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आइए जानते हैं कि आखिर महाबलीपुरम मंदिर में ऐसी क्या खासियत और खूबियां हैं जहां टूरिस्टर ताजमहल की खूबसूरती छोड़ यहां घूमने आ रहे हैं। अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं FREE GK EBook- Download Now. / GK Capsule Free pdf - Download hereमहाबलीपुरम का नामकरण
महाबलीपुरम का नाम राजा महाबली के नाम से रखा गया है। महाबली राजा ने ही विष्णु भगवान के वामन अवतार को तीन पग भूमि दान में दी थी। महाबली की दानवीरता और सत्यता से प्रभावित होकर भगवान ने उन्हें पाताल लोक का चिरंजीवी राजा घोषित किया था और स्वयं वे पाताल लोक के पहरेदार बने थे। कहा जाता है कि महाबली राजा आज भी जीवित है और केरल राज्य में उनकी पूजा की जाती है।
महाबलीपुरम का नाम मामल्लापुरम कैसे पड़ा
पल्लव राजा नरसिंह वर्मन जिन्हें मामल्ला के नाम से भी जाना जाता था, उन्होंने महाबलीपुरम का नाम मामल्लापुरम रखा था। राजा नरसिंह वर्मन के द्वारा महाबलीपुरम का नाम मामल्लापुरम रखने के बाद भी लोग इस स्थान को आज भी महाबलीपुरम के नाम से ज्यादा जानते हैं। 7 वीं और 10 वीं सदी के दौरान पल्लव राजाओं ने महाबलीपुरम की शोभा को और अधिक बढ़ाने एवं विस्तृत करने के लिए यहां पर अनेक मंदिर और गुफाओं के निर्माण करवाया था। कांचीपुरम पर राज करने वाले पल्लव राजाओं की यह दूसरी राजधानी थी आइए जानते हैं राजा महाबली के बारे में-
राजा महाबली से जुड़े महत्वपुर्ण फैक्ट
राजा महाबली का संपूर्ण राज्य दक्षिण भारत में स्थित था। उन्होंने महाबलीपुरम को ही अपनी राजधानी बनाई थी। प्रसिद्ध पौराणिक पात्र वृत्र के वंशज हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद था और प्रहलाद के नाती राजा बलि थे। दरअसल कश्यप ऋषि की पत्नी दिति के दो पुत्र हुए थे हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप। हिरण्यकश्यप के 4 पुत्र थे अनुहल्लाद, हल्लाद, प्रह्लाद और संहल्लाद। प्रहलाद के कुल में उनके एक पुत्रका नाम विरोचन था जिनके पुत्र हुए राजा बलि। Free Daily Current Affair Quiz-Attempt Now with exciting prize
महाबलीपुरम मंदिर के बारे में
प्राचीन शास्त्रों में यह कहा जाता है कि महाबलीपुरम में सैकड़ों मंदिर थे, यह स्थान कई खूबसूरत एवं भव्य मंदिरों के स्थापत्य और सागर तटों की खूबसूरती के लिए बहुत प्रसिद्ध था। महाबलीपुरम के बारे में यह कहा जाता है कि इसके तट पर 17वीं शताब्दी में 7 मंदिर बनवाए गए थे और एक तटीय मंदिर को छोड़कर बाकी शेष मंदिर समुद्र में डूब गए थे, आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में-1. शोर मंदिर-
महाबलीपुरम के समुद्र तट पर स्थित है। यह प्राचीन मंदिर वास्तुकला का बेहद ही अनोखा उदाहरण है। यह मंदिर भगवान शिव और विष्णु को समर्पित है, शोर मंदिर का निर्माण लगभग 700 से 728 ईसवी के समय किया गया था। इसे स्टोन टेंपल के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि मंदिर वाला क्षेत्र ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया है, जो दिखने में बेहद ही अनोखा और खूबसूरत लगता है।
2. पंच रथ मंदिर-
महाबलीपुरम के समुद्र तट पर स्थित दूसरा मंदिर है। यह पंच रथ या पांच पांडवों का रथ नामक एक मंदिर है। यह मंदिर एक खूबसूरत स्मारक परिसर है। जिसका निर्माण सातवीं सदी में महेंद्र वर्मन प्रथम और इनके पुत्र नरसिंह वर्मन प्रथम द्वारा करवाया गया था। 5 स्मारकों को पूरी तरीके से रथ के आकार में बनाया गया है, जो सभी ग्रेनाइट पत्थरों को खोद खोद कर बनाए गए हैं। इसमें महाभारत की कहानी को दर्शाया गया है। सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए इस ऐप से करें फ्री में प्रिपरेशन - Safalta Application
3. गंगा अवतरण का स्मारक -
गंगा अवतरण के स्मारक महाबलीपुरम के कोरोमोंडल तट पर कांचीपुरम जिले में स्थित है 96X43 फीट का यह स्मारक अपनी सुंदर कलाकृति को दर्शाता है। इसमें एक बड़ा पत्थर है जिसे खोद खोद कर गंगा की उत्पत्ति को खूबसूरत तरीके से दिखाया गया है।
4. टाइगर गुफाएं-
यह गुफा भी महाबलीपुरम की सबसे खूबसूरत कलाकृति में से एक है। इनके बाहर पत्थरों में उभरे हुए शेर की मूर्तियां बनाई गई है। यह भी पल्लव राजाओं द्वारा बनवाया गया था।
5. कृष्ण की मक्खन गेंद-
दक्षिण भारत के महाबलीपुरम में 1200 साल पुराना एक पत्थर बहुत अजीबोगरीब तरीके से रखा हुआ है। इसे देखकर ऐसा लगता है मानो जरा भी छूने पर यह पत्थर गिर जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है इस पत्थर की चौड़ाई 5 मीटर और ऊंचाई 20 फीट है। साल 1908 में इस पत्थर पर मद्रास गवर्नर की नजर पड़ी तो गवर्नर को लगा कि यह पत्थर किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है। इसलिए उन्होंने इस पत्थर को हटवाने के लिए सात हाथियों के सहारे से खिंचवा कर दूसरी जगह रखवाने की कोशिश की थी, पर यह पत्थर अपनी जगह से 1 इंच भी नहीं खिसका था। लोग इस पत्थर को कृष्ण की मक्खन गेंद भी कहते हैं, क्योंकि आस पास रहने वाले लोगों का मानना है कि यह पत्थर मक्खन की एक ऐसी गेंद है जिसे कृष्ण भगवान ने अपनी बाल्यावस्था में मक्खन खाते खाते नीचे गिरा दिया था, जो कि यहां पृथ्वी पर अटका हुआ है।
यह सभी महाबलीपुरम की खूबसूरत मंदिर और कलाकृतियां हैं जिन्हें देखने अब फॉरेनर टूरिस्टर की संख्या बढ़ती जा रही है। इस साल माबलीपुरम को देखने डेढ़ लाख से भी अधिक टूरिस्ट यहां आए हैं।
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