Maratha Administration: जानिए मराठा प्रशासन के बारे में पूरी जानकारी

Safalta Experts Published by: Nikesh Kumar Updated Tue, 15 Feb 2022 01:46 PM IST

Free Demo Classes

Register here for Free Demo Classes

Please fill the name
Please enter only 10 digit mobile number
Please select course
Please fill the email
Something went wrong!
Download App & Start Learning
मराठा साम्राज्य की स्थापना छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी. उन्होंने साम्राज्य को सुदृढ़ता प्रदान करने के लिए  एक समुचित शासन व्यवस्था का भी प्रबंध किया था. वैसे तो शिवाजी अशिक्षित थे लेकिन उन्होंने अपने साम्राज्य के लिए जिस प्रकार की प्रशासनिक व्यवस्था तैयार की थी वो उनके महान प्रशासनिक गुणों का परिचय देती है. शिवाजी ने व्यापक भूमि सर्वेक्षण भी करवाया था. मापन की नई पद्धति भी शिवाजी महाराज के प्रशासन की हीं देन है.  यदि आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now.

मराठा प्रशासन में राज्य की सारी शक्ति राजा में निहित थी, राजा हीं राज्य के अंतिम कानून निर्माता थे. इनके शासन के दौरान जो आधिकारिक भाषा प्रयोग होती थी वो मराठी भाषा थी. मराठी भाषा की प्रगति और विकास के लिए शिवाजी ने रघुनाथ पंडित हनुमंते की अध्यक्षता में एक कमिटी का गठन किया जिसका कार्य था एक शब्दकोष का निर्माण करना. इन्होने एक मराठी शब्दकोष का निर्माण किया जिसका नाम है “राज्य व्यवहार कोष”.

आधुनिक मंत्रिपरिषद की तरह हीं उन्होंने अष्ट प्रधान नामक एक प्रशासनिक संस्था का निर्माण किया था, जिसमें आठ प्रकार के विभाग थे, और इन आठों विभाग के आठ प्रमुख हुआ करते थे. अष्ट प्रधान का कार्य था प्रशासन में शिवाजी को सलाह देना और उनकी सहायता करना.

 सभी सरकारी परीक्षाओं के लिए हिस्ट्री ई बुक- Download Now

अष्ट प्रधान –

अष्ट प्रधान की नियुक्ति स्वयं शिवाजी करते थे. ये मंत्री अपने-अपने विभाग के प्रधान होते थे और शिवाजी के सचिव के रूप में कार्य किया करते थे. शिवाजी ने अष्ट प्रधान के पदों को कभी भी वंशानुगत नहीं होने दिया.
1) पेशव- राजा के प्रधानमंत्री होते थे पेशवा. इनका कार्य था सम्पूर्ण राज्य में शासन की देखभाल करना. छत्रपति की अनुपस्थिति में उनके कार्यों का भी देखभाल करना.
2) अमात्य- राज्य के अर्थ एवं राजस्व मंत्री थे. इनका कार्य था राज्य के सारे आय-व्यय की देखभाल करना और राजा को उनसे अवगत कराना.
3) मंत्री/वाकियनवीस- ये दरबारी लेखक होते थे. इनका काम था राजा के दैनिक कार्यों एवं दरबार की प्रतिदिन की कार्यवाही का विवरण रखना.
4) सुमंत- ये विदेश मंत्री होते थे. इनका कार्य था राजा को संधि और युद्ध के बारे में सलाह देना, विदेशों से समाचार प्राप्त करना.
5) सचिव- ये पत्राचार विभाग के प्रमुख होते थे. इनका कार्य था राजा के पत्रों को सही तरीके से लिखवाना, परगनों में आय-व्यय की देखभाल करना.  इन्हें कई बार चिटनिस के रूप में भी संबोधित किया जाता था. वैसे इनके निचले अधिकारी को चिटनिस कहते थे.  
6) सेनापति/सर-ए-नौबत- सेनापति या सर-ए-नौबत मराठा सेना का प्रमुख हुआ करता था. ये सेना की भर्ती, उसके संगठन, शिक्षा, शस्त्र, रसद आदि का भी ध्यान रखते थे.
7) पंडित राव- पंडित राव धार्मिक मामलों में राजा का मुख्य सलाहकार हुआ करता था. राजा की ओर से दान देना, धर्म और जाति के झगड़ों का निर्णय करना भी पंडित राव का हीं काम हुआ करता था.
8) न्यायाधीश- जैसा कि नाम से हीं स्पष्ट है ये राजा के मुख्य न्यायाधीश हुआ करते थे. इनका कार्य था सैनिक और असैनिक झगड़ों पर हिन्दू कानून के अंतर्गत न्याय करना. भूमि सम्बंधित झगड़ों, गाँव के मुखिया के पद के झगड़ों इत्यादि में ये निर्णय लिया करते थे.

