Half Yearly Current Affair 2022 (Hindi) DOWNLOAD NOW |
GK Capsule Free pdf - Download here |
मुस्लिम लीग की स्थापना के पीछे का इतिहास एवं इसके उदेश्य |
कारण -
रोगी के शरीर में पहले से निष्क्रिय या कमजोर यह वैरिसेला-ज़ोस्टर वायरस जब फिर से सक्रिय हो जाता है तब यह चेहरे तक फ़ैल कर इसकी तंत्रिका को प्रभावित करता है और पैरालिसिस का अटैक उत्पन्न कर सकता है.दरअसल रामसे हंट सिंड्रोम उन लोगों में होता है जिन्हें पहले चिकनपॉक्स हुआ होता है. दरअसल जब रोगी चिकनपॉक्स से ठीक हो जाते हैं, तो इसके बाद भी वायरस रोगी के शरीर में मौजूद रहता है. भले हीं वायरस अक्रिय तथा अत्यधिक कमजोर अवस्था में होता है पर यह जिन्दा होता है. बाद के वर्षों में यही वायरस कभी-कभी फिर से सक्रिय होकर दाद, द्रव से भरे दर्दनाक दाने या फफोले और चेहरे के पैरालिसिस का कारण बनता है.
क्यों भ्रम है रामसे हंट सिंड्रोम के नाम को लेकर ?
चिकित्सा जगत में इस विकार को निरूपित करने के लिए कई अलग-अलग नामों का इस्तेमाल किया गया है जिसके कारण अक्सर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. दरअसल इस डिसऑर्डर या विकार का नाम जेम्स रामसे हंट के नाम पर पड़ा है. जेम्स रामसे हंट (James Ramsay Hunt) एक चिकित्सक थे और सन 1907 में उन्होंने हीं पहली बार इस रेयर डिसऑर्डर (दुर्लभ विकार) के बारे में बताया था. कान के पास निकलने वाले लाल चकत्तों की वजह से इस विकार को कभी-कभी हर्पीज ज़ोस्टर ओटिकस (herpes zoster oticus) के रूप में भी जाना जाता है. उल्लेखनीय है कि कुछ चिकित्सक हर्पीस ज़ोस्टिक ओटिकस का प्रयोग केवल कान के सन्दर्भ में और कान के दाने के साथ चेहरे के पक्षाघात (paralysis) के सन्दर्भ के लिए रामसे हंट सिंड्रोम का प्रयोग करते हैं.जैसा कि हमने ऊपर कहा कि रामसे हंट सिंड्रोम उसी वायरस के कारण होता है जो वायरस मनुष्य में चिकनपॉक्स का कारण बनता है. चिकनपॉक्स ठीक हो जाने के बाद भी इसका वायरस रोगी की नसों में इनएक्टिव रूप से मौजूद रहता है. वर्षों बाद यह वायरस फिर से सक्रिय हो सकता है और रोगी के चेहरे की नसों को प्रभावित कर सकता है और चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी और बहरापन पैदा कर सकता है.
लक्षण -
- रामसे हंट सिंड्रोम के दो मुख्य लक्षण हैं -
- एक कान में और कान के आसपास द्रव से भरे फफोले के साथ दर्दनाक लाल चकत्ते होना.
- प्रभावित कान की तरफ के चेहरे में कमजोरी या लकवा.
- आमतौर पर, दाने और चेहरे का पैरालिसिस (पक्षाघात) एक ही समय में होता है, पर कभी-कभी यह एक दूसरे से पहले हो सकता है.
Cancer no longer Incurable: कैंसर अब लाइलाज नहीं, डॉस्टर्लिमाब ने ट्रायल पीरियड में सभी रोगियों को स्वस्थ किया
रामसे हंट सिंड्रोम के शुरुआती लक्षण -
- कान का दर्द होना.
- बहरापन.
- कानों में बजना (टिनिटस).
