Janjatiya Anusandhan Asmita Astitva Aur Vikas,जनजातीय अनुसंधान अस्मिता, अस्तित्व एवं विकास क्या है, जानें विस्तार से

safalta expert Published by: Chanchal Singh Updated Tue, 29 Nov 2022 05:52 PM IST

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आजादी के अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नेताओं के योगदान के लिए प्रदर्शित करने वाले फोटो प्रदर्शनी एवं संगोष्ठी सहित प्रमुख विश्वविद्यालयों में कई कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सराहना की है।

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Janjatiya Anusandhan Asmita Astitva Aur Vikas : जनजातीय अनुसंधान अस्मिता, अस्तित्व एवं विकास पर  राष्ट्रीय कार्यशाला के प्रतिनिधियों ने 28 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय भवन सांस्कृतिक केंद्र में राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की है, राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री हर्ष चौहान से स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नायकों को योगदान पुस्तक की पहली कॉपी भी दिलाई है। इस अवसर पर आगंतुकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने यह कहा है कि प्रौद्योगिकी एवं परंपरा के साथ-साथ आधुनिकता एवं संस्कृति का सम्मिश्रण समय की आवश्यकता है।
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यह कार्यशाला क्यों आयोजित किया गया था


जनजातीय समाज के ज्ञान के प्रचार एवं विकास भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा उन्होंने विकास विश्वास व्यक्त किया है कि जनजातीय समाज के लोग लेखक तथा शोधकर्ता अपने विचारों, कार्य एवं शोध से आदिवासी समाज के डेवलपमेंट में अपना योगदान देंगे। इसके अलावा राष्ट्रपति ने यह कहा है कि युवा हमारे इतिहास और परंपराओं को समझने के लिए प्रेरित हो रहे हैं, उनमें विश्वास व्यक्त किया कि इनका झुकाव हमारे समाज के इतिहास एवं संस्कृति की विशेषताओं के बारे में रिसर्च और राइटिंग के लिए होगा। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अभी आगे बढ़ सकता है, जब देश के युवा गौरवशाली इतिहास को समझें और साथ-साथ देश की समृद्धि के सपने देखें और इस सपने को पूरा करने के लिए सभी संभव प्रयास करते हैं।  Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
 

आजादी के अमृत महोत्सव के एक भाग


राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आजादी के अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में जनजाति नेताओं के योगदान के लिए प्रदर्शित करने वाले फोटो प्रदर्शनी एवं संगोष्ठी सहित प्रमुख विश्वविद्यालयों में कई कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की सराहना की है। उन्होंने कहा है कि आयोजन के आदिवासी युवाओं को अपने पूर्वजों के बलिदान एवं अपने समाज के सम्मान की महान परंपरा पर गर्व होगा और इससे वे देश के लिए और समाज के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित एवं प्रोत्साहित होंगे। राष्ट्रपति ने यह कहा है कि इतिहास बताता है कि जनजाति सामाज कभी दासता स्वीकार नहीं किया है साथ ही किसी भी हमले का प्रत्युत्तर देने में सबसे आगे रहे हैं, देश भर के जनजातीय समुदाय द्वारा संथाल, हूल, कोल, बिरसा, भील जैसे कई विद्रोह में किए गए संघर्ष एवं उनके बलिदानों से सभी नागरिक प्रेरित हो सकते हैं।   GK Capsule Free pdf - Download here

राष्ट्रपति ने क्या कहा है


 राष्ट्रपति ने इस फैक्ट की ओर भी इंगित किया है कि देश में अनुसूचित जनजातियों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है और सरकार एवं समाज के सामने इनका विकास और लाभ पहुंचाना साथ ही उनकी संस्कृति के पहचान को बनाए रखने की चुनौती है। इन सबके अलावा उन्हें विकास के लिए चर्चाओं और रिसर्च में उनकी भागीदारी आवश्यक है। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में जनजातियों के योगदान, पुस्तक पब्लिश करवाना एक अच्छी पहल है, राष्ट्रपति ने विश्वास दिलाया है कि इस पुस्तक के माध्यम से आदिवासी समाज के संघर्ष एवं बलिदान की गाथा का पूरा देश में प्रचार-प्रसार होगा और लोग इनके विकास के लिए एक कदम बढ़ाएंगे।


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