जानें एक्सिस और सेंट्रल पॉवर्स क्या है व इनमें क्या अंतर हैं
जानें प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक इतिहास के बीच क्या है अंतर
नरम दल और गरम दल क्या है? डालें इतिहास के पन्नों पर एक नजर

इन अष्ट प्रधानों की सहायता के लिए और भी कुछ अधिकारी हुआ करते थे –

मजूमदार - ये लेखाकार हुआ करते थे
चिटनिस – सचिव के सहायक
जमादार – खजांची हुआ करते थे    
पोटनिस – पैसे की गिनती करने वाला अधिकारी
इनके अलावा फडणविस, कारखानीस, दीवान इत्यादि अधिकारी भी हुआ करते थे.

बाबरी मस्जिद की समयरेखा- बनने से लेकर विध्वंस तक, राम जन्मभूमि के बारे में सब कुछ
जाने क्या था खिलाफ़त आन्दोलन – कारण और परिणाम
2021 का ग्रेट रेसिग्नेशन क्या है और ऐसा क्यों हुआ, कारण और परिणाम

प्रांतीय प्रशासन –
  • मराठों का पूरा साम्राज्य छोटी-छोटी इकाइयों में विभाजित था और हर इकाई के एक प्रमुख हुआ करते थे. प्रशासन काफी अच्छी तरह से व्यवस्थित था.
  • मराठा साम्राज्य दो भागों में विभाजित था – स्वराज और मुग़लों के अधीन आने वाला क्षेत्र.
  • स्वराज मराठों का अपना क्षेत्र हुआ करता था और मुग़लों के अधीन आने वाले क्षेत्र मराठों के आसपास के क्षेत्र थे. इन क्षेत्रों से ये लोग चौथ (एक प्रकार का कर) वसूला करते थे.
  • अपने क्षेत्र स्वराज को इन्होने तीन प्रान्तों में बाँट दिया था – उत्तरी प्रान्त, दक्षिणी प्रान्त और दक्षिणी पूर्वी प्रांत.
  • उत्तरी प्रान्त का विस्तार सूरत से लेकर पुणे तक था, दक्षिणी प्रान्त का विस्तार उत्तरी कर्नाटक और दक्षिणी पूर्वी प्रांत में सतारा कोल्हापुर का क्षेत्र आता था. इसके बाद प्रान्तों को महलों और परगनों में बांटा गया. महलों और परगनों को तर्फों में और तर्फों को मौजा में बांटा गया था. मौजा गाँवों के समूह को कहते थे. मराठा साम्राज्य की सबसे छोटी इकाई गाँव थी, जिसके प्रधान को पटेल या पाटिल कहते थे.      

Free Demo Classes

Register here for Free Demo Classes

Trending Courses

Professional Certification Programme in Digital Marketing (Batch-11)
Professional Certification Programme in Digital Marketing (Batch-11)

Now at just ₹ 49999 ₹ 9999950% off

Advanced Certification in Digital Marketing Online Programme (Batch-29)
Advanced Certification in Digital Marketing Online Programme (Batch-29)

Now at just ₹ 24999 ₹ 3599931% off

Advanced Certification in Digital Marketing Classroom Programme (Batch-3)
Advanced Certification in Digital Marketing Classroom Programme (Batch-3)

Now at just ₹ 29999 ₹ 9999970% off

Basic Digital Marketing Course (Batch-24): 50 Hours Live+ Recorded Classes!
Basic Digital Marketing Course (Batch-24): 50 Hours Live+ Recorded Classes!

Now at just ₹ 1499 ₹ 999985% off