Rajiv Gandhi Assassination: वह धमाका जिस ने ले ली थी भारत के प्रधानमंत्री की जान, राजीव गांधी एसासिनेशन

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Thu, 19 May 2022 10:58 AM IST

Source: Safalta

18 मई बुधवार, सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 को लागू करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे एजी पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया. एजी पेरारिवलन लम्बे अरसे से जेल में सज़ा काट रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने 31 साल के बाद उसे रिहा किया है. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया. पीठ ने कहा, राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना यह फैसला किया है  और अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा.  यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.
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पिछली कुछ सुनवाईयों में सुप्रीम कोर्ट ने एक सवाल किया था कि 30 साल से अधिक की सजा काटने के बाद एजी पेरारिवलन को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता ?

कौन है एजी पेरारिवलन, पूरा मामला -

21 मई वर्ष 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी. यह हमला श्रीलंका के अलगाववादी संगठन एलटीटीई के द्वारा करवाया गया था. मुख्य हमलावर तेनमोई राजरत्नम हमले में खुद भी मारी गई थी मगर अन्य भी कई सारे लोग थे जिन्हें इस हमले में मदद और अन्य हिस्सेदारी करने का दोषी पाया गया था. और इस हत्याकांड के लिए इनमें से कुछ आरोपियों को मृत्युदंड और कुछ को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. दक्षिण भारतीय नागरिक एजी पेरारिवलन भी इन्हीं लोगों में शामिल था. राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी पेरारिवलन उस समय सिर्फ़ 19 साल का था. एजी पेरारिवलन को हत्याकांड में शामिल प्रमुख साजिशकर्ता और लिट्टे के सदस्य शिवरासन को विस्फोटक उपकरण के लिए नौ वोल्ट की एक बैट्री उपलब्ध कराने का दोषी पाया गया था.

हत्याकांड में पेरारिवलन की भूमिका -

21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हत्या कर दी गई थी. इस हत्या के बाद 11 जून 1991 को एजी पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था क्योंकि बम धमाके के मास्टरमाइंड शिवरासन को हत्याकांड के लिए इस्तेमाल की गई 9 वोल्ट की दो बैटरियाँ खरीद कर पेरारिवलन ने हीं दिया था. इन बैटरियों का इस्तेमाल बम बनाने के लिए किया गया था. बाद में इन्हीं बमों का इस्तेमाल करके तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बम धमाके में उड़ा दिया गया था.
 
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शुरू में पेरारिवलन भी मृत्युदंड का हीं आरोपी था. पर बाद में उसने एक दया याचिका दायर कर राष्ट्रपति से अपने लिए क्षमा पाने की अपील की थी. राष्ट्रपति द्वारा लंबे समय तक एजी पेरारिवलन की दया याचिका पर कोई फैसला नहीं लेने के बाद वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा उसकी सजा को कम करके आजीवन कारावास की सजा में बदल दिया गया था.

मौत की सज़ा का था अभियुक्त -

ज्ञातव्य है कि एजी पेरारिवलन को वर्ष 1998 में टाडा कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. बाद में पेरारिवलन द्वारा इस सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. मगर फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1999 में इसी सजा को बरकरार रखने का आदेश दिया था. इसके बाद वर्ष 2014 में पेरारिवलन की मौत की सजा को आजीवन कारावास की सज़ा में तब्दील कर दिया गया था.

पेरारिवलन मामले के सिलसिलेवार सभी बिन्दु -
 
  • 21 मई, 1991 - तत्कालीन प्रधान मंत्री राजीव गांधी की श्रीपेरंबदूर में एक चुनाव प्रचार के दौरान हत्या कर दी गई थी.
  • 28 जनवरी 1998 - पूनमल्ली टाडा कोर्ट ने इस हत्याकांड के सभी 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई.
  • इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हत्याकांड के आरोपियों मुरुगन, नलिनी, संथान और एजी पेरारीवलन के लिए मौत की सजा को बरकरार रखते हुए तीन अन्य की मौत की सजा को उम्रकैद की सजा में तब्दील कर दिया था तथा 19 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया गया था.
  • 8 अक्टूबर, 1999 - मौत की सज़ा पाए चारों दोषियों ने अपील फाईल की मगर उनकी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.
  • 19 अप्रैल, 2000 - तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की एक बैठक में राज्यपाल को अभियुक्त नलिनी की मौत की सजा को कम करने की तथा अन्य तीन अभियुक्तों के मौत की सजा को बरकरार रखने की सलाह दी गई.
  • 21 अप्रैल, 2000 - राज्य मंत्रिमंडल की सलाह को राज्यपाल द्वारा स्वीकार कर लिया गया और मुरुगन, संथान और पेरारिवलन के लिए मौत की सजा की पुष्टि कर दी गयी.
  • 28 अप्रैल, 2000 - द्रमुक सरकार की तरफ से तीनों अभियुक्तों की दया याचिकाओं को  राष्ट्रपति के पास भेजा गया. 11 साल के एक लंबे अंतराल के बाद 12 अगस्त 2011 को राष्ट्रपति के द्वारा मुरुगन, संथान और पेरारिवलन तीनों की दया याचिका को खारिज कर दिया गया.
  • 30 अगस्त, 2011 - तमिलनाडु विधानसभा ने मुख्यमंत्री जे जयललिता द्वारा पेश किए गए एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया, जिसमें राष्ट्रपति से तीनों दोषियों की मौत की सजा को कम करने की प्रार्थना की गयी थी.
  • ढाई साल से भी अधिक समय तक केंद्र ने तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित इस प्रस्ताव को ऐसे हीं छोड़ दिया.
  • 21 जनवरी 2014 - सुप्रीम कोर्ट ने मृत्युदण्ड पाए हुए वीरप्पन के चार साथियों समेत 15 अन्य लोगों की मौत की सजा को कम कर दिया. फैसले में ये भी कहा गया कि उनकी दया याचिकाओं पर फैसला होने में देरी हुई है. और इस तरह राजीव गांधी हत्याकांड मामले के दोषी अभियुक्तों के लिए आशा की एक किरण जाग गई.
 
