What is Non Confidence Motion : क्या है अविश्वास प्रस्ताव, देखें सभी जरूरी जानकारी यहाँ

Safalta Experts Published by: Kanchan Pathak Updated Mon, 04 Jul 2022 11:06 PM IST

Highlights

अविश्वास प्रस्ताव या निंदा प्रस्ताव एक ऐसा संसदीय प्रस्ताव है, जिसे पारंपरिक रूप से विपक्ष के द्वारा संसद में किसी सरकार को हराने या कमजोर करने के लिए पेश किया जाता है. यह प्रस्ताव संसद में उस तत्कालीन समर्थक के द्वारा पेश किया जाता है, जिसे सरकार में विश्वास नहीं होता है.

Source: Safalta

अविश्वास प्रस्ताव या नॉन कॉन्फिडेंस मोशन, भारतीय संविधान द्वारा सदन को दिया गया एक ऐसा माध्यम है जिससे किसी भी सत्ताधारी पार्टी के विधायक या सांसद उस वर्तमान सरकार को सत्ता से हटाने की शक्ति रखते हैं. अगर आप प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं और विशेषज्ञ मार्गदर्शन की तलाश कर रहे हैं, तो आप हमारे जनरल अवेयरनेस ई बुक डाउनलोड कर सकते हैं  FREE GK EBook- Download Now. / Advance GK Ebook-Free Download
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किस के द्वारा पेश किया जाता है ?

देश में चुनाव चाहे जिस भी पद के लिए हो उन चुनावों के कुछ नियम होते हैं जिनका पालन चुनाव में खड़े होने वाले हर एक नेता को करना पड़ता है. इसके लिए कई प्रस्ताव भी रखे जाते है. इसी तरह के एक प्रस्ताव का नाम अविश्वास प्रस्ताव होता है जिसे निंदा प्रस्ताव या नॉन कॉन्फिडेंस मोशन भी कहा जाता है. अविश्वास प्रस्ताव या निंदा प्रस्ताव एक ऐसा संसदीय प्रस्ताव है, जिसे पारंपरिक रूप से विपक्ष के द्वारा संसद में किसी सरकार को हराने या कमजोर करने के लिए पेश किया जाता है. यह प्रस्ताव संसद में उस तत्कालीन समर्थक के द्वारा पेश किया जाता है, जिसे सरकार में विश्वास नहीं होता है.

पूरी प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 118 के तहत लोकसभा में नियम 198 के प्रावधान की शुरुआत की गई है, जिसके अंतर्गत कोई भी सांसद लिखित रूप से लोकसभा अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव या निंदा प्रस्ताव पेश करने के लिए कह सकता है. इसके बाद इसी प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा सभी सदस्यों को पढ़कर सुनाया जाता है. इसे सुनने के बाद यदि इस प्रस्ताव के पक्ष में 50 सांसद भी अपनी स्वीकृति प्रदान कर देते हैं तो इस प्रस्ताव पर आगे फिर से चर्चा करने के लिए एक तारीख सुनिश्चित कर दी जाती है.
निर्धारित तिथि को पुनः सभी सदस्य उपस्थित होकर उस प्रस्ताव के ऊपर चर्चा करते है. चर्चा के बाद मतदान की प्रक्रिया पूरी की जाती है. इस मतदान में यदि सरकार अपना बहुमत साबित कर लेती है, तो इसके बाद अगले छ: महीने तक उस सरकार के खिलाफ किसी प्रकार का अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता.
परन्तु यदि सरकार अपना बहुमत या विश्वास प्राप्त नहीं कर पाती तो वह सरकार गिर जाती है. इसके बाद बहुमत न सिद्ध नहीं कर पाने पर प्रधानमंत्री, अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौप देता है. इसी प्रकार राज्य के अन्दर मुख्यमंत्री अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौप देता है.
जब हाउस ऑफ कॉमन्स के बहुमत से अविश्वास मत पारित हो जाता है, तो अगले चुनाव तक वर्तमान प्रधान मंत्री के कार्यकाल को समाप्त करने के लिए एक नया प्रधान मंत्री चुन लिया जाता है. और यदि कोई उम्मीदवार बहुमत से नहीं जीतता तो विधानसभा भंग होने के बाद आम चुनाव स्थगित और आयोजित भी किया जा सकता है.
 

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क्या कहता है संविधान

संविधान में जहाँ अविश्वास प्रस्ताव, निंदा प्रस्ताव अथवा नो मोशन ऑफ़ कॉन्फिडेंस के नियम का किसी भी प्रकार का जिक्र नहीं किया गया है वहीं अनुच्छेद 118 के  अंतर्गत कोई भी सदन इस पर अपनी प्रक्रिया बनाने का काम कर सकता है. नियम 198 के तहत किसी भी सदस्य के द्वारा लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भेजा जा सकता है. 
 
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समाचार में क्यों है ?

  • अभी हाल में पाकिस्तान की संसद में विपक्षी समूहों ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दाखिल किया था. जिसमे विपक्ष ने बड़े पैमाने पर उन पर आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप लगाया.
इसके अलावा महाराष्ट्र विधानसभा में शिवसेना के एकनाथ शिंदे खेमे ने जिरवाल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दिया था. महाराष्ट्र विधानसभा का दो-दिवसीय विशेष सत्र रविवार को हुआ. इस दौरान नए अध्यक्ष का चुनाव और एकनाथ शिंदे-नीत नवगठित सरकार को विश्वास मत का सामना करना है. विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए शिवसेना विधायक राजन साल्वी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक राहुल नार्वेकर के बीच मुकाबला है.