- एक आँख बंद करने में कठिनाई
- घूमने या हिलने की अनुभूति या चक्कर सा आना.
- स्वाद में बदलाव या स्वाद की हानि.
- मुँह और आँखों में शुष्कता का अहसास होना.
सामान्य हिंदी ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
पर्यावरण ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
खेल ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
साइंस ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
अर्थव्यवस्था ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
भारतीय इतिहास ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
कब लें डॉक्टर से परामर्श -
यदि आपको चेहरे पर पक्षाघात या दाद के दाने का अनुभव होता है तो अपने चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें. लक्षणों की शुरुआत होने के तीन दिनों के भीतर अगर उपचार शुरू हो जाए तो दीर्घकालिक जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है.
जोखिम –
रामसे हंट सिंड्रोम ऐसे किसी भी व्यक्ति को हो सकता है जिसे पहले चिकनपॉक्स हुआ हो. पर यह वृद्ध वयस्कों में अधिक आम है, और आमतौर पर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. यह सिंड्रोम बच्चों में दुर्लभ है.रामसे हंट सिंड्रोम संक्रामक नहीं होता है. हालांकि, वैरीसेला-ज़ोस्टर वायरस के पुनः सक्रिय होने से उन लोगों को चिकनपॉक्स होने का खतरा हो सकता है जिन्हें पहले चिकनपॉक्स नहीं हुआ था या इसके लिए टीका लगाया गया था. कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या वाले लोगों के लिए यह संक्रमण गंभीर हो सकता है.
रामसे हंट सिंड्रोम से पीड़ित रोगी के जब तक रैश और फफोले खत्म नहीं हो जाते, तब तक उनसे शारीरिक संपर्क से इन लोगों को बचना चाहिए -
1. ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसे कभी चिकनपॉक्स नहीं हुआ हो या जिसे कभी चिकनपॉक्स का टीका नहीं लगा हो.2. ऐसा कोई भी व्यक्ति जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर है.
3. नवजात शिशुओं को.
4. गर्भवती महिलाओं को.
Difference Between Democracy and Dictatorship : डेमोक्रेसी (लोकतंत्र) और डिक्टेटरशिप (तानाशाही) के बीच का अंतर
Optical illussion: क्या आपको भी बनना है सुपर ह्यूमन ? तो इस तस्वीर मे ढूँढें 7 इंसान और एक बिल्ली
जटिलता -
रामसे हंट सिंड्रोम में निम्नलिखित जटिलताएँ शामिल हो सकती हैं -
- रामसे हंट सिंड्रोम से ज्यादातर लोगों में सुनने में स्थायी हानि (बहरापन) और चेहरे की कमजोरी या पक्षाघात हो सकता है. हालाँकि, यह स्थायी या फिर अस्थायी भी हो सकता है.
- आँख की क्षति. रामसे हंट सिंड्रोम के कारण चेहरे की कमजोरी की वजह से रोगी का पलकें बंद करना मुश्किल हो सकता है. जिससे आंख का कॉर्निया के क्षतिग्रस्त हो सकता है. कॉर्निया की यह क्षति आंखों में दर्द और धुंधली दृष्टि का कारण बन सकती है.
- कई बार एक अलग दर्दनाक स्थिति तब उत्पन्न होती है जब दाद का संक्रमण तंत्रिका तंतुओं को नुकसान पहुंचाता है. इससे तंत्रिका तंतुओं द्वारा भेजे गए संदेश भ्रमित और अतिरंजित या अतिश्योक्तिपूर्ण हो जाते हैं, जिससे काफी दर्द हो सकता है और रामसे हंट सिंड्रोम के लक्षण लंबे समय तक रह रह सकते हैं.
सामान्य हिंदी ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
पर्यावरण ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
खेल ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
साइंस ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
अर्थव्यवस्था ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |
भारतीय इतिहास ई-बुक - फ्री डाउनलोड करें |