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Table of Content
- वीटो पावर क्या होती है (What is Veto Power)
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है?
- वीटो पावर क्या है ?
- रूस ने भारत के पक्ष में वीटो पावर का प्रयोग किया
- (UNSC) में कौन कौन से 15 देश शामिल हैं ?
- कैसे मिलती है वीटो पॉवर-
- भारत के वीटो पॉवर मिलने की राह में बाधाएँ-
- निंदा प्रस्ताव पर भारत का रूख-
वीटो पावर क्या होती है (What is Veto Power)
इतिहास में कई बार ऐसा भी हुआ है जब कोई देश भारत के खिलाफ यूनाइटेड नेशन में कोई विवादित प्रस्ताव लेकर आया हो लेकिन हर बार रूस ने भारत के खिलाफ आने वाले यूनाइटेड नेशन में प्रस्तावों को वीटो पावर के जरिए निरस्त किया है। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी यूनाइटेड नेशन सुरक्षा परिषद में भारत के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया था जिस समय भी रूस ने उस प्रस्ताव को वीटो पावर के जरिए रद्द करवा दिया था।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद क्या है?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) संयुक्त राष्ट्र का एक शक्तिशाली संगठन है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करना इस संगठन की जिम्मेदारी है. UNSC संगठन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रतिबंधों के साथ साथ बल का प्रयोग भी कर सकता है. हर महीने इस सुरक्षा निकाय की अध्यक्षता वर्णानुक्रम में बदल जाती है. इस बार यह जिम्मेदारी रूस को मिली है.वीटो पावर क्या है ?
वीटो लैटिन भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ ''निषेध करना'' या ‘’मैं निषेध करता हूँ’’ होता है. इसका यह मतलब है कि अगर किसी प्रस्ताव के पक्ष में वीटो पॉवर पाए हुए सभी देश एकमत हों पर कोई एक देश प्रस्ताव के पक्ष में नहीं है तो वह देश अपनी पॉवर का इस्तेमाल करके उस प्रस्ताव को नकार सकता है. कोई एक देश भी विरोध करते हुए इसके विरोध में वोट करता है तो ये वीटो कहलाता है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य और वर्तमान अध्यक्ष होने के कारण रूस के पास वीटो पावर है. रूस ने अपनी इस शक्ति का इस युद्ध में प्रयोग भी किया. उसने पहले हीं दुनिया भर के देशों को इस मामले से दूर रहने की चेतावनी दे दी थी. जिसके परिणाम स्वरुप निंदा प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. हालांकि प्रस्ताव पारित नहीं हुआ पर परिषद ने यूक्रेन पर आक्रमण करने के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के फैसले की निंदा जरुर की. संयुक्त राष्ट्र के अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने वोटिंग के बाद कहा कि प्रस्ताव पारित नहीं हुआ. पर "रूस अपने संकल्प के लिए वीटो पावर का इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन वह हमारी आवाज को वीटो नहीं कर सकता." सत्य तथा सिद्धांतों को वीटो नहीं किया जा सकता है.
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क्या रूस ने भारत के पक्ष में वीटो पावर का प्रयोग किया है अगर हाँ तो कब ?
रूस ने भारत के पक्ष में कई बार वीटो पावर का इस्तेमाल किया है. पहली बार सन 1957 में रूस ने कश्मीर मुद्दे पर भारत के पक्ष में वीटो पावर का इस्तेमाल किया था. इसके अलावा 1961, 1962 और 1971 में भी रूस के द्वारा वीटो पावर का इस्तेमाल भारत के पक्ष में किया जा चुका है.संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में कौन कौन से 15 देश शामिल हैं ?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कुल 15 सदस्य हैं. इनमें से 5 देश स्थायी हैं जबकि 10 देश अस्थायी हैं. इसके स्थायी सदस्य या देशों में सयुक्त राष्ट्र अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन), फ्रांस, चीन और रूस शामिल है. किसी प्रस्ताव को लाने या किसी भी मुद्दे पर फैसला लेने के लिए इन पांच स्थायी और 4 अस्थाई देशों या सदस्यों के वोट की सहमति जरुरी होती है. यदि इनमें से कोई एक भी देश सहमत नहीं है तो निर्णय नहीं लिया जा सकता है. वीटो पावर प्राप्त इन सभी देशों ने संयुक्त राष्ट्र के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, इसलिए इन देशों को कुछ विशेष अधिकार भी मिले हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के पांच स्थायी सदस्य निम्नलिखित है जिनको वीटो का अधिकार है-
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1. सयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
2. रूस (सोवियत संघ के विघटन के बाद ये अधिकार रूस को मिला)
3. यूनाइटेड किंगडम (UK)
4. फ्रांस
5. पीपल रिपब्लिक ऑफ़ चाइना (चीन)
ऊपर वर्णित ये पांचो राष्ट्र मित्र राष्ट्र हैं जिन्होंने साथ मिलकर द्वितीय विश्व युद्ध में लडाई लड़ी थी.
कैसे मिलती है वीटो पॉवर-
वीटो पॉवर किसी भी देश को उसकी काबिलियत को देख कर दी जाती है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब भारत स्वतंत्र हुआ तब भारत की औद्योगिक,राजनीतिक, आर्थिक तथा सैन्य शक्ति के विकास को देखते हुए भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट यानि ''वीटो पॉवर'' देने की पेशकश की गई थी परन्तु नेहरू जी ने तब चीन के लोगों के गणतंत्र का हवाला देते हुए वीटो पॉवर लेने से इनकार कर दिया था. भारत या किसी भी देश को वीटो पॉवर तभी मिल सकता है जब उसे सारे स्थायी देशों के सकारात्मक वोट मिलें और कम से कम दो - तिहाई (2/3) देशों के सकारात्मक वोट मिल सके.
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भारत के वीटो पॉवर मिलने की राह में बाधाएँ-
भारत ''वीटो पॉवर'' पाने के लिए कई सालो से प्रयास कर रहा है परन्तु अभी तक सफलता नहीं मिली हैं. इसके मुख्य कारण हैं-
*स्थायी सदस्य देश अपनी शक्तियों को साझा नहीं करना चाहते.
*चीन और अमेरिका ये कभी नहीं चाहेगा की भारत एक सुपरपावर बने.
*वीटो पावर उसी देश को मिल सकती है जिसको वर्तमान के पांचों स्थाई सदस्य मान्यता दे दे. और यह बात हम सभी जानते हैं कि चीन भारत को वीटो पावर देने के हक में कभी तैयार नहीं होगा.
निंदा प्रस्ताव पर भारत का रूख-
भारत का यह मत है कि आपसी मतभेदों और विवादों को संवाद से निबटाने का प्रयत्न करना चाहिए.
इस मामले में भारत का कथन है कि युद्ध कभी भी विवादित मसले का हल नहीं हो सकता है.
भारत का यह भी कहना है कि सभी सदस्य देशों को सकारात्मक तरीके से संयुक्त राष्ट्र के नियमों एवं सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए.
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