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रामसर कन्वेंशन और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमियां
रामसर कन्वेंशन दुनिया भर के पारिस्थितिक तंत्र के लिए समर्पित एकमात्र मल्टीलेटरल एनवायरनमेंटल अग्रीमेंट (बहुपक्षीय पर्यावरण समझौता) है. वर्तमान में इस कन्वेंशन में 2300 वेटलैंड साइटों के साथ 170 कॉन्ट्रैक्टिंग पार्टियां हैं. इस कन्वेंशन में कुल 2.1 मिलियन वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र आता है, जिसे वेटलैंड्स ऑफ इंटरनेशनल इंपोर्टेंस के रूप में चिन्हित किया गया है.
रामसर कन्वेंशन निम्नलिखित तीन प्रमुख पॉइंट्स पर काम करता है
(1) इसके अंतर्गत आने वाली सभी आर्द्रभूमियों को विवेकपूर्ण ढंग से उपयोग में लाने की दिशा में कार्य करना.(2) अंतर्राष्ट्रीय महत्व के वेटलैंड्स या आर्द्रभूमियों की सूची के मद्देनजर मुनासिब आर्द्रभूमियों को चिन्हित करना और उनका प्रभावी और कारगर प्रबंधन सुनिश्चित करना.
(3) ट्रांसबाउंड्री वेटलैंड्स, साझा वेटलैंड सिस्टम और साझा प्रजातियों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना.
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वेटलैंड्स या आर्द्रभूमि
- रामसर कन्वेंशन की परिभाषा के मुताबिक स्वच्छ जल की नदियाँ, झीलें, डेल्टा, मैंग्रोव (खारे जल), दलदल, बाढ़ के मैदान तथा बाढ़ के जंगल, धान के खेत, प्रवाल भित्तियाँ तथा वे सभी समुद्री क्षेत्र जहाँ आने वाले निम्न ज्वार 6 मीटर से अधिक गहरे नहीं होते को आर्द्रभूमि के रूप में शामिल किया गया है.
- भारत सरकार की आर्द्रभूमि के अंतर्गत नदी, धान के खेत, नहरें, नमक उत्पादन, मनोरंजन और सिंचाई के उद्देश्य से निर्मित और अन्य ऐसे क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया हैं जहां पर कमर्शियल एक्टिविटीज होते हों.
भारत के वेटलैंड्स या आर्द्रभूमियाँ
- वेटलैंड्स या आर्द्रभूमियाँ, पूरी दुनिया के कुल भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 6.4 प्रतिशत हिस्से को कवर करती हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा संकलित राष्ट्रीय आर्द्रभूमि के आकलन और सूची के अनुसार भारत में लगभग 1,52,600 वर्ग किलोमीटर (वर्ग किमी) के हिस्से में वेटलैंड्स फैले हुए हैं. इस प्रकार हम देखते हैं कि भारत में वेटलैंड्स या आर्द्रभूमियाँ यहाँ के कुल 4.63 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को कवर करती हैं, जो काफी विस्तृत है.
सबसे बड़ी आर्द्रभूमियाँ
- सर्वाधिक आर्द्रभूमियों वाले देशों में यूनाइटेड किंगडम (175) का स्थान पहला और मैक्सिको (142) का स्थान दूसरा है.
- भारत की सबसे बड़ी आर्द्रभूमि गुजरात में लगभग 34,700 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली हुई है. जो पूरे देश के कुल आर्द्रभूमि क्षेत्रों का लगभग 22.7 प्रतिशत है.
- इसके बाद क्रमशः आंध्र प्रदेश (14,500 वर्ग किमी), उत्तर प्रदेश (12,400 वर्ग किमी) और पश्चिम बंगाल (11,100 वर्ग किमी) का स्थान आता है.
भारत में लगभग 19 प्रकार की आर्द्रभूमियाँ पाईं जातीं हैं.
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आर्द्रभूमियों का संरक्षण और रामसर का महत्व
- भारत के विभिन्न फ्लाईवे के भीतर जलपक्षियों की आवाजाही तथा आबादी को बनाए रखने के लिए यहाँ की आर्द्रभूमियों को मेंटेन रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह प्रवासी पक्षियों का आवास होता है.
- मध्य एशियाई फ्लाईवे (Central Asian Flyway) नौ वैश्विक वाटर बर्ड्स, जलपक्षी या मुर्गाबियों के फ्लाईवे यानि आकाशीय मार्ग में से एक है. सेंट्रल एशियन फ्लाईवे के लगभग 71% प्रवासी (माइग्रेटरी) जलपक्षियों के लिए भारत उनका एक अस्थायी प्रवास केंद्र (स्टॉपओवर साइट) है.
- केवल राजस्थान के सांभर झील में हीं नवंबर महीने से लेकर फरवरी महीने तक उत्तरी एशिया और साइबेरिया से आकाशीय रास्ते से हज़ारों की तादाद में फ्लेमिंगो एवं अन्य प्रवासी जलपक्षी माइग्रेट करके आते हैं.
- आर्द्रभूमियों का भारतीय परंपराओं और लोकसंस्कृति से भी काफी गहरा संबंध है.
- सिक्किम की खेचोपलरी झील को इच्छाएँ पूरी करने वाली झील माना जाता है.
- मणिपुर में स्थानीय लोगों द्वारा वहाँ के लोकटक झील की "इमा" (मां) के रूप में पूजा की जाती है.