क्या हुआ था 21 अक्टूबर 1949 को इस दिन का इतिहास क्या है
21 अक्टूबर 1962 को भारत चीन सीमा पर रखवाली करते हुए 10 पुलिस जवान शहीद हो गए थे। उन्हीं की शहादत की याद में इस दिन को मनाया जाता है। 20 अक्टूबर को इस इतिहास की शुरुआत हुई थी, जब भारत और तिब्बत के बीच ढाई हजार मील लंबी सीमा की देखरेख का जिम्मा भारतीय रिजर्व पुलिस बल के पुलिसकर्मियों के हाथ में सौंपा गया था। उत्तर पूर्वी लद्दाख में यह घटना तिब्बत के लगी सीमा पर हुई थी, लेकिन यह मामला चीन का था क्योंकि तब तक तिब्बत चीन से का ही हिस्सा बन चुका था। उत्तर पूर्वी लद्दाख की सीमा पर निगरानी के लिए हॉट स्प्रिंग स्थान पर सीआरपीएफ तीसरी बटालियन की तीन टुकड़ियों को अलग-अलग गश्त पर रखवाली के लिए भेजा गया था। गश्त के लिए गई तीन में से दो टुकड़ियों वापस दोपहर तक वापस आ गई थी लेकिन तीसरी टुकड़ी नहीं आई थी।
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अगले दिन इस टुकड़ी की तलाश के लिए एक नई टीम बनाई गई, खोई हुई टुकड़ी की खोज में डीसीआईओ करण सिंह की अगुवाई में एक नई टीम 21 अक्टूबर को रवाना हुई थी, जिसमें 20 पुलिसकर्मी शामिल थे। इस टीम का भी तीन हिस्सों में बंटवारा किया गया था। एक पहाड़ी के करीब पहुंचने पर चीनी सैनिकों ने इस टुकड़ियों पर गोली और ग्रेनेड से हमला कर दिया था। यह टुकड़ी सैन्य टुकड़ी की हिस्सा नहीं थी और इसके पास सेना की तरह खुद की सुरक्षा के लिए हथियार भी नहीं थे। जिसमें इन टुकड़ियों की मृत्यु हो गई।इस युद्ध में चीन की भूमिका
अचानक हुए इस हमले के कारण पुलिसकर्मी घायल होने लगे और 10 पुलिसकर्मी इसमें शहीद हो गए और सात घायल कर्मियों को चीनी सैनिकों ने बंदी बना लिया था। तीन पुलिसकर्मी वहां से बचने में सफल रहे, जिसके बाद 13 नवंबर को चीनी सैनिकों ने शहीद हुए 10 पुलिसकर्मियों के शव को लौटा दिया, जिनका अंतिम संस्कार पुलिस में सम्मान के साथ किया था। इस घटना के बाद से भारत तिब्बत सीमा की सुरक्षा का जिम्मा एक विशेष सैन्य बल भारत तिब्बत सीमा सुरक्षा बल आईटीबीपी इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस को सौंपा गया, जो एक अर्ध सैनिक बल है। लेकिन सीआरपीएफ की सुरक्षा की जिम्मेदारी उस दौरान भी जारी रही और 1965 में भारत और पाकिस्तान युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल के गठन के बाद उसे सीमा सुरक्षा की जिम्मेदारी से मुक्त कर देश के आंतरिक सुरक्षा के लिए पुलिस की सहायता करने की जिम्मेदारी दी गई। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
इस दिन को मनाने का इतिहास कब से है
साल 1960 को हुए सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन में इस घटना में हुए शहीद पुलिसकर्मियों को सम्मानित करने का फैसला भारत सरकार द्वारा लिया गया और हर साल 21 अक्टूबर को देश के लिए जान गवाने वाले इन सभी पुलिसकर्मियों के सम्मान में स्मृति दिवस मनाने का फैसला लिया गया। पुलिस मेमोरियल डे की भी स्थापना की गई और इसकी अवधारणा में 1984 को हुई थी, लेकिन उसका बनने का निर्माण कार्य 2000 के बाद शुरू हुआ और इसका अनावरण साल 2018 में हुआ था। यह मेमोरियल दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके में 6 एकड़ से ज्यादा के क्षेत्र में बना हुआ है। साल 2000 से हर साल इस दिवस पर पुलिस परेड का आयोजन और शहीदों को श्रद्धांजलि देने का कार्यक्रम होता है।
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