World Leprosy Day 2022: विश्व कुष्ठ रोग दिवस, जानिए कब और क्यों मनाया जाता है कुष्ठ रोग दिवस 

safalta experts Published by: Chanchal Singh Updated Sat, 29 Jan 2022 06:43 PM IST

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इस बीमारी को हैनसेन रोग भी कहा जाता है, यह नाम नॉर्वेजियन डॉक्टर गेरहार्ड हेनरिक अर्माउर हेन्सन के नाम पर रखा गया है, जो कि विश्व में  कुष्ठ रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए जाने जाते हैं।
भारत, और इंडोनेशिया,ब्राजील  में सबसे अधिक मामले

Source: social media

World Leprosy Day 2022: इस साल पूरा विश्व कुष्ठ दिवस रविवार 30 जनवरी को मना रहा है। कुष्ठ दिवस हर साल जनवरी के आखिरी रविवार को मनाया जाता है।
इस तिथि को फ्रांसीसी मानवतावादी, राउल फोलेरेउ ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के रूप में चुना था, जिन्होंने कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों के साथ बहुत काम किया था और जब 1948 में जनवरी के अंत में उनकी मृत्यु हो गई थी, इसलिए इस दिन को राउल फोलेरेउ ने कुष्ठ रोग दिवस के रूप में चुना था। कुष्ठ रोग एक दीर्घकालिक जीवाणु संक्रमण है जो नसों, श्वसन नली, त्वचा और आंखों को स्थायी और अपूरणीय क्षति पहुंचाता है। अक्सर, इस रोग से पीड़ित व्यक्ति प्रभावित अंगों में दर्द को महसूस नहीं कर पाता है, जिससे चोटों या घावों की ओर उनका ध्यान नहीं जाता है, और इसके परिणामस्वरूप प्रभावित अंगों में नुकसान होता है।
 

इस रोग को हैनसेन रोग भी कहा जाता हैं।

इस बीमारी को हैनसेन रोग भी कहा जाता है, यह नाम नॉर्वेजियन डॉक्टर गेरहार्ड हेनरिक अर्माउर हेन्सन के नाम पर रखा गया है, जो कि विश्व में  कुष्ठ रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया की पहचान करने के लिए जाने जाते हैं।

भारत, और इंडोनेशिया,ब्राजील  में सबसे अधिक मामले

आपको बता दें कि आज इस रोग का आसानी से इलाज संभव हो गया है और कई बड़े डेवलप देश जैसे यूएस में इसका इलाज दुर्लभ है। इस रोग के मामले विशेष रूप से भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया में सबसे अधिक पाए जाते हैं। इतना ही नहीं  यहां इस रोग से संक्रमित लोगों के साथ अक्सर भेदभाव भी किया जाता है और उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है, जिससे उचित चिकित्सा देखभाल, उपचार तक पहुंच की कमी और यहां तक कि बेसिक मानवाधिकारों से भी ऐसे लोग वंचित हो जाते हैं, जो की उनके मानष्कि हेल्थ को काफी ज्यादा प्रभावित करते हैं।

1954 में इस दिवस की शुरुआत हुई

1954 में विश्व कुष्ठ दिवस की शुरुआत कुष्ठ रोग के बारे में  लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए, फ्रांसीसी परोपकारी राउल फोलेरो ने की थी । जिसका उद्देश्य इस रोग से पीड़ित लोगों के प्रति करुणा, दया और सम्मान दिखाना था। 

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2022 की थीम 'यूनाइटेड फॉर डिग्निटी'

इस साल 2022 में कुष्ठ रोग दिवस का थीम 'यूनाइटेड फॉर डिग्निटी' रखा गया है। इस दिन का अभियान उन व्यक्तियों के जीवित अनुभवों का सम्मान करता है जिन्होंने अपनी सशक्त कहानियों को साझा करके, अपनी मानसिक भलाई और बीमारी से संबंधित कलंक से मुक्त एक सम्मानजनक जीवन के अधिकार की वकालत करके कुष्ठ रोग में जीवन यापन किया है।

विश्व कुष्ठ दिवस मनाने का उद्देश्य इस रोग से संक्रमित लोगों को इलाज की तलाश करने और समाज में सम्मान का जीवन जीने में सक्षम बनाने के लिए है। इसके साथ ही सामान्य लोगों के बीच कुष्ठ रोग के विषय में जागरूकता बढ़ाने के लिए

यह दिवस मनाया जाता है। जानें इससे संबंधित कुछ करंट अफेयर फैक्ट्स...

  • 1873 में कुष्ठ रोग पैदा करने वाले जीवाणु की पहचान हुई थी।
  • इस बैक्टीरिया को नॉर्वे के एक चिकित्सक गेरहार्ड हेनरिक अर्माउर हैनसेन ने कुष्ठ रोग पैदा करने वाले प्रमुख जीवाणु के रूप में 'माइकोबैक्टीरियम लेप्राई' जीवाणु की पहचान की थी।1954 में 30 जनवरी को पहला विश्व कुष्ठ दिवस मनाया गया था। फ्रांस के राउल फोलेरो ने विश्व कुष्ठ दिवस की शुरूआत की, जिसे हर साल जनवरी के पहले रविवार को मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के बारे में लोगों तक जागरूकता फैलाई जा सके।
  • विश्व में हर साल 200,000 लोग कुष्ठ रोग से पीड़ित होते हैं।
  • WHOके मुताबिक साल 2018 में 120 से अधिक देशों में कुष्ठ रोग के 2.08 लाख से अधिक केस दर्ज हुए थे, जिनमें से ज्यादातर भारत, ब्राजील और इंडोनेशिया के थे। पिछले 2 सालों में कुष्ठ रोग के केस में गिरावट हुई है।
  • इस रोग के इलाज के लिए  मल्टी ड्रग थेरेपी (एमडीटी) नामक एंटीबायोटिक दवा है, जिसे पूरे विश्व में मुफ्त में दिया जाता है।
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