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विजयनगर का शाब्दिक अर्थ है- विजय यानि जीत का शहर. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना ईस्वी सन 1336 में हरिहर एवं बुक्का नाम के दो भाइयों ने की थी. इस साम्राज्य पर क्रमशः निम्न वंशों के शासकों ने शासन किया- संगम, सलुव , तुलुब एवं अरविडू वंश. विजयनगर साम्राज्य के इतिहास की जानकारी मुख्यतः तीन स्रोतों से प्राप्त होती है- विदेशियों के विवरण, स्वदेशी साहित्य तथा पुरातत्व-संबंधी साक्ष्य. स्मारक तथा अभिलेख जैसे पुरातात्विक और साहित्यिक स्रोत भी विजयनगर साम्राज्य के इतिहास के सर्वाधिक प्रामाणिक स्रोत हैं.
History of Vijayanagara Empire के बारे में जानकारी देने वाले स्रोत-
विदेशी यात्रियों से मिलने वाली जानकारियाँ-
1. रेह्लातर तुह्फत-उन-नुज्ज़त (इब्न बतूता)- हरिहर प्रथम के अधीन विजयनगर साम्राज्य का विवरण.
2. मतला उस सादेंन वा मजमा उल बहरीन (अब्दुर रज्ज़ाक)- देवाराय द्वितीय के अधीन विजयनगर साम्राज्य का विवरण.
3. हिंद महासागर और उनके निवासियों की सीमाओं का विवरण (डुआर्टे बार्बोसा)- कृष्णदेव राय के अधीन विजयनगर साम्राज्य के शासन का लेख.
4. डोमिंगो पेस ने कृष्णादेव राय के अधीन विजयनगर साम्राज्य के प्राचीन शहर हम्पी के सभी ऐतिहासिक विवरणों में सबसे विस्तृत विवरण दिया है.
5. फ़नानाओ नुनीज ने विजयनगर साम्राज्य के सांस्कृतिक पहलुओं का उल्लेख किया है, शहर की नींव और महिलाओं के पहनावे के साथ-साथ राजा की सेवा में महिलाओं को कैसे नियुक्त किया जाता था पर विस्तृत विवरण दिया है.
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स्वदेशी साहित्य-
1. शासक, समाज, राजनीति और जाति व्यवस्था पर आधारित तीन साहित्यिक कार्य:
(a) अल्लासानी पेडन द्वारा रचित मानचिरितम.
(b) गंगाधर द्वारा रचित गंगदास प्रताप विलासम.
(c) कृष्णदेव राय द्वारा रचित अमुक्तार्मल्यादा.
2. राजनाथा डिंडिमा द्वारा रचित सलु वभ्युदयम: देव राय द्वितीय और ओडिशा के गजपति के समकालीन नाटक. इस नाटक के माध्यम से ये बताया गया है कि कैसे ब्राह्मणों ने देव राय द्वितीय की मृत्यु के बाद विजयनगर शहर की घेराबंदी की थी.
3. तेनालीराम रामकृष्ण ने पांडुरंग माहात्यम की रचना की थी.
शिलालेख या अभिलेख से मिलनेवाली जानकारियाँ-
1. बगापेल्लिसी का तांबे से बना शिलालेख हरिहर प्रथम के शासन एवं उपलब्धियों के बारे में बताता है.
2. बितरागुंता ग्रांट ऑफ़ संगमा द्वितीय पांच संगमा बंधुओ के वंशावली का उल्लेख करता है.
3. हरिहर द्वितीय के चन्ना राया पटेका शिलालेख में बुक्का (प्रथम) के सफल अभियानों के बारे में बताता है.
4. देवराय द्वितीय के श्रीरंगम का तांबे से बना शिलालेख बुक्का (प्रथम) की उपलब्धियों का वर्णन करता है.
5. इम्मादी नरसिम्हा के देवुलापल्ली का ताम्बे से बना शिलालेख जिसमें सलुवा राजवंश के वंशावली का वर्णन देखने को मिलता है.
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स्मारक, अभिलेख तथा शिलालेख -
- विभिन्न स्मारक अभिलेख भी साम्राज्य की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने में सहायक हैं। उदाहरण के लिए:
- विजयनगर साम्राज्य से संबंधित लगभग सभी अभिलेख भू-राजस्व, भू-स्वामित्व के निर्धारण, राजस्व छूट, नए करों के आरोपण या कुछ अप्रचलित करों को पुनः प्रारंभ करने का उल्लेख करते हैं. इनमें मंदिरों, मठों और ब्राह्मणों के लिए सार्वजनिक या निजी प्रकृति के उपहारों और दान का वर्णन भी मिलता है. साथ हीं इस शासनकाल के शासकों, उनकी वंशावली, कालक्रम और उपलब्धियों का विवरण भी मिलता है. उदाहरण - कृष्णदेव राय का हम्पी अभिलेख और देवराय द्वितीय का श्रीरंगम ताम्रपत्र अभिलेख.
- लोटस महल जो संभवतः एक सभा कक्ष था जहाँ राजा अपने सलाहकारों से वार्ता करते थे.
- उपनगरीय बस्ती और साथ ही अद्वितीय हाइड्रोलिक तकनीकों से युक्त जलाशय बेजोड़ नगरीय प्रणालियों की विशेषज्ञता के प्रमाण हैं.
राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति
मंदिरों तथा उसके अवशेषों से भी History of Vijayanagara Empire के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है -
शाही केंद्र में स्थापित 60 से अधिक मंदिर शासकों द्वारा मंदिरों के संरक्षण के महत्व को प्रदर्शित करते हैं राय गोपुरम या शाही दरवाजा- ये दूर से ही मंदिर की उपस्थिति का संकेत देने वाली विशाल संरचनाएँ थीं. इनका निर्माण राजा कृष्णदेव राय द्वारा प्रारंभ कराया गया था. ये गोपुरम राजाओं की शक्ति के संबंध में भी जानकारी उपलब्ध कराते हैं, जो इस प्रकार के विशाल द्वार के निर्माण के लिए आवश्यक तकनीकों,संसाधनों और कौशल को नियंत्रित करने में सक्षम थे.
मंडप, पैविलियन और लंबे, स्तंभयुक्त गलियारे प्रायः मंदिर परिसर के भीतर गर्भगृह के आस-पास निर्मित कराये जाते थे. रथ पथ को शिलाखंडों से निर्मित किया जाता था और मंदिर के गोपुरम से एक सीधी रेखा में विस्तारित पैविलियन के साथ पंक्तिबद्ध स्तम्भों का निर्माण किया जाता था. रथ उत्सव को एक प्रमुख अनुष्ठान के रूप में स्थापित होने के बाद इस वास्तुकला का प्रारंभ किया गया था.