाहित हैं। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download hereनवीन पटनायक का राजनीतिक करियर
नवीन पटनायक साल 1996 में अपने पिता बीजू पटनायक की मृत्यु के बाद राजनीति में कदम रखा। साल 1996 में वे जनता दल के उम्मीदवार के रूप में विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। वे लोकसभा में स्टील और खान मंत्रालय के परामर्श समिति और वाणिज्य संबंधी स्थाई समिति के सदस्य थे। साल 1997 में नवीन पटनायक ने जनता दल का गठन किया था, उन्होंने साल 2000 में उड़ीसा में भाजपा के साथ गठबंधन करके विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। भाजपा की सरकार में मंत्री के रूप में कार्यरत नवीन पटनायक केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर और उड़ीसा के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लिया था। Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
नवीन पटनायक का मुख्यमंत्री के तौर पर करियर
पटनायक अपने पिता बीजू पटनायक का रिकॉर्ड तोड़ने के साथ-साथ खुद डॉक्टर हरे कृष्ण महताब और जे.बी पटनायक नेताओं ने राज्य में इस पद पर तीन बार अपनी सेवा दी है। विश्वनाथ दास, महाराज कृष्ण चंद्र गजपति नारायण देव, कृष्ण चौधरी, बीजू पटनायक, नंदिनी सत्पथी और हेमानंद बिस्वाल ने दो-दो बार राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर बागडोर संभाली थी। महाराज राजेंद्र नारायण सिंहदेव मित्रा, सदाशिव त्रिपाठी, विनायक आचार्य, नीलमणि राउत्रे और गिरधर गमांग को मुख्यमंत्री बनने का अवसर एक बार ही मिला है। कृष्णचंद्र गजपति और विश्वनाथ दास ने 1937 से 1944 तक प्रधानमंत्री के तौर पर राज्य की बागडोर संभाली थी। वर्तमान में असम के राज्यपाल जे.बी पटनायक करीब 12 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला था। कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता का कार्यकाल बाधित भी हुआ था पहली बार 1980 में इन्हें केवल 1 साल ही मुख्यमंत्री के रूप में काम किया था। इसके बाद साल 1985 और 1995 वें में भी इनका कार्यकाल बाधित हुआ था। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
नवीन पटनायक को मिले हुए पुरस्कार और मान्यता
साल 2013 में अक्टूबर में उष्णकटिबंधीय तूफान से पहले लगभग 1000000 लोगों को निकालने के प्रयास के लिए संयुक्त राष्ट्र में नवीन पटनायक को सम्मानित किया था।
इंडिया टुडे को ओआरजी मार्ग मूड ऑफ नेशनल पोल द्वारा भारत के सर्वाधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री के तौर पर नवीन पटनायक का नाम दर्ज हुआ था।
एनडीटीवी ओपिनियन पोल द्वारा दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनकारी मुख्यमंत्री का दर्जा दिया गया था।
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