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  • 18 फरवरी 2014 - सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के तीन दोषियों की मौत की सजा को कम कर दिया और कहा कि तमिलनाडु सरकार दोषियों को रिहा करने के लिए सीआरपीसी की धारा 432 और 433 के तहत अपनी छूट की शक्तियों का प्रयोग कर सकती है.
  • 19 फरवरी, 2014 - तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता ने तमिलनाडु कैबिनेट की एक आपात बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में राजीव हत्याकांड के सभी सात दोषियों को रिहा करने का फैसला किया गया. सदन को बताया गया कि अगर केंद्र तीन दिनों के भीतर तमिलनाडु कैबिनेट के फैसले का जवाब देने में विफल रहता है, तो राज्य सरकार आगे बढ़कर आरोपियों को सीआरपीसी की धारा 432 के तहत रिहा कर देगी. इस बात पर केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकार ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
  • फरवरी 2014 - जयललिता द्वारा घोषित सभी सात दोषियों की रिहाई पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी और राज्य सरकार को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया.
  • 2 मार्च 2016 - अन्नाद्रमुक सरकार ने सभी सात दोषियों को रिहा करने का फैसला किया और फैसले पर केंद्र से विचार मांगे.
  • 15 जून, 2018 - राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने सभी सात दोषियों को रिहा करने की राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी.
  • 9 सितंबर, 2018 - अन्नाद्रमुक सरकार ने राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को सभी सात दोषियों की रिहाई की फिर से सिफारिश की.
  • 20 मार्च, 2020 - राज्य मंत्रिमंडल द्वारा सभी सातों दोषियों की रिहाई की सिफारिश के लगभग 18 महीने बाद, राज्यपाल ने कहा कि इन दोषियों की रिहाई पर निर्णय सर्वोच्च न्यायालय को प्रस्तुत की जाने वाली रिपोर्ट के आधार पर लिया जा सकता है.
  • 20 मई, 2021 - मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के द्वारा राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से सातों दोषियों की रिहाई के लिए वर्ष 2018 में की गई राज्य सरकार की सिफारिश को स्वीकार करने और इन सभी दोषियों की सजा को माफ करने और उन्हें तुरंत रिहा करने के आदेश पारित करने का आग्रह किया गया.
  • 27 अप्रैल, 2022 - सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि पेरारीवलन को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता.
  • बुधवार 18 मई 2022 - सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 को लागू करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया.

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संक्षिप्त विवरण -
साल 1998 में एक TADA अदालत ने एजी पेरारिवलन को फांसी की सजा सुनाई थी. एक साल बाद ऊपरी अदालत ने इस फैसले को सही ठहराया था. साल 2014 में इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था. मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर पेरारिवलन को जमानत दे दी थी कि उसने 31 साल कारावास की सजा काट ली है. साल 2015 में पेरारिवलन ने तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष दया याचिका दायर की थी. बाद में वह सुप्रीम कोर्ट भी गया था.

विगत 9 मार्च को मिली थी जमानत -
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे एजी पेरारिवलन को न्यायालय ने यह देखते हुए नौ मार्च को जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली थी. शीर्ष अदालत 47 वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रही थी, जिसमें उसने ‘मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी’ (एमडीएमए) की जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया था. रिहा होने के बाद एजी पेरारिवलन सबसे पहले अपनी माँ से मिलने के लिए निकल गया है. कोर्ट के आदेश पर पेरारिवलन ने प्रसन्नता व्यक्त की.